विश्वनाथ कारिडोर में लगाया जाए महंत परिवार का साढ़े तीन सौ वर्षों से अधिक का इतिहास

भारतीय सवर्ण संघ के महासचिव पं. साधु तिवारी ने कहा है कि काशी विश्वनाथ मंदिर कारिडोर में मंदिर के महंत परिवार का बीते साढ़े तीन सौ वर्षों से अधिक का इतिहास भी प्रदर्शीत किया जाना चाहिए। महंत डा. कुलपति तिवारी से आशीर्वाद लेने उनके टेढ़ीनीम स्थित आवास पर पहुंचे थे।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Fri, 05 Mar 2021 10:40 PM (IST) Updated:Fri, 05 Mar 2021 10:40 PM (IST)
विश्वनाथ कारिडोर में लगाया जाए महंत परिवार का साढ़े तीन सौ वर्षों से अधिक का इतिहास
भारतीय सवर्ण संघ के राष्ट्रीय महासचिव पं.साधु तिवारी को रुद्राक्ष की माला प्रसाद स्वरूप भेंट करते डा. कुलपति तिवारी

वाराणसी, जेएनएन। भारतीय सवर्ण संघ के महासचिव पं. साधु तिवारी ने कहा है कि काशी विश्वनाथ मंदिर कारिडोर में मंदिर के महंत परिवार का बीते साढ़े तीन सौ वर्षों से अधिक का इतिहास भी प्रदर्शीत किया जाना चाहिए। शुक्रवार को दिल्ली से काशी पहुंचने के बाद बाबा विश्वनाथ का दर्शन-पूजन करके वह महंत डा. कुलपति तिवारी से आशीर्वाद लेने उनके टेढ़ीनीम स्थित आवास पर पहुंचे थे।

मीडिया से बातचीत में पं. साधु तिवारी ने कहा कि काशी की लोक परंपराओं के निर्वाह में विश्वनाथ मंदिर परिवार का योगदान बहुत ही विशेष है। इस देश में जब अधिकारियों के नाम की सूची उनके कार्यालय में टांगी जा सकती है तो विश्वनाथ कारिडोर में महंत परिवार से जुड़ा विवरण भी प्रदर्शीत करने में किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वनाथ मंदिर की लोक परंपराओं से जुड़े रजत विग्रह अतिशीघ्र डा. तिवारी को उपलब्ध कराए जाने चाहिए। उन्होंने आशंका जताई की इस प्रकरण में वास्तविक जानकारियां प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ से छिपाई गई हैं। वह उनसे मुलाकात का समय लेकर स्वयं इन तथ्यों से उन्हेंं अवगत कराएंगे। पं. तिवारी ने कहा कि भारतीय सवर्ण संघ जातिगत आधार पर आरक्षण समाप्त करने का पक्षधर है। इस संबंध में प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा गया है। जातिगत आरक्षण के कारण दोहरा नुकसान हो रहा है। आरक्षण का लाभ वही लोग उठा पा रहे हैं जो सम्पन्न हो चुके हैं दूसरी तरफ सवर्ण जाति के गरीब किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं पा रहे। जिन लोगों की सालाना आय तीन लाख या इससे कम हैं उन्हेंं आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए चाहे वह किसी भी जाति के हों। सरकार की पेंशन नीति पर आपत्ति करते हुए उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारियों का पेंशन बंद कर देना और जनप्रतिनिधियों को पांच साल तक पेंशन देना कहां का न्याय है। उन्होंने मीडिया कर्मियों के लिए भी ठोस नीति बनाने की मांग प्रदेश सरकार से की है।

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