घर बैठे खून के लिए रिक्वेस्ट कर सकेंगे Thalassemia पीडि़त, NHM की ई-रक्त कोष पोर्टल में सुविधा

कोरोनावायरस संक्रमण संकट के दौर में अनुवांशिक बीमारी थैलेसीमिया से पीडि़त लोगों के लिए रक्त आसानी से उपलब्ध होगा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Mon, 20 Apr 2020 05:43 PM (IST) Updated:Mon, 20 Apr 2020 05:48 PM (IST)
घर बैठे खून के लिए रिक्वेस्ट कर सकेंगे Thalassemia पीडि़त, NHM की ई-रक्त कोष पोर्टल में सुविधा
घर बैठे खून के लिए रिक्वेस्ट कर सकेंगे Thalassemia पीडि़त, NHM की ई-रक्त कोष पोर्टल में सुविधा

वाराणसी, जेएनएन। कोरोनावायरस संक्रमण संकट के दौर में अनुवांशिक बीमारी थैलेसीमिया से पीडि़त लोगों के लिए रक्त आसानी से उपलब्ध होगा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) ने इसके लिए पोर्टल ई-रक्त कोष में ऑनलाइन थैलेसीमिया रिक्वेस्ट नाम ने नया फीचर जोड़ा है। अब पीडि़त घर बैठे खून के लिए आवेदन कर सकेंगे। 

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से एक निर्देश भी जारी किया गया है। जब पीडि़त बच्चे ऑनलाइन ब्लड के लिए रिक्वेस्ट भेजेंगे तो संबंधित ब्लड बैंक बता देगा कि कौन-कौन से ग्रुप के खून की उपलब्धता है, जो नहीं है वो कब तक उपलब्ध होगा।

पीडि़तों के लिए अलग व्यवस्था

एनएचएम की राष्ट्रीय परामर्शदाता (ब्लड सेल) विनिता श्रीवास्तव ने बताया कि ऑनलाइन थैलेसीमिया रिक्वेस्ट की सुविधा शुरू हो गई है। इसमें सभी राज्यों को जोड़ा जा चुका है। मंत्रालय ने निर्देश दिया है कि ब्लड डिसऑर्डर मरीजों को कोरोना अस्पताल से अलग उपचार दिया जाए। कुछ राज्यों ने पीडि़तों को अस्पताल पहुंचाने को वाहन की व्यवस्था की है।

बीएचयू में पीडि़तों को चढ़ाया जाता है दो हजार यूनिट ब्लड

आइएमएस, बीएचयू के बालरोग विभाग स्थित थैलेसीमिया वार्ड की प्रभारी व पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. विनिता गुप्ता ने बताया कि पीडि़तों को दो हजार यूनिट ब्लड चढ़ाया जाता है। यहां 150 बच्चे पंजीकृत हैं। ब्लड बैंक, बीएचयू सीएमओ इंचार्ज डा. एसके सिंह बताते हैं कि रक्तदान कम होने के बावजूद जरूरतमंदों को खून दिया जा रहा है।

थैलेसीमिया एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाने वाली खून संबंधी बीमारी 

खून का एक विकार जिसमें ऑक्सीजन वाहक प्रोटीन सामान्‍य से कम मात्रा में होते हैं। थैलेसीमिया एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाने वाली खून संबंधी बीमारी है जो शरीर में सामान्य के मुकाबले कम ऑक्सीजन ले जाने वाले प्रोटीन (हीमोग्लोबिन) और कम संख्या में लाल रक्त कोशिकाओं से पहचानी जाती है। लक्षणों में थकान, कमजोरी, पीलापन, और धीमी गति से विकास शामिल हैं। हो सकता है कि हल्के मामलों में उपचार की जरूरत ना भी हो. गंभीर मामलों में खून चढ़ाना या डोनर स्टेम कोशिकाओं के प्रत्यारोपण (डोनर स्टेम सेल ट्रांसप्लांट) की ज़रुरत हो सकती है।

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