वाराणसी-गोरखपुर फोरलेन का निर्माण के लिए आए मोरंग की पहले होगी जांच, इसके बाद ही प्रयोग

वाराणसी-गोरखपुर फोरलेन का निर्माण के लिए आए मोरंग की पहले जांच होगी इसके बाद ही प्रयोग होगा। जांच में फेल होने पर कतई इसका प्रयोग नहीं किया जाएगा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Thu, 16 Jul 2020 08:54 PM (IST) Updated:Fri, 17 Jul 2020 01:05 AM (IST)
वाराणसी-गोरखपुर फोरलेन का निर्माण के लिए आए मोरंग की पहले होगी जांच, इसके बाद ही प्रयोग
वाराणसी-गोरखपुर फोरलेन का निर्माण के लिए आए मोरंग की पहले होगी जांच, इसके बाद ही प्रयोग

गाजीपुर, जेएनएन। वाराणसी-गोरखपुर फोरलेन का निर्माण के लिए आए मोरंग की पहले जांच होगी, इसके बाद ही प्रयोग होगा। जांच में फेल होने पर कतई इसका प्रयोग नहीं किया जाएगा। एनएचएआइ के परियोजना निदेशक के निर्देश पर सभी का नमूना भी लिया जा चुका है। उन्होंने चेताया भी है कि अगर जांच रिपोर्ट आने से पहले इस मोरंग का प्रयोग किया गया तो कड़ी कार्रवाई होगी। इससे संबंधितों के होश उड़े हुए हैं।

वाराणसी-गोरखपुर फोरलेन के लिए सोन नदी के बालू को प्रयोग करने का आदेश दिया गया है। वर्तमान समय में नदी में पानी भर जाने के कारण वहां से मोरंग नहीं आ रहा है। कार्य प्रभावित न हो इसके लिए दूसरे जगह मोरंग आना शुरू हुआ। इसको देखते हुए एनएचएआइ के परियोजना निदेशक एसपी पाठक ने कार्यदायी संस्था को चेताया है कि जो भी मोरंग आएंगे पहले उनकी जांच होगी, इसके बाद ही प्रयोग होगा। इसके बाद एनएचएआइ के अधिकारियों ने गिराए गए सभी मोरंग का सैंपल लेकर जांच के लिए भेज दिया है। रिपोर्ट आने पर इसका प्रयोग किया जाएगा। बता दें कि स्थानीय ग्रामीण भी इसको लेकर एनएचएआइ के अधिकारियों से शिकायत की थी।

मिट्टी डालकर छोडऩे से चोटिल हो रहे राहगीर

सड़क के दोनों तरफ गन्नापुर से बरही तक मिट्टी डालकर छोड़ देने कीचड़ में बरसात में राहगीर गिर जा रहे हैं। सड़क पर न कहीं डायवर्जन बोर्ड लगाया गया है और न ही काम हो रही सड़क के पटरी को बंद किया जाता है। इससे हमेशा प्राय: दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। सुभाष राम, सुनील सिंह, रामविलास यादव, पुनीत सिंह, सुनील कुमार आदि ने आरोप लगाया कि कार्यदायी संस्था द्वारा जगह जगह सड़क को खोदकर छोड़ देने से बहुत परेशानी होती है।

सोन नदी में पानी भर जाने के कारण यहां से मोरंग नहीं आ रहा

सोन नदी में पानी भर जाने के कारण यहां से मोरंग नहीं आ रहा है। इसलिए आदेश दिया गया है कि वर्तमान में गिरने वाले मोरंग की पहले जांच होगी, इसके बाद इसका प्रयोग होगा।

- एसपी पाठक, परियोजना निदेशक एनएचएआई।

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