बड़े व्यापारियों को ई-हियरिंग की सुविधा, कारपोरेट सर्किट के अफसर जारी करेंगे नोटिस

वाराणसी में वाणिज्य कर विभाग ने कारपोरेट सर्किट से जुड़े बड़े व्यापारियों को ई-हियरिंग की सुविधा दी है, व्यापारियेां की शिकायत पर विभाग ने यह कदम उठाया है।

By Edited By: Publish:Sat, 17 Nov 2018 11:00 AM (IST) Updated:Sat, 17 Nov 2018 11:00 AM (IST)
बड़े व्यापारियों को ई-हियरिंग की सुविधा, कारपोरेट सर्किट के अफसर जारी करेंगे नोटिस
बड़े व्यापारियों को ई-हियरिंग की सुविधा, कारपोरेट सर्किट के अफसर जारी करेंगे नोटिस

वाराणसी, जेएनएन। वाणिज्य कर विभाग ने कारपोरेट सर्किट से जुड़े बड़े व्यापारियों को ई-हियरिंग की सुविधा दी है। विभाग ने यह कदम कारपोरेट सर्किल के अधिकारियों की लापरवाही, बड़े व्यापारियों को त्वरित न्याय न देने और बेमतलब परेशान करने की शिकायतों पर उठाया है। विभागीय कमिश्नर कामिनी चौहान रतन ने सभी जोनल एडिशनल कमिश्नर को भेजे पत्र में इसे तत्काल लागू करने का निर्देश दिया है। यह सामान्य शिकायत रही है कि कारपोरेट सर्किल के अधिकारी बड़ी कंपनियों या फर्मो के रिटर्न में त्रुटिया नहीं मिलने के बाद भी परेशान करते हैं। इससे वादों के निस्तारण में विलंब के साथ राजस्व की हानि भी होती है। इन शिकायतों की जानकारी पर विभागीय कमिश्नर ने बड़े व्यापारियों को ई-हियरिंग की सुविधा का आदेश दिया है। इसके तहत किसी त्रुटि पर सर्किल के अफसर संबंधित व्यापारी को ऑनलाइन नोटिस जारी करेंगे। इसका जवाब भी व्यापारी को ऑनलाइन ही देना होगा। विभागीय नोटिस में ही वाछित लेखा पुस्तकों का उल्लेख करना होगा, जिन्हें व्यापारी ऑनलाइन प्रस्तुत करेंगे।

मेल-एसएमएस से सूचना : ऑनलाइन नोटिस व्यापारी को ई-सर्विसेज के रजिस्टर्ड ई-मेल आइडी तथा मोबाइल नंबर पर एसएमएस से भेजा जाएगा। यदि कर निर्धारण अधिकारी को वाछित किसी फार्म आदि की मूल प्रति की जरूरत होगी तो वह अपने माड्यूल के माध्यम से ही व्यापारी को सूचना देंगे। इसमें कार्यालय के अधिकृत कर्मचारी (नाम/पदनाम सहित) का उल्लेख करना होगा, जिसे मूल अभिलेख हस्तगत कराए जाने हैं। वह कर्मचारी ही प्राप्त अभिलेखों की पोर्टल जेनरेटेड प्राप्ति रसीद जारी करेगा। अभिलेख वापसी के लिए भी यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

इसलिए हुआ था कारपोरेट सर्किल का गठन : वाणिज्य कर विभाग में कारपोरेट सर्किल का गठन इस उद्देश्य से किया गया था ताकि हर जोन की 50 बड़ी कंपनियों व फमरें की मॉनीटरिंग ज्वाइंट कमिश्नर स्तर के अधिकारियों से कराई जाए। हालांकि कुछ साल से कारपोरेट सर्किल की कंपनियों व फर्मो से वादों के निस्तारण तथा कर निर्धारण में अनावश्यक विलंब की शिकायतें मिल रही हैं।

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