सारनाथ में पुरातात्विक धरोहर के हेरिटेज जोन से हटेंगे कई मोहल्ले, महायोजना 2031 में होगा संशोधन

वीडीए बोर्ड ने 119वीं बैठक में महायोजना-2031 में संशोधन करने के प्रस्ताव के साथ शासन से अनुमति मांगी है। वहीं सारनाथ के कई मोहल्ले और आराजी नंबर हेरिटेज जोन से बाहर हो जाएंगे।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 01 Jul 2020 11:07 AM (IST) Updated:Wed, 01 Jul 2020 04:50 PM (IST)
सारनाथ में पुरातात्विक धरोहर के हेरिटेज जोन से हटेंगे कई मोहल्ले, महायोजना 2031 में होगा संशोधन
सारनाथ में पुरातात्विक धरोहर के हेरिटेज जोन से हटेंगे कई मोहल्ले, महायोजना 2031 में होगा संशोधन

वाराणसी, [जेपी पांडेय]। सारनाथ में पुरातात्विक धरोहर के संरक्षित क्षेत्र (हेरिटेज जोन) से जल्द ही कई मोहल्ले बाहर होंगे। वहां रहने वाले सैकड़ों भू-स्वामियों की काफी दिनों से चल रही मांग पूरी होने के साथ वीडीए नक्शा भी पास करेगा। वाराणसी विकास प्राधिकरण बोर्ड ने 119वीं बैठक में महायोजना-2031 में संशोधन करने का प्रस्ताव पास करने के साथ शासन से अनुमति मांगी है। अनुमति मिलने के साथ सारनाथ के कई मोहल्ले और आराजी नंबर हेरिटेज जोन से बाहर हो जाएंगे। भगवान बुद्ध की प्रथम उपदेशस्थली सारनाथ बौद्ध अनुयायियों के तीर्थस्थल में एक है। यहां धम्मेख और चौखंडी स्तूप पुरातात्विक धरोहर के रूप में हैं।

वीडीए महायोजना-2031 में सारनाथ क्षेत्र को हेरिटेज जोन मानते हुए नक्शा पास नहीं करता है। वहीं, कुछ नक्शे पास होने और सवालों के घेरे में आने पर वीडीए वीसी राहुल पांडेय ने तत्काल नक्शे पास करने पर रोक लगा दी। अपनी गलती को सुधारने के लिए वीडीए ने बोर्ड में प्रस्ताव पास करते हुए महायोजना-2031 में संशोधन का प्रस्ताव शासन को भेजा है।

चौखंडी स्तूप का कम हुआ दायरा

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग चौखंडी स्तूप की बाउंड्री के बाहर सीमा मानते हुए कार्रवाई कर रहा था। बाउंड्री से कहीं 20 तो 50 मीटर तक दूरी मानते हुए कार्रवाई कर रहा था जो व्यावहारिक दृष्टि से गलत था। इसका क्षेत्रीय लोग काफी दिनों से विरोध कर रहे थे। पुरातत्व विभाग ने नोटिफिकेशन करते हुए चौखंडी स्तूप का दायरा कम करते हुए बाउंड्री कर दिया है। इसे अब वीडीए आधार मान रहा है। 

यह है नियम 

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के मुताबिक पुरातात्विक धरोहर की बाउंड्री से 100 मीटर के दायरे में किसी प्रकार का निर्माण नहीं हो सकता है। 300 मीटर के दायरे में निर्माण करने से पहले भवन स्वामी को पुरातत्व विभाग से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेना पड़ता है। यह एनओसी दिल्ली से मिलती है।

इन गांवों को लेनी पड़ती है एनओसी

बरईपुर, गंज, परशुरामपुर, घुरहूपुर और सिंहपुर गांव के ज्यादातर क्षेत्र पुरातात्विक धरोहर से काफी दूर हैं, फिर भी पुरातत्व विभाग से एनओसी लेनी पड़ती है। एनओसी नहीं मिलने पर लोग अवैध निर्माण करते हैं। 

सारनाथ नहीं है व्यावसायिक क्षेत्र

वीडीए की महायोजना-2031 के मुताबिक सारनाथ क्षेत्र व्यावसायिक नहीं है। यहां आवासीय और व्यावसायिक भवनों का नक्शा पास नहीं हो सकता है जबकि यहां कई होटल, दुकान, रेस्टोरेंट समेत अन्य व्यावसायिक कार्य हो रहे हैं। वीडीए के मुताबिक 18, 24 और 30 मीटर चौड़ी सड़कें व्यावसायिक होती हैं जबकि सारनाथ में कई सड़कें इतनी चौड़ी हैं।

घ का मतलब निषिद्ध 

वीडीए ने सारनाथ को घ श्रेणी यानि निषिद्ध में रखा है। यहां कोई निर्माण नहीं हो सकता और न ही वीडीए कोई मानचित्र स्वीकृत करेगा। यह नियम पुरातात्विक धरोहर से 100 मीटर के दायरे में लागू होता है, जबकि धरोहर से 100 मीटर के दायरे के बाद के क्षेत्र को ख श्रेणी में रखना चाहिए, जहां निर्माण हो सकता है।

वीडीए की महायोजना-2031 में गड़बड़ी

उपाध्यक्ष राहुल पांडेय वीडीए की महायोजना-2031 में गड़बड़ी है। उसे संशोधित करने के लिए वीडीए बोर्ड में पास कर स्वीकृति के लिए शासन को भेजा गया है। अनुमति मिलते ही सारनाथ के कई क्षेत्रों में आसानी से नक्शा पास हो सकेंगे। अभी वे हेरिटेज जोन में हैं। इससे अवैध निर्माण रुकने के साथ वीडीए को राजस्व मिलेगा।

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