नए बजट में हमें बचत की प्राचीन पद्धति को अब अपनाना होगा, मध्यम वर्ग कंजूसी से करता है बचत

बजट-2020 का अध्ययन करते ऐसा लगता है कि हमें प्राचीन बचत की पद्धति अपनानी होगी। हमारे देश का मध्यम वर्ग अतिरिक्त धन से बचत की बजाय किफायती या कहें कि कंजूसी करता है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Tue, 11 Feb 2020 01:19 PM (IST) Updated:Tue, 11 Feb 2020 01:19 PM (IST)
नए बजट में हमें बचत की प्राचीन पद्धति को अब अपनाना होगा, मध्यम वर्ग कंजूसी से करता है बचत
नए बजट में हमें बचत की प्राचीन पद्धति को अब अपनाना होगा, मध्यम वर्ग कंजूसी से करता है बचत

वाराणसी, जेएनएन। बजट-2020 का अध्ययन करते ऐसा लगता है कि हमें प्राचीन बचत की पद्धति अपनानी होगी। हमारे देश का मध्यम वर्ग अतिरिक्त धन से बचत की बजाय किफायती या कहें कि कंजूसी करता है। यह भी सच है कि दिखावा भरी जिंदगी में मध्यम वर्ग के खर्चें इतने अधिक हैं कि वह कहां से अतिरिक्त धन लाकर बचत करे। खर्च को सीमित कर बचत हमारी पारंपरिक पद्धति रही है। दुनिया भर के कई देश जब मंदी की चपेट में आए  तो भारत की इसी बचत प्रणाली ने हमें मंदी से बचाया। वर्तमान में उसी बचत की जरूरत फिर महसूस हो रही है।

जागरण विमर्श में इस बार 'विकल्प वाली आयकर व्यवस्था कितनी उपयोगी' पर अपनी बात रखने के लिए सोमवार को दैनिक जागरण कार्यालय में मौजूद थे महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ स्थित वाणिज्य संकाय के प्रो. कृपाशंकर जायसवाल। उन्होंने वर्तमान व प्रस्तावित आयकर व्यवस्था को लेकर बेबाकी से राय रखी। कहा कि इस प्रस्तावित बजट में करों की दी गई व्यवस्था में नए वेतनभोगियों को कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है। सरकार ने कई ऐसे कर छूट खत्म कर दिए जिससे संरचनात्मक क्षेत्र का कामगार बड़ा हिस्सा प्राप्त करता था।

पुरानी व्यवस्थाएं हुईं खत्म

अभी तक कर व्यवस्था में साठ से अस्सी साल वालों के लिए तीन लाख व इससे ज्यादा के लिए पांच लाख रुपये तक की आय को कर से मुक्त रखा गया था, लेकिन नए कर प्रणाली में यह व्यवस्था भी खत्म कर दी गई है। इससे वरिष्ठ नागरिकों को खासी दिक्कत हो सकती है।

कई कर छूट हुए समाप्त

वर्तमान में 80सी, 80 सीसीडी, 80 सीसीसी में 1.50 लाख रुपये तक कर छूट मिलता है। वहीं 80 सीसीडी के तहत एनपीएस में जमा धन पर 50 हजार रुपये मिलता है। हालांकि नई कर व्यवस्था में इसे खत्म कर दिया गया है। सेक्शन 80डी के तहत मेडिकल बीमा प्रीमियम साठ वर्ष से कम आयु वालों को 25 हजार व इससे ज्यादा वालों को 50 हजार रुपये मिलते थे, यह व्यवस्था भी अब एक अप्रैल से लागू नहीं होगी। इसके अलावा बैंक जमा पर ब्याज मद में सामान्य नागरिकों को 80टीटीए के अंतर्गत दस हजार रुपये व सीनियर सिटीजन को 80टीटीबी के तहत 50 हजार रुपये की छूट मिलती थी, उसका भी समापन अब नई कर प्रणाली में हो जाएगा।

वरिष्ठ नागरिकों को नुकसान

नई कर व्यवस्था में सेक्शन 80 के तहत साठ वर्ष से कम आयु वालों को 2 लाख 85 हजार रुपये की अधिकतम की हानि हो रही है। वरिष्ठ नागरिकों का इस सेक्शन के तहत 3 लाख 50 लाख रुपये का अधिकतम नुकसान होगा। वहीं मकान के लिए ऋण लेने पर ब्याज मद में सेक्शन 24 के अंतर्गत दो लाख रुपये तक ब्याज कटौती व वेतन शीर्षक में धारा 16 के तहत 50 हजार रुपये तक की जो स्टैंडर्ड डिडक्शन छूट मिल रही थी उसकी भी अब हानि हो रही है। देखा जाए तो प्रस्तावित कर व्यवस्था से साठ साल से कम उम्र के करदाताओं को अधिकतम 5 लाख 35 हजार रुपये व इससे ज्यादा उम्र वालों को अधिकतम छह लाख रुपये का नुकसान है।

विवाद व विश्वास

इस बजट में खास यह है कि 31 मार्च 2020 तक करदाता बिना किसी पेनाल्टी के अपने कर दायित्वों से मुक्त हो सकते हैं। इससे जो कर अरसे तक सरकार के राजकोष से नहीं जुड़ पाते थे वो जमा होंगे। इस तरह विवाद से विश्वास की ओर चलने की बात यहां की गई है। वहीं कैशलेस से सभी आनलाइन प्रक्रिया में करदाता को आयकर अधिकारी के सामने आना-जाना नहीं पड़ेगा।

बचत से सुधरेगी अर्थव्यवस्था

अगर आप अनर्गल खर्च रोककर बचत करते हैं, तो भविष्य में उस धन का उपयोग वाजिब मद में कर सकेंगे। इससे देश की अर्थव्यवस्था के साथ  आपकी साख में भी सुधार होगा। व्यय बढ़ेगा तो देश में वस्तुओं की मांग बढ़ेगी व आपूर्ति में वृद्धि देश को बेरोजगारी, महंगाई व मंदी जैसे कई संकट से निकाल देगी।

मुख्य अतिथि का परिचय

प्रो. कृपाशंकर जायसवाल आइक्यूएसी व रूसा के समन्वयक भी हैं। आप वाणिज्य संकाय के डीन व प्रबंधशास्त्र संस्थान के निदेशक भी रह चुके हैं। वर्तमान में वह नार्थ जोन के कार्यकारिणी सदस्य भी हैं। स्नातक व स्नातकोत्तर के छात्रों को 35 वर्षों से आयकर व आयकर नियोजन पढ़ा रहे हैं। इंडियन कामर्स एसोसिएशन की ओर से वर्ष 2019 में उन्हें फेलो अवार्ड व बेस्ट बिजनेस एकेडमिक ऑफ द ईयर अवार्ड-2015 से सम्मानित किया जा चुका है। वर्तमान में उनकी आठ पुस्तकें, 50 से अधिक शोध निबंध प्रकाशित हो चुके है। साथ ही वह 100 से अधिक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में प्रतिभाग भी कर चुके हैं।

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