संस्कृत विवि में करोड़ों रुपये के प्रकाशन घोटाले में अब बयानों की सत्यता के परीक्षण में उलझी ईओडब्ल्यू

Sanskrit Universit Publishing Scam संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रकाशन घोटाले की जांच बयानों में उलझ कर रह गई है। घोटाले की जांच कर रही आर्थिक अपराध अनुसंधान संस्थान (ईओडब्ल्यू) ने गत दिनों 15 कर्मचारियों को नोटिस दिया था।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Mon, 14 Dec 2020 12:10 PM (IST) Updated:Mon, 14 Dec 2020 12:10 PM (IST)
संस्कृत विवि में करोड़ों रुपये के प्रकाशन घोटाले में अब बयानों की सत्यता के परीक्षण में उलझी ईओडब्ल्यू
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रकाशन घोटाले की जांच बयानों में उलझ कर रह गई है।

वाराणसी, जेएनएन। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रकाशन घोटाले की जांच बयानों में उलझ कर रह गई है। घोटाले की जांच कर रही आर्थिक अपराध अनुसंधान संस्थान (ईओडब्ल्यू) ने गत दिनों 15 कर्मचारियों को नोटिस दिया था। नोटिस का जवाब सभी कर्मचारियों ने दे दिया। जवाब में सभी कर्मचारियों ने पल्ला झाड़ लिया है।

अब ईओडब्ल्यू बयानों की सत्यता का परीक्षण करने में जुटी हुई हैै। बहरहाल जांच पड़ताल का गति काफी सुस्त चल रही है।

शासन ने दुर्लभ पांडुलिपियों के प्रकाशन के लिए विश्वविद्यालय को लगभग वर्ष 2001 से 2010 के बीच दस करोड़ 20 लाख 22 हजार रुपये का भुगतान किया था। आरोप है कि बगैर ग्रंथों के प्रकाशन के ही फर्जी तरीके से छह करोड़, 53 लाख 23 हजार 763 रुपये का भुगतान प्रिंटर्स को दिया गया है। इसके लिए तत्कालीन कुलपति प्रो. वी. कुटुम्ब शास्त्री के हस्ताक्षर के फर्जी मुहर का इस्तेमाल किया गया। कुलपति के हस्ताक्षर का मोहर लगाकर फर्जी तरीके से करोड़ों रुपये का भुगतान कर दिया गया। इसकी जांच कर रही ईओडब्ल्यूएच तत्कालीन कुलपति, लेखा विभाग के कर्मचारियों को तलब किया गया था। उसी बयान के दौरान लेखा विभाग के कर्मचारियों ने इसके लिए तत्कालीन लेखा अधीक्षक को जिम्मेदार ठहराया है।

दूसरी ओर लेखा अधीक्षक सेवानिवृत्त हो चुके हैं। यह देखते हुए ईओडब्ल्यू ने पूर्व लेखा अधीक्षक को भी नोटिस दिया है। वहीं पूर्व कुलपति प्रो. राजेंद्र मिश्र व तत्कालीन कुलपति प्रो. वी. कुटुम्ब शास्त्री ने अपना लिखित बयान भेजा है। दोनों पूर्व कुलपतियों ने फर्जी मोहर के मामने में अनभिज्ञता जताई है। ईओडब्ल्यूएच के इंस्पेक्टर विश्वजीत प्रताप सिंह ने फर्जी मोहर के मामले में अभी विवेचना जारी की है। जब तक पूर्व वित्त अधिकारियों का बयान भी नहीं हो जाता है तब तक कुछ कहना संभव नहीं है।

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