सर्वधर्म समभाव के 'योग' का काशी ने दिया संदेश

पूरे विश्व में आज योग को लेकर लोकप्रियता बढ़ रही है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Jun 2018 01:06 PM (IST) Updated:Wed, 20 Jun 2018 01:06 PM (IST)
सर्वधर्म समभाव के 'योग' का काशी ने दिया संदेश
सर्वधर्म समभाव के 'योग' का काशी ने दिया संदेश

सौरभ चक्रवर्ती, वाराणसी : पूरे विश्व में आज योग को लेकर लोकप्रियता बढ़ रही है। कई योगाचार्यो ने इसमें महती योगदान दिया है। इसी में एक हैं काशी के योगी श्यामाचरण लाहिड़ी, जिन्होंने दुनिया को योग के विविध आयाम और क्रियाओं से परिचित कराया। 18वीं शताब्दी के उच्च कोटि के साधक श्यामाचरण लाहिड़ी के योग की विशेषता यह थी कि गृहस्थ मनुष्य भी योगाभ्यास से शाति प्राप्त कर योग के उच्चतम शिखर पर पहुंच सकते थे। योगी श्यामाचरण अपने अनुयायियों को उनकी प्रवृत्तियों के अनुसार भक्तियोग, कर्मयोग, ज्ञानयोग व राजयोग के मार्ग पर चलने का संदेश देते थे। बंगाल में जन्म, काशी कर्मस्थली

बंगीय समाज के अध्यक्ष अशोककांति चक्रवर्ती बताते हैं कि बंगाल के नदिया जिले में कृष्णनगर के निकट धरणी नामक ग्राम में एक ब्राह्माण परिवार में 30 सितंबर, 1828 को जन्मे श्यामाचरण लाहिड़ी का पठन-पाठन काशी में हुआ। जंगमबाड़ी में रहने वाले श्यामाचरण जीविकोपार्जन के लिए छोटी उम्र में नौकरी में लग गए। दानापुर में मिलिट्री एकाउंट्स आफिस में थे। हिमालय में गुरु प्राप्ति व दीक्षा

कुछ समय के लिए वे सरकारी काम से अल्मोड़ा के रानीखेत भेज दिए गए। उसी दौरान हिमालय की वादियों में गुरु प्राप्ति व दीक्षा हुई। 1880 में पेंशन लेकर काशी आ गए और पुराने निवास स्थान में रहने लगे। आज भी निवास पर सुबह व शाम पुजारी आकर पूजा करते हैं। केवल गुरु पूर्णिमा के दिन अंदर जाने की अनुमति है। शासन-प्रशासन ने निवास तक जाने के लिए मुख्य सड़क पर होर्डिग लगाई है। योग क्रिया की दीक्षा को आश्रम

योग क्रिया की दीक्षा देने की परंपरा वर्षो पुरानी है। गुरुधाम आश्रम की स्थापना इसी उद्देश्य से हुई थी कि योग विद्या जन-जन तक पहुंचाई जा सके। देश में उनके शिष्यों द्वारा स्थापित आश्रमों में से गुरुधाम आश्रम सबसे महत्वपूर्ण है जहा पर क्रिया योग की दीक्षा दी जा रही है। माना जाता है कि क्रिया योग राजा जनक, श्रीराम व संत कबीर जैसे मनीषियों ने भी किया था। सभी के लिए बताया योग का महत्व

श्यामाचरण लाहिड़ी ने सभी धर्मो में योग के महत्व को समझाया। कहा, मुसलमानों को रोज पांच बार नमाज पढ़ना चाहिए। ¨हदू को दिन में कई बार ध्यान में बैठना चाहिए। ईसाई को रोज कई बार घुटनों के बल बैठकर प्रार्थना करके बाइबिल का पाठ करना चाहिए। इस दौरान होने वाली क्रियाओं को योग से जोड़ा।

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