उत्तर प्रदेश ने निभाया पड़ोसी धर्म

दीप सिंह बोरा, रानीखेत वैश्विक तापवृद्धि का बढ़ता जोखिम। उस पर उत्तराखंड में घटती हरियाली, खत्म

By JagranEdited By: Publish:Thu, 30 Mar 2017 01:00 AM (IST) Updated:Thu, 30 Mar 2017 01:00 AM (IST)
उत्तर प्रदेश ने निभाया पड़ोसी धर्म
उत्तर प्रदेश ने निभाया पड़ोसी धर्म

दीप सिंह बोरा, रानीखेत

वैश्विक तापवृद्धि का बढ़ता जोखिम। उस पर उत्तराखंड में घटती हरियाली, खत्म होती जैव विविधता व सूखते जलस्रोतों की चुनौती। हिमालयी राज्य में इन तीनों चुनौतियों को कम करने वाले बहुपयोगी वृक्ष बांज, उतीश व घिंघारु आदि प्रजातियों के बेहिसाब कटाने से चिंतित देश के सबसे बड़े राष्ट्रीय बीज निगम (लखनऊ मुख्यालय) को पहाड़ में लकड़ी का ठोस विकल्प 'लौह हल' भा गया है। खास बात कि पौड़ी जिले के 10 गांवों को गोद ले निगम उन्हें हल बांटेगा।

दरअसल, पर्वतीय जिलों में लकड़ी का संपूर्ण एक हल बनाने के लिए कम से कम दो वयस्क पेड़ काटे जाते हैं। इसके लिए जिन बहुपयोगी बांज, फल्याट, सानड़, उतीश, मेहल के साथ ही बड़ी झाड़ी प्रजाति घिंघारू के पेड़ों की बलि दी जाती है, ये सभी पर्यावरण, जल स्रोत, जैव विविधता बचाने में सहायक हैं। चूंकि हल निर्माण में वयस्क पेड़ का मुख्य तना ही काम आता है, शेष हिस्सा बेकार जाता है। ऐसे में वृक्ष की बड़ी क्षति भी होती है।

इन पेड़ों का कटान रोकने को 2012 में स्याही देवी के पर्यावरण प्रेमियों ने लौह हल का फॉर्मूला दिया था। विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (वीपीकेएएस) अल्मोड़ा के वैज्ञानिकों शोध कर मॉडल तैयार किया। इसके बेहतर परिणाम सामने आए भी। वर्तमान में अल्मोड़ा, बागेश्वर, चमोली आदि जिलों में 3500 से ज्यादा किसान इसे अपना रहे। चिपको आंदोलन के प्रणेता डॉ. चंडी प्रसाद भट्ट की गोपेश्वर स्थित संस्था के गढ़वाल में मुहिम चलाने के बाद अब बीजों के उत्पादन, परिशोधन व विपणन में देश के अग्रणी राष्ट्रीय बीज निगम वन बचाने को आगे आया है। लखनऊ मुख्यालय की हेमपुर शाखा काशीपुर (ऊधम सिंह नगर) ने गढ़वाल में नैनीटांडा ब्लॉक के 10 गांवों को गोद ले लिया है। उन्हें लौह हल बांटे जाएंगे। वहीं के किसानों से बीज खरीद उन्हें पर्यावरण संरक्षण को प्रेरित भी किया जाएगा।

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इसलिए जरूरी है पर्यावरण संरक्षण

एक शोध रिपोर्ट के अनुसार पूरे उत्तराखंड में 12 लाख किसान परिवार हैं। 672138 किसान सीधे खेती से जुड़े हैं। एक किसान पांच वर्ष में औसतन दो वयस्क वृक्ष लकड़ी हल व अन्य उपकरणों के लिए काटता है। अकेले अल्मोड़ा जिले में ही 80 हजार किसान हैं। यहां औसतन एक वर्ष में 16 हजार बहुपयोगी पेड़ काट लिए जाते हैं।

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केंद्र सरकार की सामाजिक उत्तरदायित्व योजना के तहत हमने नैनीटांडा ब्लॉक के 10 गांव गोद लिए हैं। पर्यावरण बचाने के उद्देश्य से यहां के किसानों को हम पंक्तिबद्ध बीज बोने वाले 22 लौह हल बांटेंगे। इन्हीं किसानों से बीज खरीदेंगे भी। परिणाम बेहतर निकले तो शीतलाखेत स्थित वर्कशॉप से और हल मंगाएंगे।

- एमएल वर्मा, क्षेत्रीय प्रबंधक राष्ट्रीय बीज निगम'

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यह हिमालयी वन व पर्यावरण बचाने की दिशा में अच्छी पहल है। लकड़ी हल के लिए दो वयस्क पेड़ काटे जाते हैं। लौह हल अपनाने से यह क्षति रोकने में बड़ी मदद मिलेगी। पहाड़ की पथरीली जमीन पर अक्सर लकड़ी हल का फाल टूट जाता है। लौह हल में नट ही टूटेगा जो सस्ता बन जाता है।

- डॉ. लक्ष्मीकांत, उपनिदेशक वीपीकेएएस अल्मोड़ा'

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