वासंतिक नवरात्र : शक्ति के ओज-तेज से दपदपायी शिव की पुरातन नगरी काशी

शक्ति की अधिष्ठात्री देवी मां जगदंबा की साधना - आराधना के व्रत-पर्व वासंतिक नवरात्र पर श्रद्धालुओं की भीड़ दुर्गा मंदिरों में उमड़ पड़ी।

By Edited By: Publish:Sat, 06 Apr 2019 08:00 PM (IST) Updated:Sat, 06 Apr 2019 08:00 PM (IST)
वासंतिक नवरात्र : शक्ति के ओज-तेज से दपदपायी शिव की पुरातन नगरी काशी
वासंतिक नवरात्र : शक्ति के ओज-तेज से दपदपायी शिव की पुरातन नगरी काशी

वाराणसी, जेएनएन। शक्ति की अधिष्ठात्री देवी मां जगदंबा की साधना - आराधना के व्रत-पर्व वासंतिक नवरात्र पर शिव की नगरी काशी में चहुंदिशाएं शक्ति के ओज-तेज से दपदप कर उठीं। शनिवार को मुंह अंधेरे दुर्गा-गौरी पीठों की यात्रा का कलरव तो वैधृति योग खत्म होने के साथ अभिजीत मुहूर्त में घट स्थापन, चंडी पाठ और देवी स्तवन की हजारों आवृत्तियों की गूंज से कोना कोना शक्ति हो उठा। कुछ इस तरह हुआ आदि शक्ति के प्रताप और प्रभाव के स्तुति गान को समर्पित नौ दिवसीय नवरात्र का।

शक्ति आराधन पर्व की पहली पदचाप के साथ ही पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नौ गौरी दर्शन यात्रा के क्रम में प्रथम पूजित मुख निर्मालिका गौरी के गायघाट और दुर्गा पूजन यात्रा के क्रम में अलईपुर स्थित देवी शैलपुत्री के मंदिरों की ओर शुक्रवार की रात के तीसरे पहर से ही श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। श्रद्धालुओं की टोली देवी महिमा के गीत गाती इन शक्ति पीठों की ओर बढ़ती रहीं। अलस भोर में मंदिरों के कपाट खुलने के साथ मानों श्रद्धा और आस्था का ठिठका हुआ प्रवाह देवी के चरण पखारने के लिए घुमड़ पड़ा। इसके साथ ही बोले सांचे दरबार.. के घोष से आकाश निनादित हो उठा। दर्शन-पूजन का यह सिलसिला देर रात तक जारी रहा।

सप्तशती के मंत्रों से गूंजे मोहल्ले वैधृति योग खत्म होने के बाद सुबह 11.35 बजे पुरोहितों ने देवी का आवाहन कर यजमानों के आंगन की वेदिकाओं पर श्रीकलश स्थापित कर शक्ति आराधन अनुष्ठानों का श्रीगणेश किया। हालांकि सूरज की पहली किरण के साथ टोले- मोहल्ले की गलियां चंडी पाठ के अमोघ मंत्रों के समवेत उच्चारों से गूंज उठीं। विश्व कल्याण कामना की भारतीय दृष्टि 'सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके, शरण्ये ˜यंबके गौरी नारायणी नमो स्तुते..' जैसे उद्दात मंत्रों के रूप में नए संकल्पों को नए अर्थ देने वाली थीं। चंडी पाठ को पूर्णता प्रदान की श्रद्धालुओं के कराग्र से हवन कुंडों में प्रज्ज्वलित अग्नि शिखाओं मे समर्पित धूप-लोबान-गुग्गुल जैसी हवन सामग्री की सुगंधित धूम रेखाओं की उमड़ -घुमड़ ने। शायद ही कोई एसी गली बची हो जो इस सुगंधि के झोंके से सुवासित न हो उठी हो।

नारियल चुनरी की बहार : नवरात्र का बाजार रौनक के लिहाज से स्थापित बाजार के समानांतर खड़ा हुआ और सब पर भारी पड़ा। नौै दिनी बाजार में धूप-दीप-नैवेद्य सहित दर्जनों प्रकार की पूजन सामग्री की रेंज है मगर बहार है तो देवी को प्रिय नारियल-चुनरी की। चटख लाल रंग की चूनरों से पांडेयपुर, भोजूबीर, चेतगंज, सोनारपुरा, दुर्गाकुंड, क बीरचौरा समेत प्रमुख बाजार लाल-लाल नजर आए। गुड़हल के फूलों की लालिमा इसमें पूर्णता के रंग भरती रही। सब्जी-फल मंडियों के अलावा मिठाई व केराना बाजार में फलाहारी आइटमों की मांग बनी रही।

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