जौनपुर में वन विभाग की औषधीय वाटिका में पाैधे खुद बताएंगे अपने उपयोग के तरीके
कोरोना काल ने आक्सीजन व औषधि की महत्ता को अच्छे से समझा दी है। लोग पौधा लगाकर आक्सीजन की कमी को दूर कर सकें और उनके औषधीय गुणों को जान सकें इसके लिए वन विभाग एक हेक्टेयर क्षेत्र में औषधीय वाटिका स्थापित करने जा है।
जागरण संवाददाता, जौनपुर। कोरोना काल ने आक्सीजन व औषधि की महत्ता को अच्छे से समझा दिया है। लोग पौधा लगाकर आक्सीजन की कमी को दूर कर सकें और उनके औषधीय गुणों को जान सकें, इसके लिए वन विभाग एक हेक्टेयर क्षेत्र में औषधीय वाटिका स्थापित करने जा है। औषधीय वाटिका में प्रत्येक पौधों के पास एक बोर्ड भी लगाया जाएगा, जिसमें संबंधित पौधों के औषधीय गुणों की जानकारी दी जाएगी। इसका मकसद आमजन तक पौधों को पहचान कर उनके औषधीय गुणों के प्रयोग के तरीके बताना है। पर्यावरण संरक्षण व आमलोगों को संजीवनी देने के लिहाज से इस महत्वपूर्ण पहल की शुरुआत को लेकर जरूरी औपचारिकताओं को पूरा कर लिया गया है।
वाटिका को जगदीशपुर स्थित रेलवे यार्ड के समीप नर्सरी में स्थापित किया जाएगा। इसके लिए एक हेक्टेयर क्षेत्र आरक्षित कर लिया गया है। वन विभाग की इस भूमि का काफी समय से समुचित उपयोग नहीं किया जा रहा था। ऐसे में यह नायाब तरीका निकाला गया है। वाटिका में 60 फीसद पौधे जिले के ही होंगे, जबकि कुछ को बाहर से मंगाया जाएगार। उदाहरण स्वरूप यहां गिलोय बहुतायत मात्रा में पाया जाता है। कोरोना काल में लोगों ने बड़ी संख्या में इसका सेवन कर न सिर्फ स्वस्थ हुए, बल्कि कोरोना को भी मात दी। इसके अलावा आंवला, हरशृंगार, बेल, नीम, पीपली, ब्राह्मी, तुलसी, चिरइया, अश्वगंधा, लजवंती, हड़जोरा, मीठा घास आदि के पौधों को भी लगाया जाएगा। इन पौधों के पास में ही एक पट्टिका पर उनकी खूबियां लिखी होंगी, जिससे यहां आने वाले लोग पौधों के औषधीय गुणों से रूबरू हो सकें।
आमलोगों को भी मिलेगी सुविधाखासबात यह है कि यह वाटिक एक निश्चित समय के लिए आमलोगों के लिए भी खुली रहेगी। इसके साथ ही जरूरत के हिसाब से आमजन भी इसका प्रयोग कर सकेंगे। वन विभाग की नर्सरी में जो पौधे उपलब्ध नहीं होंगे, उन्हें बाहर से मंगाया जाएगा।
बोले अधिकारी : औषधीय वाटिका को स्थापित करने के लिए भूमि चिन्हित कर ली गई है। पर्यावरण संरक्षण के साथ ही जरूरतमंद लोगों को भी इससे मदद मिलेगी। इसमें कुल 11 सौ पौधे लगाए जाएंगे। उन पौधों को प्राथमिकता दी जाएगी, जो यहां की जलवायु के हिसाब से उपयुक्त हों। अगले महीने तक इसे तैयार कर लिया जाएगा। -प्रवीण खरे, डीएफओ।