जनेश्वर मिश्र ने आजीवन नहीं छोड़ी सरलता व सादगी, जयंती पर याद किए गए समाजवादी पुरोधा

समाजवादी पार्टी की ओर से लोहिया भवन पर बुधवार को समाजवादी पुरोधा जनेश्वर मिश्र की जयंती पर माल्यार्पण कार्यक्रम एवं विचार गोष्ठी हुई।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Fri, 07 Aug 2020 08:24 AM (IST) Updated:Fri, 07 Aug 2020 05:05 PM (IST)
जनेश्वर मिश्र ने आजीवन नहीं छोड़ी सरलता व सादगी, जयंती पर याद किए गए समाजवादी पुरोधा
जनेश्वर मिश्र ने आजीवन नहीं छोड़ी सरलता व सादगी, जयंती पर याद किए गए समाजवादी पुरोधा

गाजीपुर, जेएनएन। समाजवादी पार्टी की ओर से लोहिया भवन पर बुधवार को समाजवादी पुरोधा जनेश्वर मिश्र की जयंती पर माल्यार्पण कार्यक्रम एवं विचार गोष्ठी हुई। उनकी स्मृति में पौधरोपण किया गया। नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए लोकतंत्र की रक्षा एवं गरीबों की मदद करने का संकल्प लिया।

जिलाध्यक्ष रामधारी यादव ने उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। कहा कि जनेश्वर जी खांटी समाजवादी थे। वह समाजवादी आंदोलन व ङ्क्षचतन के पाठशाला थे। अन्याय, शोषण, अत्याचार, भेदभाव, पूंजीवाद के खिलाफ आजीवन संघर्ष करते रहे। गरीबों, शोषितों के प्रति उनके मन में गहरी पीड़ा थी। वह हमेशा लोगों से कहा करते थे कि गरीबों के आंसुओं को पोछना ही सच्चा समाजवाद है। जनेश्वर ने आजीवन सरलता और सादगी नहीं छोड़ी। डा. लोहिया ने कहा था कि जनेश्वर जी जैसा एक भी नेता अगर मुल्क में रहेगा तो तानाशाही ताकत देश में कभी अपना सर नहीं उठा सकती। अस्पृश्यता के खिलाफ उन्होंने जीवनपर्यन्त लड़ाई लड़ी और इसके खिलाफ आंदोलन भी किया। छुआछूत को वह देश के लिए कलंक मानते थे। उनके मन में बचपन से ही सामाजिक व्यवस्था में व्याप्त विसंगतियों के प्रति विद्रोह की भावना थी आंदोलन और संघर्ष उनके जीवन के मूल मंत्र थे।

सदैव सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के पैरोकार रहे

जिला पंचायत की अध्यक्ष आशा यादव ने कहा कि जनेश्वर जी सदैव सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के पैरोकार रहे। उनके बताए रास्ते पर चलकर समाजवादी परंपरा को आगे बढ़ाएंगे। यही उनके प्रति सही सम्‍मान होगा। पूर्व जिलाध्यक्ष राजेश कुशवाहा, पूर्व प्रमुख विजय यादव, अशोक बिंद, सदानंद यादव, सत्येंद्र यादव सत्या, अरुण कुमार श्रीवास्तव, आत्मा यादव, डा. समीर सिंह, तहसीन अहमद, संग्राम बिंद, बलराम यादव, दिनेश यादव, डा. सीमा यादव, आजाद राय, नन्हे, आदित्य यादव, तहसीन अहमद अवधेश यादव आदि थे। संचालन कन्हैयालाल विश्वकर्मा ने किया।

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