वाराणसी में भौतिकी के शोध छात्र की मौत के खिलाफ छात्रों ने बीएचयू एमएस को बनाया बंधक
भौतिकी विभाग बीएचयू के शोधछात्र अभय कुमार जायसवाल की पिछले दिनों सर सुंदरलाल अस्पताल में हुई कोरोना से छात्रों का आक्रोश गुरुवार को फूट पड़ा। अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए चिकित्साधीक्षक कार्यालय पर जमकर प्रदर्शन किया।
वाराणसी, जेएनएन। भौतिकी विभाग, बीएचयू के शोधछात्र अभय कुमार जायसवाल की पिछले दिनों सर सुंदरलाल अस्पताल में हुई कोरोना से छात्रों का आक्रोश गुरुवार को फूट पड़ा। अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए चिकित्साधीक्षक कार्यालय पर जमकर प्रदर्शन किया। जब चिकित्सा अधीक्षक आए तो गेट पर ही बंधक बनाकर करीब एक घंटा तक कहीं जाने नहीं दिया। आक्रोशित छात्र बार-बार एमएस का मौके पर ही इस्तीफे की मांग रहे थे। एमएस ज्योंही कहीं इधर-उधर जाने का प्रयास कर रहे थे, छात्र-छात्राएं उन्हें घेर कर वहीं रोक ले रहे थे। इसके कारण पास में मौजूद अन्य अधिकारियों के भी हाथ-पांव फूलने लगे थे। इस मामले में उचित कार्रवाई के आश्वासन पर छात्र शांत हुए। दोपहर 12.30 से दो बजे तक कार्यालय का माहौल संवेदनशील बना रहा। करीब डेढ़ घंटे तक कार्यालय भी बंद रहा।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद काशी प्रांत की प्रांत मंत्री साक्षी ङ्क्षसह के नेतृत्व में छात्र-छात्राओं ने अजय जायसवाल की मौत के मामले में एमएस प्रो. एसके माथुर को खूब खरी-खोटी सुनाई। उनका कहना था कि वर्तमान में पूर्वांचल के एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र की जनता के इलाज एवं इस महामारी से बचाव के लिए बीएचयू का सर सुंदरलाल अस्पताल एकमात्र सहारा है।
साक्षी के साथ ही पल्लव सुमन, विपुल, सर्वेश सिंह, अंकित, प्रिया सैनी, फणींद्र पति पांडेय आदि कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि अभय की मौत अस्पताल प्रशासन की लापरवाही एवं चिकित्सा अधीक्षक द्वारा उनकी छोटी बहन की याचना पर ध्यान न देने के कारण हो गई। अभय एवं उनकी बहन द्वारा चिकित्सा अधीक्षक एवं अन्य अधिकारियों से बार-बार आग्रह के बावजूद उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए वेंटिलेटर मुहैया नहीं कराया गया। अजय की मौत तड़प कर डॉक्टरों की लापरवाही से हुई है। कार्यवाहक कुलपति ने छात्रों की कॉल तक रिसीव नहीं की। छात्रों का कहना था कि कुलपति, एमएस, कोरोना मामले के प्रभारी या कई ऐसे संवेदनहीन अधिकारी कुर्सी पकड़े हुए हैं जिनमें मानवता नाम की चीज नहीं है। ये अधिकारी फोन नहीं उठाए। ऐसे में इन पदों पर संवेदनशील, मानवता को मानने वाले एवं सामाजिक दायित्वों को समझने वाले अधिकारी रहने चाहिए।
गिड़गिड़ाते रहे एमएस
छात्रों ने एमएस को जब गेट पर ही बंधक बना लिया तो उनके माथे पर बल पड़ गए। वे छात्रों के सामने बार-बार मीटिंग का बहाना बनाकर गिड़गिड़ा रहे थे, लेकिन छात्रों का गुस्सा शांत नहीं हो रहा था। छात्रों ने मांग किया कि दोषियों पर कार्रवाई की जाए वरना फिर से आंदोलन किया जाएगा।