भूख से मौत विश्व की मानवता के लिए कलंक, पीड़ितों की मदद का लिया संकल्प

भूख मुक्ति दिवस के मौके पर पीड़ितों की मदद का संकल्प दर्जन भर संस्थाओं ने लिया। 200 गरीब परिवार की महिलाओं को अनाज वितरित किया गया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Tue, 18 Feb 2020 09:53 PM (IST) Updated:Tue, 18 Feb 2020 09:53 PM (IST)
भूख से मौत विश्व की मानवता के लिए कलंक, पीड़ितों की मदद का लिया संकल्प
भूख से मौत विश्व की मानवता के लिए कलंक, पीड़ितों की मदद का लिया संकल्प

वाराणसी, जेएनएन। आज वैज्ञानिक युग में भी विश्व के अनेक देशों में लो भुखमरी के शिकार है। भूख से मौत को मानवता पर कलंक मानने वाले देश भी भुखमरी को रोकने में असमर्थ हैं। वाराणसी में अनाज बैंक ने 2015 से संगठित तरीके से सामाजिक सहभागिता के आधार पर भूख से पीड़ितों की मदद शुरू की। अनाज बैंक ने भारत के प्रधानमंत्री और संयुक्त राष्ट्रसंघ को चिट्ठी लिखकर मांग की है कि इंद्रेश कुमार के जन्मदिवस को भूख मुक्ति दिवस के रूप में घोषित किया जाये। इसी क्रम में अनाज बैंक के संरक्षक राष्ट्रवादी विचारक एवं समाज सुधारक इंद्रेश कुमार के जन्म दिन को भूख मुक्ति दिवस के रूप में मनाने का संकल्प दर्जन भर संस्थाओं ने लिया। इंद्रेश नगर, लमही के सुभाष मंदिर में भूख मुक्ति यज्ञ का आयोजन किया गया। पं. अनुज पाण्डेय के नेतृत्व में पं.ऋषि द्विवेदी, महंत बालक दास, प्रो. एसपी सिंह, डा. राजीव श्रीवास्तव ने भारत को भूख से मुक्त कराने का संकल्प लेकर यज्ञ में आहुति दी।

200 गरीब परिवार की महिलाओं को अनाज वितरित

भूख मुक्ति दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी ने सुभाष मंदिर में पुष्प अर्पित कर एवं दीपोज्ज्‍वलन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। पातालपुरी मठ के महंत बालक दास ने सुभाष भवन की परिक्रमा की और सुभाष भवन में भोजन बना रहीं महिलाओं को अपना आशीर्वाद दिया और भूख से मुक्त कराने का संकल्प दिलाया। महिलाओं ने सोहर गीत गाकर इंद्रेश कुमार के दीर्घायु होने की कामना की।

अनाज बैंक की ओर से 200 गरीब परिवार की महिलाओं को अनाज वितरित किया गया। 50 नये परिवारों का खाता खोला गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि पं. ऋषि द्विवेदी ने कहा कि इंद्रेश कुमार एक समाज सुधारक और विचारक होने के साथ-साथ गरीबों और वंचितों के प्रति सम्वेदना रखने वाले महापुरूष हैं। अनाज बैंक की स्थापना से हजारों परिवारों का पेट भरना इंद्रेश कुमार के संकल्पों की देन है।

सनातन संस्कृति में पशु-पक्षी का भी पेट भरना सिखाया गया

अध्यक्षता कर रहे पातालपुरी मठ के महंत बालक दास ने कहा कि सनातन संस्कृति में पशु-पक्षी का भी पेट भरना सिखाया गया है। आज दुनियां की सरकारें भले ही असफल हो जायें लेकिन सामाजिक सहभागिता के आधार पर हर एक दूसरे का पेट भी भर सकते हैं और अपने रिश्ते को भी मजबूत कर सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ को भूख की समस्या पर चिन्तित होना चाहिए। कृषि विज्ञान संस्थान, बीएचयू के प्रो. एसपी सिंह ने कहा कि इंद्रेश कुमार ने भूख मिटाने का जो दर्शन दिया है वह किसी सरकार का मोहताज नहीं। यह माॅडल पूरे विश्‍व के लिये अनुकरणीय हो सकता है। विशाल भारत संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष डा. राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि अनाज बैंक 2200 परिवारों को अनाज देकर भूख से मुक्ति का स्वराज दिला रहा है। 18 फरवरी को भूख मुक्ति दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों को भूख पीड़ितों की मदद के लिये प्रेरित करना है। कोई भी सक्षम व्यक्ति अपने आस पड़ोस के 5 व्यक्तियों की चिन्ता करे कि वो भूख से पीड़ित तो नहीं है, तो फिर कोई भी व्यक्ति भूख से नहीं मरेगा। पूरे विश्व में भूख बड़ी समस्या है लेकिन सारी तकनीकि के बावजूद इस समस्या का हल नहीं निकल पा रहा है। भारत की सनातन संस्कृति ही भूख से मुक्त कराने की क्षमता रखती है। अनाज बैंक की प्रबंध निदेशक अर्चना भारतवंशी ने कहा कि अनाज बैंक शीघ्र ही मोबाइल अनाज बैंक के जरिये दूर-दराज के गांवों तक अपनी पहुंच बनायेगा। कार्यक्रम का संचालन मो. अजहरूद्दीन ने किया एवं धन्यवाद पूनम सिंह ने दिया।

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