पीएम की काशी में डिजिटल लेनदेन से निराशा, 4000 स्वाइप मशीनें लौटाई

पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ही डिजिटल लेन देन अब प्रभावित होने लगा है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 18 Jun 2018 08:45 AM (IST) Updated:Mon, 18 Jun 2018 08:45 AM (IST)
पीएम की काशी में डिजिटल लेनदेन से निराशा, 4000 स्वाइप मशीनें लौटाई
पीएम की काशी में डिजिटल लेनदेन से निराशा, 4000 स्वाइप मशीनें लौटाई

सौरभ चक्रवर्ती, वाराणसी : आठ नवंबर 2016 की वह शाम आज भी शहर को बखूबी याद है, क्योंकि 500 और एक हजार के नोट चलन से बाहर हो गए थे। प्रधानमंत्री ने व्यापारियों और आम जनता से डिजिटल प्लेटफार्म पर चलने का आह्वान किया था। शहर चला भी था, मगर अब सभी थक चुके हैं। पांव ठिठक गए हैं और वे फिर से पुराने तौर-तरीके अपनाते दिखाई पड़ रहे। बैंक अफसर यही संकेत दे रहे हैं। उनकी मानें तो स्वाइप मशीनों की बुकिंग ठप है। व्यापारियों ने करीब 4000 स्वाइप मशीनों को वापस लौटा दिया है। वे बाजार में नकद लेनदेन की ओर रुख कर चुके हैं। जनवरी व फरवरी 2017 में बैंकों में करीब 12 हजार स्वाइप मशीनों की बुकिंग हुई थी, लेकिन अब हालात नोटबंदी के पहले जैसे ही हो गए हैं। बल्कि व्यापारी बैंकों में स्वाइप मशीनें लौटाने पहुंच रहे। डेबिट कार्ड से भुगतान पर 0.75 से एक प्रतिशत व क्रेडिट कार्ड पर डेढ़ फीसदी तक अतिरिक्त चार्ज से इसका प्रचलन घटा है। बैंकों का मानना है कि गावों में इंटरनेट की संरचना कमजोर होने से कैशलेस अभियान कमजोर हुआ है।

-आरबीआइ के लिए हालात चुनौती

हाल में आई आरबीआइ की टीम घट रहा डिजिटल लेनदेन बढ़ाने को कसरत कर लौट चुकी है। बैंक अफसरों को इस दिशा में मजबूती से काम करने के निर्देश दिए। अब उन निर्देशों को धरातल पर उतारने में बैंक को नाकों चने चबाने पड़ रहे हैं।

- दावे और सच्चाई में बड़ा अंतर

एनपीसीआइ की रिपोर्ट पर यकीन करें तो जिले में 73 प्रतिशत लोग डिजिटल लेनदेन करते हैं, मगर धरातल पर ये दिखता नहीं। 2016 के नवंबर, दिसंबर व जनवरी 2017 तक यूएसएसडी, यूपीआइ, भीम एप और बैंकों के एप से भुगतान में तेजी आई थी। प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) की संख्या में वृद्धि हुई। समय बीतने के साथ लोग फिर बैंकों व एटीएम पर निर्भर दिखने लगे हैं। जबकि भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआइ) की ओर से बैंकों को भेजी रिपोर्ट के अनुसार जिले में 73 फीसद लोग डिजिटल हैं। ये आकड़ा बहुत उत्साहजनक नहीं कहा जा सकता, क्योंकि कैशलेस लेन -देन में शहरवासी रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इसमें एटीएम से कैश निकालने की प्रक्रिया को शामिल किया जाता है, जिसकी दर करीब 40 फीसद है।ं बनारस में करीब 10 फीसदी लोग ही इंटरनेट बैंकिंग करते हैं।

- युवाओं का रुझान पहले से बेहतर

युवा वर्ग पहले से जागरूक हुआ है और इसका रुझान मोबाइल बैंकिंग के प्रति बढ़ा है। रेलवे व फिल्म की टिकट बुकिंग रसोई गैस और मोबाइल बिल भरने में डिजिटल लेनदेन हो रहा है। बनारस में 15 फीसद लोग मोबाइल बैंकिंग करते हैं। इसमें भीम एप व पेटीएम का इस्तेमाल भी शामिल है।

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कोट

कैशलेस की दिशा में लगातार लोगों को जागरूक किया जा रहा है। वित्तीय लेनदेन के डिजिटल रूप को समझना होगा। इसके फायदे ग्राहकों को बताए जा रहे हैं। शहरी क्षेत्र के ग्राहक तो डिजिटल बैंकिंग के पक्ष को समक्ष रहे, लेकिन गांवों में दिक्कत हैं। आरबीआइ के निर्देशानुसार कैशलेस दिशा में जिले के बैंक काम कर रहे हैं। इस वित्त वर्ष में स्थिति में काफी सुधार होगा।

-मिथिलेश कुमार, एलडीएम यूबीआइ

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