Mahashivaratri 2021 : महाशिवरात्रि पर विवाहोत्सव के लिए बाबा विश्वनाथ और माता गौरा का हुआ विशेष अनुष्ठान

महाशिवरात्रि मां गौरा और भगवान शंकर की प्रतिमाओं का महंत आवास टेढीनीम पर हुआ विशेष अनुष्ठान कर विवाहोत्सव की परंपराओं का संचालन किया गया। महिलाओं ने मंगल गीत गाकर माहौल को भक्तिमय कर दिया। महंत आवास पर 357 वर्षों से लोकपरंपरा चली आ रही है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Thu, 11 Mar 2021 07:20 PM (IST) Updated:Thu, 11 Mar 2021 07:20 PM (IST)
Mahashivaratri 2021 : महाशिवरात्रि पर विवाहोत्सव के लिए बाबा विश्वनाथ और माता गौरा का हुआ विशेष अनुष्ठान
मां गौरा और भगवान शंकर की प्रतिमाओं का महंत आवास पर विशेष अनुष्ठान कर विवाहोत्सव का आयोजन किया गया।

वाराणसी, जेएनएन। महाशिवरात्रि मां गौरा और भगवान शंकर की प्रतिमाओं का महंत आवास, टेढ़ीनीम पर हुआ विशेष अनुष्ठान कर विवाहोत्सव की परंपराओं का संचालन किया गया। बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ की पंचबदन रजत प्रतिमा बंसत पंचमी  पर तिलकोत्सव के बाद परंपरानुसार शिव-विवाह के लिए मंगलवार को तेल-हल्दी की रस्म के बाद गुरुवार को महाशिवरात्रि पर बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ और माता गौरा की प्रतिमा का विशेष वर-वधु के रूप मे  श्रृंगार किया गया। दुल्हा बने बाबा की प्रतिमा को सेहरा लगाया गया था वहीं माता गौरा विशेष गुजरात से मंगवायी गयी गुलाबी लहंगा मे सजी थी। दोपहर भोग आरती के बाद संजीव रत्न मिश्र ने बाबा व माता की प्रतिमा का श्रृंगार किया कर आरती की। टेढ़ीनीम महंत आवास पर 357 वर्षों से चली आ रही लोकपरंपरा के अनुसार महंत डाक्‍टर कुलपति तिवारी ने बाबा व गौरा की प्रतिमा की सायंकाल 8 से 9 तक विवाह की परंपरा का निर्वहन कर आरती की। इस मौके उपस्थित श्रद्धालु महिलाओं ने मंगल गीत गाकर माहौल को भक्तिमय कर दिया। सुबह ब्रह्ममुहुर्त में प्रतिमाओं का रुद्राभिषेक के बाद दोपहर मे फलाहर का भोग लगाकर राजसी श्रृंगार किया गया सायंकाल मंगलगीतों के साथ परंपरा की शुरुआत हुई।

बाबा की प्रतिमा का विवाहोत्सव नये महंत आवास, टेढ़ीनीम में मनाया गया। महंत डॉ कुलपति तिवारी  के अनुसार महंत परिवार  बाबा विश्वनाथ रजत प्रतिमाओं के साथ सभी निजी प्रतिमाओं को महाशिवरात्रि पर पूजन के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम में महेन्द्र प्रसन्ना शहनाई , डॉ.अमलेश शुक्ल, स्नेहा अवस्थी- गायन सन्तोष-आर्गन, विवेक-पैड, भोला-ढोलक, कन्हैया दुबे केडी, संजीव रत्न मिश्र के संयोजन मे प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के बाद रात्रि मे मंदिर में चारों प्रहर की विशेष आरती पं.शशिभूषण त्रिपाठी गुड्डू महाराज ने संपन्न करायी। रंगभरी (अमला) एकादशी पर माता के गौना की रस्म निभाई जाएंगी।

श्रद्धा अपार, पंचकोश परिक्रमा करने वालों की अंतहीन कतार

भोर में मणिकर्णिका घाट से संकल्प लेकर आस्थावानों ने पंचकोश परिक्रमा की शुरुआत की। पूरे रास्ते भर परिक्रमा करने वालों की सेवा में जुटे सेवादारों में भी अपार श्रद्धा दिखी। कोई पानी पिलाने में जुटा है तो कोई उनका थकान मिटाने में। तो कोई पांव में चुभे कंकण निकलने में। तो कोई उनकी भूख मिटाने में। भोर से शुरू हुई इस परिक्रमा पथ में जुटे सेवादारों ने परिक्रमियों की अंतहीन कतार की पूरी शिद्दत से सेवा किया और पुण्य के भागी बने।

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