वाराणसी में ऐसे सुधर सकता है यातायात, ये हैं कुछ अहम सुझाव
अभी बनारस में वाहनों की औसतन स्पीड 11 किलो मीटर प्रति घंटे है इसे बढ़ाकर 15 किलो मीटर करना है।
पीएम का संसदीय क्षेत्र इन दिनों जाम के मामले में यूपी में नंबर वन बना हुआ है। पिछले साल खुद मुख्यमंत्री ने बनारस की जाम की समस्या पर बेहद नाराजगी जताई थी। उसके बाद तो जैसे बनारस की सबसे बड़ी समस्या जाम बन गई। बनारस में विकास की गति तो परवान चढ़ी है मगर जाम की समस्या आज भी बरकरार है। हर कोई बनारस आना तो चाहता है मगर यहां एक बार आने के बाद जाम से दोबारा आने में घबराता है, इससे जल्द ही खत्म करने की कोशिश हो रही है।
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उनका कहना है कि बनारस को हर हाल में जाम मुक्त बनाएंगे, इसके लिए चाहे जो कुछ करना पड़े उसे किया जाएगा। कहा, आज बनारस में तमाम कवायद की जा रही है इससे जाम से काफी हद तक राहत भी मिली है मगर अब भी और कई कदम उठाने की जरूरत है। सुझाव के तौर पर लोगों को सहयोग करना होगा। उन्हें गलत पार्किंग नहीं करनी होगी, तीन सवारी से परहेज करते हुए गलत दिशा में वाहन भी नहीं चलाना होगा।
हेलमेट लगाकर चलें और जाम लगने पर भी अपना लेन छोड़कर दूसरे लेन में न जाएं। इन तमाम छोटे-छोटे प्रयासों से जाम की समस्या से काफी हद तक राहत मिल जाएगी। यह प्रयास यदि हकीकत में बदला तो काफी हद तक अपराध में भी कमी लाई जा सकेगी। उदाहरण के तौर पर यदि लोग अपने लेन में चलेंगे तो दूसरा लेन साफ रहेगा। घटना होने के बाद पुलिस अपराधी को पकडऩे के लिए दूसरे लेन से तत्काल पीछा कर सकती है। लेकिन यदि दोनों लेन पैक होगा तो अपराधी तत्काल भाग जाएगा और फिर घटनाओं को थामने में कठिनाई आती रहेगी।
एसपी ट्रैफिक का कहना है कि अभी बनारस में वाहनों की औसतन स्पीड 11 किलो मीटर प्रति घंटे है इसे बढ़ाकर 15 किलो मीटर करना है। इस प्रयास को सफल बनाने के लिए हमें समय-समय पर अतिक्रमण हटाना होगा। हमें इस बात पर ध्यान देना होगा कि चौराहे तिराहे हर हाल में चलें। अभी आठ चौराहों को नॉन स्टाप किया जा चुका है। आने वाले कुछ महीनों में और 16 चौराहों को नॉन स्टाप किया जाएगा।
यातायात व सिविल पुलिस संग प्रशासन लगातार शहर में यातायात समस्या को दूर करने व अपराध में कमी लाने की दिशा में काम कर रहा है। मगर हमारी भी कुछ जिम्मेदारी बनती है। हमें व्यवस्था में सहयोग करना होगा। केवल बजट मिलने से और साधन संसाधन की उपलब्धता मात्र से ही व्यवस्था नहीं बदल सकती। इसके लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करना होगा।
मसलन, भौगोलिक दृष्टि से बनारस गलियों का शहर है। पर्यटकों की भरमार, छुट्टा पशुओं की धमा चौकड़ी, सन्यासियों का जमावड़ा आदि के बीच व्यवस्था बनाना बेहद कठिन होता है मगर जनता का भी सहयोग मिल जाए। लोग यदि बनाए गए नियमों का बस पालन करने लगें तो वह दिन दूर नहीं जब कुछ महीनों में ही व्यवस्था बेहद बदली नजर आएगी। अभी हेलमेट के लिए अभियान चल रहा है, आने वाले समय में यातायात नियमों की अवहेलना न हो इसके लिए रोज अभियान चलेगा।
-सुरेश चंद्र रावत, एसपी ट्रैफिक
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