मुकदमों के निस्तारण में विलंब होना न्याय की मंशा को प्रभावित करता है, वाराणसी में बोले मुख्य न्यायाधीश

बार-बेंच के परस्पर सहयोग व सक्रियता के बिना अदालतों में लंबित मुकदमों का शीघ्र निस्तारण संभव नहीं है। न्याय में विलंब नहीं होना चाहिए क्योंकि विलंब से न्याय मिलने पर न्यायिक भावना प्रभावित होती है। बल्कि न्याय सबकी नजर में होता दिखना चाहिए।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Sat, 18 Dec 2021 02:17 PM (IST) Updated:Sat, 18 Dec 2021 02:17 PM (IST)
मुकदमों के निस्तारण में विलंब होना न्याय की मंशा को प्रभावित करता है, वाराणसी में बोले मुख्य न्यायाधीश
इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश बिंदल

वाराणसी, जागरण संवाददता। बार-बेंच के परस्पर सहयोग व सक्रियता के बिना अदालतों में लंबित मुकदमों का शीघ्र निस्तारण संभव नहीं है। न्याय में विलंब नहीं होना चाहिए क्योंकि विलंब से न्याय मिलने पर न्यायिक भावना प्रभावित होती है। बल्कि न्याय सबकी नजर में होता दिखना चाहिए। गंभीर मामलों में शीघ्र निस्तारण होना चाहिए यही न्याय की मंशा है।

उक्त बातें शनिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश बिंदल ने 16 न्यायालय कक्षीय नवनिर्मित नौ मंजिला भवन के लोकार्पण के अवसर पर कही। समारोह में मौजूद न्यायिक अधिकारियों,अधिवक्ताओं और कर्मचारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पुराने मुकदमों को प्राथमिकता के आधार पर निस्तारित करें। उत्तर प्रदेश बहुत बड़ा प्रदेश है और यहां पर 90 लाख केस विचाराधीन है जो कि पूरे देश में लंबित मामलों का 20 प्रतिशत है। ऐसे में हमारा दायित्व भी बढ़ जाता है। हमें मिलकर काम करके देश के लिए उदाहरण प्रस्तुत करना है। उन्होंने कोरोना काल में टेक्नोलॉजी के उपयोग पर बोलते हुए कहा कि जिला न्यायालयों में भी टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में सुधार हुआ है और आगे इसमें और बढ़ोतरी होने की संभावना है। हम सब का ऐसा प्रयास होना चाहिए कि न्याय के मंदिर से कोई निराश होकर नहीं जाए। लेकिन न्याय सबकी नजर में होना चाहिए और उसमें विलंब न हो।

उन्होंने कहा कि कोरोना काल के समय रुके कार्यों को भी हमें प्राथमिकता देनी होगी। उन्होंने अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि जनवरी से कचहरी परिसर से बाहर चल रही अदालतें भी इसी परिसर में संचालित होने लगेंगी। उनका प्रयास होगा कि अधिवक्ताओं द्वारा बताई गई समस्यायों को निस्तारित कर सके।

समारोह में बतौर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित प्रशासनिक न्यायाधीश न्यायमूर्ति डा.के जे ठाकर ने कहा कि आज हम ये संकल्प लें कि मार्च तक प्राथमिकता के आधार पर 20 वर्ष पुराने मामलों का निस्तारण कर देंगे। इसके लिये सभी का सहयोग जरूरी है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथि समेत अन्य अतिथियों को अंगवस्त्रम व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

समारोह में इलाहाबाद हाइकोर्ट के रजिस्ट्रार आशीष गर्ग,बार कौंसिल ऑफ इंडिया के को-चेयरमैन श्रीनाथ त्रिपाठी, यूपी बार कौंसिल के सदस्यद्वय अरुण त्रिपाठी व हरिशंकर सिंह, सेंट्रल बार अध्यक्ष अशोक उपध्याय,बनारस बार अध्यक्ष विनोद कुमार पाण्डेय, महामंत्रीद्वय कन्हैया पटेल व विवेक सिंह,न्यायालय प्रबंधक अश्विनी आनंद समेत न्यायिक अधिकारी,अधिवक्ता व कर्मचारी उपस्थित रहे। समारोह में आये अतिथियों का स्वागत जिला जज डा.अजय कृष्ण विश्वेश व धन्यवाद प्रशासनिक न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ. के जे ठाकर ने किया। संचालन सिविल जज अश्विनी उपाध्याय ने किया।

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