राष्ट्रीय पर्यटन दिवस : कोरोना काल में भी वाराणसी में बढ़ा पर्यटन, नए साल पर लाखों पहुंचे

National Tourism Day बाबा यानी श्रीकाशी विश्वनाथ के मिजाज व अंदाज का प्रभाव कह सकते हैं कि बड़ी से बड़ी दिक्कत दुश्वारी भी उसकी जिंदादिली के आगे ठहर नहीं पाती है। संकटों का कोहरा चाहे जितना घना हो लोगों को इस नगरी में खींच लाती है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Tue, 25 Jan 2022 11:19 AM (IST) Updated:Tue, 25 Jan 2022 11:19 AM (IST)
राष्ट्रीय पर्यटन दिवस : कोरोना काल में भी वाराणसी में बढ़ा पर्यटन, नए साल पर लाखों पहुंचे
कुछ सालों में बनारस ने पर्यटन के क्षेत्र में खुद को समृद्ध किया है।

वाराणसी [प्रमोद यादव]। धर्म और संस्कृति की नगरी सदाबहार है। इसे बाबा यानी श्रीकाशी विश्वनाथ के मिजाज व अंदाज का प्रभाव कह सकते हैं कि बड़ी से बड़ी दिक्कत दुश्वारी भी उसकी जिंदादिली के आगे ठहर नहीं पाती है। संकटों का कोहरा चाहे जितना घना हो लोगों को इस नगरी में खींच लाती है। यह बनारस की अर्थ धारा कहे जाने वाले पर्यटन के मामले में भी साफ दिख जाता है। विश्वास न हो तो कोरोना काल के आंकड़ों पर नजर दौड़ाइए। घोर वर्ष 2020-2021 में संक्रमण काल के बीच मिले स्पेस में नौ लाख लोग बनारस दर्शन के लिए खींचे चले आए। थोड़ी और राहत मिली तो यह आंकड़ा 2021 के नवंबर-दिसंबर माह में तीन लाख के पार पहुंच गया। इसे बाबा का प्रताप और उनके नव्य भव्य धाम का आकर्षण कह सकते हैं कि इस साल जनवरी में यह आंकड़ा 10.60 लाख पर पहुंचा। नए साल के सिर्फ दो दिनों में पांच लाख से अधिक लोगों ने बाबा का दर्शन किया और उनके दरबार की आभा को निरख लिया।

वास्तव में पिछले कुछ सालों में बनारस ने पर्यटन के क्षेत्र में खुद को समृद्ध किया है। ऐसे में माना जा रहा है कि कोरोना के विदा होते ही 63-64 लाख सालाना का आंकड़ा दोगुने से भी ऊपर जाएगा। पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019 में 63.48 लाख तीर्थयात्री व सैलानी बनारस आए थे। इन तीन वर्षों में भले ही सब कुछ कोरोनामय रहा, लेकिन पर्यटन विकास अपनी रफ्तार से चलता रहा। इसमें शहर के उत्तरी छोर पर स्थित गंगा के पाट पर खिड़किया घाट पर्यटकों के लिए अंतरराष्ट्रीय सुविधाओं से विकसित हो चला है। इसके आदिकेशव घाट तक विस्तार पाने का क्रम जारी है। इसके मूर्त रूप लेने के साथ ही वरुणा-गंगा संगम भव्य रूप में नजर आएगा। वरुणा कारिडोर का काम पूरा होने पर छावनी क्षेत्र के होटलों से निकल सैलानी स्टीमर पर सवार हो सीधे गंगा के घाटों की छटा निरखने आ जाएगा।

आदिकेशव घाट, खिड़किया से लेकर राजघाट तक घूमने के साथ ही लाल खां रौजा देखेगा और बनारस की प्राचीनता महसूसने के लिए उत्खनन स्थल भी घूम आएगा। यही नहीं यह अपनी तरह का अनूठा स्थल होगा जहां एक ओर सड़क मार्ग, जल धारा, सड़क के पार रेल की सुविधा तो हेलीपैड बनते ही हवाई मार्ग भी मिल जाएगा। यहां से भी मन न भरा तो रेती में पर्यटन विकास की योजना पूरी होते ही रेती में फोर लेन पर फर्राटे भरने के साथ खानपान का आनंद उठाएगा। जेटी से रो पैक्स या जलयान से गंगधार पर सैर करेगा या सिग्नेचर ब्रिज पर टहलते हुए काशी विश्वनाथ धाम आकर बाबा को शीश नवाएगा। बेशक, यह सब काशी में पर्यटन को धार तो देगा ही कैथी और चुनार तक विस्तार भी देगा।

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