उचित सूचना तकनीकि से सुधरेगी Power Supply, संयुक्त संघर्ष समिति ने अपने प्रस्ताव में दिया सुझाव

किसी भी विभाग का आइटी सिस्टम इस प्रकार का होना चाहिए जो न केवल समस्त कार्मिकों के दिन प्रतिदिन कार्यों में सहायक सिद्ध हो सके बल्कि उपभोक्ताओं की सेवाओं का भी उचित निराकरण निश्चित करने में सहायक हो।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Fri, 20 Nov 2020 06:10 AM (IST) Updated:Fri, 20 Nov 2020 09:56 AM (IST)
उचित सूचना तकनीकि से सुधरेगी Power Supply, संयुक्त संघर्ष समिति ने अपने प्रस्ताव में दिया सुझाव
संगठित क्षेत्र के कार्यप्रणाली में अपेक्षित तेजी में सूचना तकनीकि में भारी मदद की है।

सोनभद्र, जेएनएन। एक दशक के दौरान सूचना तकनीकि (आइटी) ने तमाम क्षेत्रों के विकास में बड़ी भूमिका निभायी है। खासकर संगठित क्षेत्र के कार्यप्रणाली में अपेक्षित तेजी में सूचना तकनीकि में भारी मदद की है। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के मसौदे को लेकर हुए आंदोलन के बाद वृहद सुधार का निर्णय लिया गया है।  विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने जो सुधार संबंधी प्रस्ताव ऊर्जा मंत्री को सौंपा है उसमें भी सूचना तकनीकि को लेकर व्याप्त खामियों पर विशेष प्रकाश डाला है। किसी भी विभाग का आइटी सिस्टम इस प्रकार का होना चाहिए जो न केवल समस्त कार्मिकों के दिन प्रतिदिन कार्यों में सहायक सिद्ध हो सके, बल्कि उपभोक्ताओं की सेवाओं का भी उचित निराकरण निश्चित करने में सहायक हो। व्यवहारिक रूप में यह पाया गया है कि कारपोरेशन का आइटी सिस्टम अपने उद्देश्य में पूर्ण रूप से विफल रहा है। 

संघर्ष समिति के अनुसार वर्ष 2012 में एचसीएल द्वारा ओरेकल आधारित बिलिंग सॉफ्टवेयर लागू किया गया था। जिसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार के एप्लीकेशन माड्यूल्स को एक्टिवेट किया जाना था, परंतु स्थानीय अधिकारियों के बार-बार इंगित किए जाने के बावजूद उपरोक्त समस्त माड्यूल्स को आठ वर्षों में भी अभी तक एक्टिवेट नहीं किया गया। इसी प्रकार ओमनी नेट द्वारा नए संयोजन हेतु झटपट पोर्टल बनाया गया है। जिसमें व्यवहारिक स्तर पर कई कमियां है, लगभग डेढ़ वर्ष बीत जाने के उपरांत भी क्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा इंगित कमियों का निराकरण नहीं किया जा रहा है। आनलाइन बिलिंग सिस्टम जो कि न तो पूर्ण रूप से कार्यशील है और न ही सही तरीके से कार्य कर रहा है। ऐसे में यह अति आवश्यक है कि इसकी पुनर समीक्षा करके इसके सभी एप्लीकेशंस को सक्रिय करते हुए जियोग्राफिकल इंफार्मेशन सिस्टम (जीआइएस) तथा चेंज मैनेजमेंट सिस्टम हेतु सभी खंडों को अधिकृत किया जाना चाहिए। जिससे सभी उपभोक्ताओं का जीआईएएस के द्वारा सही तरीके से लेखा-जोखा रखा जा सके।

दो दर्जन ऐप और पोर्टल चल रहे

संघर्ष समिति के स्थानीय संयोजक इ.अदालत वर्मा ने बताया कि कारपोरेशन में वर्तमान में लगभग दो दर्जन ऐप पोर्टल क्रियाशील है। जिन्हें पारदर्शिता, समय की बचत,बेहतर उपभोक्ता सेवा प्रदान करने आदि कार्यों हैतु लागू किए गए हैं। जिन पर भारी व्यय किया जा रहा है, परंतु अत्याधिक ऐप एवं पोर्टल होने की वजह से क्षेत्रों में कार्यरत अभियंताओं का अधिकांश समय विभिन्न प्रकार की सूचनाओं को अपलोड करने में खर्च हो रहा है। वहीं दूसरी ओर उच्च प्रबंधन द्वारा इन ऐप व पोर्टल का उपयोग मात्र मानिटङ्क्षरग एवं दंडात्मक कार्यवाहियों के लिए प्रयोग किया जा रहा है। यह कार्य पद्धति समाप्त करते हुए अधिकतम ऐप पोर्टल की संख्या अधिकतम तीन तक सीमित किए जाने की आवश्यकता है 

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