ज्ञानवापी-विश्वनाथ मंदिर परिसर का कराएं पुरातात्विक सर्वेक्षण, अपील पर अदालत ने विपक्षी से मांगी आपत्ति

ज्ञानवापी स्थित प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ की ओर से यह अपील सिविल जज (सीनियर डिवीजन- फास्ट ट्रैक कोर्ट) की अदालत में प्रार्थनापत्र देकर की गई है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Wed, 11 Dec 2019 01:57 PM (IST) Updated:Wed, 11 Dec 2019 04:53 PM (IST)
ज्ञानवापी-विश्वनाथ मंदिर परिसर का कराएं पुरातात्विक सर्वेक्षण, अपील पर अदालत ने विपक्षी से मांगी आपत्ति
ज्ञानवापी-विश्वनाथ मंदिर परिसर का कराएं पुरातात्विक सर्वेक्षण, अपील पर अदालत ने विपक्षी से मांगी आपत्ति

वाराणसी, जेएनएन। ज्ञानवापी-विश्वनाथ मंदिर परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की मंगलवार को अदालत से अपील की गई। ज्ञानवापी स्थित प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ की ओर से यह अपील सिविल जज (सीनियर डिवीजन- फास्ट ट्रैक कोर्ट) की अदालत में प्रार्थनापत्र देकर की गई है। विदित हो कि ज्ञानवापी परिक्षेत्र में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के अलावा मस्जिद भी है जिसके विवाद की सुनवाई वर्ष 1991 से स्थानीय अदालत में चल रही है। अदालत ने अपील पर सुनवाई करते हुए विपक्षियों से आपत्ति तलब करने के साथ ही अगली सुनवाई को नौ जनवरी 2020 की तिथि मुकर्रर की है।

प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर के पक्षकार पंडित सोमनाथ व्यास तथा अन्य ने ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण तथा हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने आदि को लेकर वर्ष 1991 में मुकदमा दायर किया था। उनकी ओर से यह कहा गया था कि मस्जिद ज्योतिर्लिंग विश्वेश्वर मंदिर का एक अंश है। वहां हिंदू आस्थावानों को पूजा-पाठ, राग-भोग, दर्शन आदि के साथ निर्माण, मरम्मत, पुनरोद्धार आदि कराने का अधिकार है। मुकदमे में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद तथा अन्य विपक्षी हैं। इस अधिकार को लेकर मुकदमा दाखिल करने वाले दो वादियों पंडित सोमनाथ व्यास, डॉ. रामरंग शर्मा की मृत्यु हो चुकी है। दिवंगत वादी पंडित सोमनाथ व्यास के स्थान पर प्रतिनिधित्व कर रहे वादमित्र पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) विजय शंकर रस्तोगी ने प्रार्थनापत्र में कहा है कि कथित विवादित परिसर में स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ का शिवलिंग आज भी स्थापित है। यह देश के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है।

परिसर में ज्ञानवापी नाम का बहुत ही पुराना कुआं है और इसी कुएं के उत्तर तरफ भगवान विश्वेश्वरनाथ का मंदिर है। मंदिर परिसर के हिस्सों पर मुसलमानों ने आधिपत्य करके मस्जिद बना दिया। 15 अगस्त 1947 को भी विवादित परिसर का धार्मिक स्वरूप मंदिर का ही था। जबकि विपक्षियों का दावा है कि उक्त तिथि को इसका स्वरूप मस्जिद का था। इस मामले में केवल एक भवन ही विवादित नहीं है बल्कि एक बहुत बड़ा परिसर विवादित है और इसका धार्मिक स्वरूप तय करने के लिए एक भवन तक ही सीमित नहीं रहा जा सकता। पूरे परिसर का धार्मिक स्वरूप तय होना है। विवादित परिसर का बहुत पुराना इतिहास है, इसलिए समय-समय पर उसमें जो परिवर्तन हुए उनके बारे में साक्ष्य अपेक्षित हैं। बिना साक्ष्य के निर्णय देना न्यायोचित नहीं होगा।

वहीं इस मामले में विजय शंकर रस्तोगी की दलील थी कि यह सब तमाम ऐसे तथ्य हैं, जिनके लिए वृहद साक्ष्य की आवश्यकता है। बिना साक्ष्य के ये तथ्य सिद्ध नहीं हो सकते। अदालत से संपूर्ण ज्ञानवापी परिसर तथा कथित विवादित स्थल के संबंध में भौतिक तथा पुरातात्विक दृष्टि से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा रडार तकनीक से सर्वेक्षण तथा परिसर की खोदाई कराकर रिपोर्ट मंगाने की अपील की। वादमित्र ने भवन के बाहर व अंदरूनी दीवारों, गुबंदों, तहखानों आदि के संबंध में एएसआइ से निरीक्षण कराकर रिपोर्ट मंगाने की अपील की। अदालत ने वादी पक्ष की अपील पर विपक्षीगण से आपत्ति मांगी है।

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