बैडमिटन संघ भेजेगा लक्ष्य की जीत पर पीएम को बाल मिठाई

बैडमिटन के अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी लक्ष्य सेन बैंकाक में थामस कप जीते तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खिलाड़ी को बधाई देते हुए ट्वीट कर कहा अरे भाई बाल मिठाई खिलानी पड़ेगी। जिसके बाद बैडमिटन संघ प्रधानमंत्री को बाल मिठाई भेजने की तैयारी करने लगा है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 17 May 2022 04:59 PM (IST) Updated:Tue, 17 May 2022 04:59 PM (IST)
बैडमिटन संघ भेजेगा लक्ष्य की जीत पर पीएम को बाल मिठाई
बैडमिटन संघ भेजेगा लक्ष्य की जीत पर पीएम को बाल मिठाई

जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : सांस्कृतिक व ऐतिहासिक नगरी अल्मोड़ा देश में किसी पहचान की मोहताज नहीं है। वहीं अल्मोड़ा को विशिष्ट पहचान देती है, यहां की बाल मिठाई। बैडमिटन के अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी लक्ष्य सेन बैंकाक में थामस कप जीते तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खिलाड़ी को बधाई देते हुए ट्वीट कर कहा, अरे भाई, बाल मिठाई खिलानी पड़ेगी। जिसके बाद बैडमिटन संघ प्रधानमंत्री को बाल मिठाई भेजने की तैयारी करने लगा है। जल्द ही उन्हें यह मिठाई भेजने की योजना है।

अल्मोड़ा की बाल मिठाई केवल स्वाद के लिए खाई जाने वाली मिठाई नहीं है। बल्कि यह अल्मोड़ा के समाज, संस्कृति की एक झलक भी दिखाती है। बताया जाता है कि 1865 के आसपास लाला बाजार में सबसे पहले बाल मिठाई इजाद हुई थी। इसका श्रेय जोगा साह को जाता है। अंग्रेजों को भी इसका स्वाद खूब भाता था। आजादी के बाद अल्मोड़ा की बाल मिठाई यहां के लोगों की पहचान बन गई। बाल मिठाई, दुकान में बेचे जाने वाले व्यापारी तक ही सीमित नहीं रह गई थी। बल्कि इससे आस-पास के गांवों के लोगों का रोजगार भी जुड़ा। पशुपालक अधिक मात्रा में दुग्ध उत्पादन करने लगे। जिससे आसपास की आर्थिकी भी मजबूत होने लगी।

वहीं अल्मोड़ा पहुंचते ही बाल मिठाई की महक आने लगती है। मुख्यालय में ही करीब 100 से अधिक बाल मिठाई की दुकानें हैं। एक जिला दो उत्पाद में बनाई जगह

राज्य सरकार ने स्थानीय उत्पादों से रोजगार सृजन व आर्थिकी को बढ़ावा देने के लिए एक जिला दो उत्पाद योजना शुरू की। जिसमें अल्मोड़ा की बाल मिठाई ने अपनी जगह बनाई। इसका उद्देश्य लोगों को पशुपालन से जोड़ना, ताकि स्वरोजगार कर आर्थिक रुप से सक्षम हो सकें। दुग्ध उत्पादों से बनती है बाल मिठाई

पहले पहाड़ी गाय, भैंस से निकलने वाले दूध से जो खोया बनता है, उससे बाल मिठाई बनाई जाती है। खोया तब तक घोंटा जाता है, जब तक वह कत्थई रंग ना ले ले। इसके बाद दाने जिसे बालदाना कहा जाता है, उसे चिपकाया जाता है। वहीं अब पहाड़ में दुग्ध उत्पादन कम होने से बाहर से आए खोये से बाल मिठाई निर्मित की जाने लगी है। हालांकि कुछ दुकानदार अब भी स्थानीय दुग्ध उत्पादों का प्रयोग करते हैं।

डिब्बा देखकर ही चल जाता है बाल मिठाई का पता

अल्मोड़ा की बाल मिठाई का डिब्बा भी स्थानीय स्तर पर बनाया जाता है। उसका रंग, आकार, डिजाइन ऐसा होता है कि एक बार देखने वाला ही बता देता है कि यह अल्मोड़ा की बाल मिठाई है। बाल मिठाई विक्रेता व निर्माता अमर सिंह ने कहा कि दूर-दराज के क्षेत्रों में बाल मिठाई जाती है। अन्य जिलों व प्रदेशों से भी लोग आकर ले जाते हैं। अब तो बाल मिठाई हर जगह ही बनने लगी है। लेकिन अल्मोड़ा अपनी पहचान फिर भी बनाए हुए है।

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