बातें सेहत की : गाल ब्लैडर स्टोन का भारतीय आयुर्वेद में भी है कारगर रामबाण इलाज

लहुराबीर इलाके की मोनी (बदला हुआ नाम) को सालों से पेट के दाईं तरफ ऊपरी हिस्से में दर्द की शिकायत रहती थी। कभी कभी उल्टी और मिचली भी आती थी।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sun, 05 May 2019 05:23 PM (IST) Updated:Mon, 06 May 2019 07:05 AM (IST)
बातें सेहत की : गाल ब्लैडर स्टोन का भारतीय आयुर्वेद में भी है कारगर रामबाण इलाज
बातें सेहत की : गाल ब्लैडर स्टोन का भारतीय आयुर्वेद में भी है कारगर रामबाण इलाज

वाराणसी [केबी रावत]। लहुराबीर इलाके की मोनी (बदला हुआ नाम) को सालों से पेट के दाईं तरफ ऊपरी हिस्से में दर्द की शिकायत रहती थी। कभी कभी उल्टी और मिचली भी आती थी। आसपास के डॉक्टर्स को दिखाया पर कुछ खास फायदा नही हुआ। फिर वाराणसी के ही एक जाने माने चिकित्सक को दिखाया जहाँ पर जांच में पित्त की थैली में 5 मिमी. पथरी का पता चला। उन्होंने सर्जरी की सलाह दी। बहुत से चिकित्सकों को दिखाया पर सभी ने सर्जरी से पथरी निकलवाने की सलाह दी। लेकिन मोनी को सर्जरी कराने की इच्छा नहीं थी इसलिए सोचा कि आयुर्वेद में एक बार सलाह ली जाए।

इसके लिए उन्होंने चौकाघाट स्थित राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, वाराणसी के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के वैद्य डॉ अजय कुमार से चिकित्सकीय परामर्श लिया और उपचार शुरु किया। लगभग 5 महीने तक इलाज़ के बाद दोबारा अल्ट्रासाउंड कराया गया तो गाल ब्लैडर कि पथरी समाप्त हो चुकी थी।

क्या होता है गाल ब्लैडर स्टोन : खानपान की गलत आदतों की वजह से आजकल लोगों में गॉलस्टोन यानी पित्त की पथरी की समस्या तेजी से बढ़ रही है। गाल ब्लैडर में लगभग अस्सी प्रतिशत पथरी कोलेस्ट्रॉल से ही बनती हैं। पित्त यानी बायल लिवर में बनता है और इसका भंडारण गॉल ब्लैडर में होता है। यह पित्त फैट युक्त भोजन को पचाने में मदद करता है। लेकिन जब पित्त में कोलेस्ट्रॉल और बिलरुबिन की मात्रा ज्यादा हो जाती है, तो पथरी का निर्माण होता है।

पित्त की पथरी के लक्षण : शुरुआती दौर में जब पथरी छोटी होती है तब कोई लक्षण नज़र नहीं आते। जब पथरी का आकार बढ़ जाती है तो गॉलब्लैडर में सूजन, संक्रमण या पित्त के प्रवाह में रुकावट होने लगती है। ऐसी स्थिति में लोगों को पेट के ऊपरी हिस्से की दायीं तरफ दर्द, अधिक मात्रा में गैस की शिकायत, पेट में भारीपन, मिचली आना जैसे लक्षण नज़र आते हैं।

पित्त की पथरी में क्या क्या परहेज करना चाहिए

1. अधिक कोलेस्ट्रॉल वाले खाद्य पदार्थ जैसे कि तला हुआ भोजन, फ्राइड चिप्स से परहेज़ करना चाहिए

2. उच्च वसा वाला मांस जैसे बीफ और पोर्क नही खाना चाहिए

3. दूध के बने उत्पाद जैसे क्रीम, आइसक्रीम, पनीर, फुल-क्रीम दूध से बचना चाहिए। 

4. मसालेदार भोजन और शराब जैसी चीजें भी नही खाना चाहिये।

आयुर्वेदिक इलाज : सामान्यतया गाल ब्लैडर की बाईल डक्ट के चैड़ाई 7 mm तक होती है। अगर पथरी का साइज इससे छोटा हो तो आसानी से 4 से 6 महीने में आयुर्वेद की दवाओं से निकल जाता है। आयुर्वेद में इसके लिए बहुत सी औषधियां है। पथरी की समस्या होने पर जितना जल्दी हो सके किसी योग्य वैद्य की सलाह से दवाओं का सेवन शुरू कर देना चाहिए। इसके लिए ताम्र सिंदूर, हजरुल यहूद भस्म, मेदोहरविडंगदी लौह, फलत्रिकादी क्वाथ जैसी बहुत सी औषधिया है जिनसे इसमे लाभ मिलता है।

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