Varanasi Gyanvapi Case : विपक्षियों को सम्मन जारी करने का आदेश, अगली सुनवाई 29 अक्टूबर को
ज्ञानवापी परिसर स्थित ज्योर्तिलिंग भगवान आदि विश्वेश्वरनाथ व श्री नंदी महाराज की ओर से दाखिल मुकदमे में अदालत ने दोनों मुकदमों में विपक्षियों को लिखित आपत्ति दाखिल करने के लिए 22 अक्टूबर और वाद बिंदु पर सुनवाई के लिए 29 अक्टूबर की तिथि मुकर्रर की है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। ज्ञानवापी परिसर स्थित ज्योर्तिलिंग भगवान आदि विश्वेश्वरनाथ व श्री नंदी महाराज की ओर से दाखिल मुकदमे में बुधवार को सुनवाई करते हुए सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने विपक्षियों को सम्मन जारी करने का आदेश दिया है। अदालत ने दोनों मुकदमों में विपक्षियों को लिखित आपत्ति दाखिल करने के लिए 22 अक्टूबर और वाद बिंदु पर सुनवाई के लिए 29 अक्टूबर की तिथि मुकर्रर की है। दोनों मुकदमों में वादी पक्ष ने उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद और काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक को विपक्षी बनाया है। इन तीन विपक्षियों में से एक अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता मुकदमे में हाजिर हो चुके हैं, जबकि दो अन्य को उपस्थित होना है।
बता दें कि ज्योर्तिलिंग भगवान आदि विश्वेश्वर और नंदी जी महाराज के पक्षकारों शीतला माता मंदिर के महंत पं. शिव प्रसाद पांडेय व मीरघाट निवासी सितेंद्र चौधरी समेत अन्य ने 14 सितंबर को दोनों वाद अदालत में दाखिल किए थे। दोनों वादों में पक्षकारों की ओर से कहा गया है कि ज्ञानवापी का संपूर्ण क्षेत्र ज्योॢतलिंग भगवान आदि विश्वेश्वरनाथ का क्षेत्र है। वेद पुराणों में इसकी प्रामाणिकता उल्लेखित है। ज्ञानवापी के तहखाने में आज भी ज्योॢतलिंग विद्यमान हैं। मुगल शासक औरंगजेब के फरमान पर मंदिर को तोड़कर मस्जिद बना दिया गया। परिसर में सदियों से मौजूद श्री नंदी जी महाराज इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि करता है कि आज भी उक्त ज्योॢतलिंग की तरफ उनका मुख मौजूद है। हिंदुओ को ज्योतिॄलग आदि विश्वेश्वरनाथ, मां श्रृंगार गौरी का पूजा-पाठ करने का पूरा अधिकार है। आदि विश्वेश्वरनाथ से नंदी जी महाराज का साक्षात्कार कराने के मूल स्थान पर नया मंदिर बनाने और हिंदुओं को वहां प्रवेश व पूजा पाठ करने में हस्तक्षेप से रोकने का अनुरोध किया गया है।
दोनों वादों की ग्राह्यता पर सुनवाई के दौरान अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की तरफ से मौजूद अधिवक्ताओं ने आपत्ति जताई। उनकी दलील थी कि ज्ञानवापी मस्जिद वक्फ बोर्ड की संपत्ति है। वक्फ एक्ट 1995 के प्राविधान का जिक्र करते हुए कहा कि वक्फ संपत्ति की सुनवाई का क्षेत्राधिकार लखनऊ स्थित वक्फ न्यायाधिकरण को है न कि सिविल कोर्ट को। दोनों पक्षों ने अपने-अपने दलील के समर्थन में नजीर भी अदालत के समक्ष प्रस्तुत किए थे। अदालत ने दोनों पक्षों की बहस सुनने और नजीरों के अवलोकन के बाद दोनों वादों को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया और मंगलवार को इसे मुकदमा के रुप में दर्ज करने का आदेश आदेश पारित कर दिया था।