रामगंगा नदी घाटी सड़क परियोजना से रूकेगा पलायन

By Edited By: Publish:Mon, 01 Sep 2014 01:02 AM (IST) Updated:Mon, 01 Sep 2014 01:02 AM (IST)
रामगंगा नदी घाटी सड़क परियोजना से रूकेगा पलायन

राजेश तिवारी, मानिला : उत्तराखड में पलायन रोकने के लिए पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। इसके तहत सड़क, बिजली व पानी सरीखे आधारभूत ढांचे को और मजबूत बनाने की जरूरत है। खासकर रामगंगा नदी घाटी सड़क परियोजना पलायन रोकने में सहायक सिद्ध होगी। पर्यटन को बढ़ावा देने से जहां उत्तराखंड में रोजगार के साधन बढ़ेंगे, वहीं प्रदेश की आर्थिक आय में भी बढ़ोतरी होगी।

विकासख्ाड सल्ट में मानिला, भिकियासैंण, मौलेखाल, मरचूला, इकूखेत एवं मछोड़ समेत कई क्षेत्रों में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। लेकिन प्राकृतिक रूप से समृद्घ इन क्षेत्रों में सड़क, पानी एवं बिजली जैसी आधारभूत आवश्यकताओं के विकास की जरूरत है। इसी के तहत मरचूला से भिकियासैंण तक रामगंगा नदी के किनारे से प्रस्तावित गगास-उड़ीमहादेव- सैलापानी-भिकियासैंण-मरचूला मोटरमार्ग के निर्माण से रोजगार सृजन के नए द्वार खुलेंगे। यही नहीं, इन क्षेत्रों में सुविधाओं के अभाव में पलायन कर चुके ग्रामीणों का एक बार फिर घर वापसी का रास्ता साफ होगा। इस योजना के निर्माण से जहां रामनगर से भिकियासैंण, चौखुटिया, देघाट आदि क्षेत्रों की दूरी कम होगी, वहीं सड़क मार्ग से जुड़ने पर इन क्षेत्रों को ईको टूरिज्म के तहत विकसित कर पर्यटन व्यवसाय से भी जोड़ा जा सकता है। साथ ही इन क्षेत्रों में होने वाली कृषि उपज को बाजार तक आसानी से पहुंचाया जा सकता है, जिससे ग्रामीणों की आमदनी बढ़ेगी। रामगंगा नदी के तटीय क्षेत्रों में आम, अमरूद, नासपाती आदि फलों का रिकार्ड उत्पादन होता है, परन्तु बाजार क्षेत्र काफी दूर होने से किसान अपने फलों को औने-पौने दामों पर बेचने को मजबूर होते हैं। कृषि बागवानी एवं मत्स्य पालन से ग्रामीणों कीआय में वृद्घि होगी। कृषि, रिवर रॉफ्िटग, रॉक क्लाइंबिंग, हिमालय दर्शन, जिप लाइनिंग, बर्ड वाचिंग, नेचर वॉक, आध्यात्मिक एवं साहसिक पर्यटन से जोड़कर सल्ट को अलग पहचान दिलाई जा सकती है।

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