वाराणसी के बाबतपुर एयरपोर्ट से मिलेगा क्लीयरेंस तो उड़ेगा ड्रोन, प्रतिमाह 200 गांवों का सर्वे

राजस्व परिषद के अध्यक्ष दीपक त्रविेदी ने वीडियोकांफ्रेंसिंग के जरिए बुधवार को भू- स्वामित्व योजना की प्रगति की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने तय टारगेट से कम ड्रोन सर्वे पर नाराजगी जताते हुए इस कार्य में तेजी लाने का निर्देश जिलाधिकारियों को दिया।

By saurabh chakravartiEdited By: Publish:Thu, 26 Nov 2020 07:50 AM (IST) Updated:Thu, 26 Nov 2020 11:21 AM (IST)
वाराणसी के बाबतपुर एयरपोर्ट से मिलेगा क्लीयरेंस तो उड़ेगा ड्रोन, प्रतिमाह 200 गांवों का सर्वे
जिले में अब तक 43 गांवों में ड्रोन से सर्वे कराया जा चुका है।

वाराणसी, जेएनएन। राजस्व परिषद के अध्यक्ष दीपक त्रविेदी ने वीडियोकांफ्रेंसिंग के जरिए भू- स्वामित्व योजना की प्रगति की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने तय टारगेट से कम ड्रोन सर्वे पर नाराजगी जताते हुए इस कार्य में तेजी लाने का निर्देश जिलाधिकारियों को दिया। जिले में अब तक 43 गांवों में ड्रोन से सर्वे कराया जा चुका है। जिला प्रशासन ने सेवापुरी ब्लाक को सबसे पहले इस योजना से आच्छादित करने का लक्ष्य तय किया है।

कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि 25 दिसंबर तक इस ब्लाक में कार्य पूरा कर लिया जाएगा। बाबतपुर एयरपोर्ट की वजह से कुछ गांवों में ड्रोन सर्वे का कार्य पूरा नहीं हो पा रहा है। इस अड़चन को लगभग दूर कर लिया गया है। एयरपोर्ट अथारिटी जब क्लीयरेंस की जानकारी देगा। मतलब, जिस वक्त विमान का आगमन या प्रस्थान नहीं होगा, उसी बीच तय अवधि में उक्त गांवों में ड्रोन से सर्वे का कार्य पूरा कराया जाएगा। एयरपोर्ट अथारिटी के साथ शीघ्र बैठक कर समय तय करते हुए समस्या निस्तारित कर लिया जाएगा।

इस योजना के अंतर्गत पायलट प्रोजेक्ट में ब्लाक सेवापुरी के नौ गांवों को शामिल किया गया था। प्रधानमंत्री ने 11 अक्टूबर को इन गांवों के 591 ग्रामीणों को प्रापर्टी कार्ड ( घरौनी) आनलाइन जारी कर योजना के महत्व के बारे में जानकारी दी थी। पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद ही प्रदेश के 82981 गांवों में भू स्वामित्व योजना प्रभावी किया जा चुका है। राजस्व परिषद ने प्रत्येक माह 200 गांवों का ड्रोन से सर्वे कराने का लक्ष्य दिया है।

योजना का मुख्य उद्देश्य

इस योजना का मुख्य उद्देश्य ऐसे लोगों को जमीन का मालिकाना हक दिया जाना, जो अब तक किसी कारण से अपनी संपत्ति का मालिक नहीं बन सके हैं। हाथ में दस्तावेज नहीं होने के कारण आए दिन इन लोगों की जमीनों पर कब्जा आदि की शिकायतें रहती हैं। शासन का यहां तक मानना है कि गांव में जमीन की लड़ाईयों के पीछे जमीन का दस्तावेज न होना ही है। प्रधानमंत्री ने स्वयं प्रापर्टी कार्ड देते हुए इस बात का उल्लेख किया था कि पहले गांवों में लोग शादी ब्याह के लिए कहीं जाते थे तो घर आने पर पता चलता था कि कोई दूसरा कब्जा जमा लिया है। अब ऐसा नहीं होगा। यह दस्तावेज उनकी संपत्ति को जहां सुरक्षित करेगा वहीं इस पर बैंक से लोङ्क्षनग आदि की सुविधा भी मिल सकेगी। इसी क्रम में ड्रोन सर्वे कर ऐसे लोगों की संपत्ति चिह्नित कर नक्शा बनाया जा रहा है। साथ खतौनी की तरह ही डिजिटल घरौनी कार्ड दिया जा रहा है।

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