दर्जनों इकाइयों की बंदी से विद्युत संकट में इजाफा, 2664 मेगावाट क्षमता की इकाइयां कोयले की कमी से बंद

रदेश में बिजली की बढ़ती मांग के बीच प्रदेश को बिजली देने वाली दर्जन भर से ज्यादा इकाइयों की बंदी के कारण स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर को दिक्कतें सामने आ रही हैं ।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 01 Jan 2020 06:44 PM (IST) Updated:Thu, 02 Jan 2020 10:12 AM (IST)
दर्जनों इकाइयों की बंदी से विद्युत संकट में इजाफा, 2664 मेगावाट क्षमता की इकाइयां कोयले की कमी से बंद
दर्जनों इकाइयों की बंदी से विद्युत संकट में इजाफा, 2664 मेगावाट क्षमता की इकाइयां कोयले की कमी से बंद

सोनभद्र, जेएनएन। चालू वित्त वर्ष में जहां औसतन पीक आवर में डिमांड लगभग 17000 मेगावाट से ज्यादा रही है वहीं इसके वित्त वर्ष 2022 में 24777 मेगावाट तक बढऩे का आकलन केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण द्वारा किया जा रहा है। कुल बिजली की जरूरत वर्तमान 1,08,853 मियु. के सापेक्ष वित्त वर्ष 22 तक 1,60,903 मियु. तक बढ़ जाएगी। वर्तमान में प्रदेश की सभी स्रोतों से कुल स्थापित क्षमता 22000 मेगावाट के करीब है। लेकिन प्रदेश में बिजली की बढ़ती मांग के बीच प्रदेश को बिजली देने वाली दर्जन भर से ज्यादा इकाइयों की बंदी के कारण स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर को दिक्कतें सामने आ रही हैं। उत्पादन निगम की इकाइयों के साथ केन्द्रीय और निजी सेक्टर की इन इकाइयों की बंदी से प्रदेश को 5000 मेगावाट से ज्यादा बिजली का नुकसान हो रहा है। तमाम परियोजनाओं के विस्तारीकरण, पुरानी इकाइयों के जीर्णोद्धार सहित अन्य तरीकों से उत्पादन क्षमता में 11 हजार मेगावाट से ज्यादा वृद्धि की योजना पर काम चल रहा है लेकिन, फिलहाल तमाम इकाइयों की खराबी विद्युत संकट का विषय बन रही है।

5136 मेगावाट बिजली नहीं मिल पा रही

उत्पादन निगम सहित केन्द्रीय और निजी सेक्टर की कुल 13 प्रमुख इकाइयों की बंदी से प्रदेश को 5136 मेगावाट बिजली नही मिल पा रही है। इनमें उत्पादन निगम के ओबरा की 200 मेगावाट वाली तीन इकाई, अनपरा की 500 मेगावाट वाली दो इकाइयां, परीछा की 250 मेगावाट की इकाई एवं हरदुआगंज की 105 मेगावाट की इकाई बंद है । इन इकाइयों को चालू होने में काफी समय लग सकता है। इसके अलावा निजी सेक्टर की 2664 मेगावाट क्षमता की इकाइयां कोयले की कमी की वजह से बंद हैं। कोयले की कमी की वजह से बजाज ललितपुर की 660-660 मेगावाट की तीन, बारा परियोजना की 660 मेगावाट की एक तथा बीईपीएल की 45-45 मेगावाट की दो इकाइयां बंद हैं। साथ ही बारा परियोजना की 660 मेगावाट की एक इकाई बॉयलर ट््यूब लीकेज तथा मेजा परियोजना की 660 मेगावाट की एक इकाई टरबाइन कम्पन की वजह से लम्बे समय के लिए बंद चल रही है ।

गलन के बीच बिजली की मांग में वृद्धि जारी

गलन में हो रही लगातार वृद्धि के बीच बिजली की मांग में बढ़ोतरी जारी है। वर्ष 2019 के अंतिम दिन पीक आवर के दौरान प्रतिबंधित मांग 17157 मेगावाट के करीब रही। इसके कारण 300 मेगावाट की कटौती करनी पड़ी। मांग में हो रही लगातार वृद्धि को देखते हुए रिहंद और ओबरा जल विद्युत घर की कुल छह इकाइयों से 205 मेगावाट उत्पादन कराया जा रहा है। बुधवार दोपहर को ओबरा तापीय परियोजना का उत्पादन 325 मेगावाट के करीब रहा। इसमें नौवीं इकाई से 180 मेगावाट तथा 11वीं इकाई से 155 मेगावाट उत्पादन हो रहा था। उधर उत्पादन निगम की चालू इकाइयों से कुल 2845 मेगावाट एवं निजी परियोजनाओं से 3504 मेगावाट उत्पादन हो रहा था।

छठवीं इकाई से विद्युत उत्पादन ठप

अनपरा डी परियोजना की 500 मेगावाट की क्षमता वाली ६वीं इकाई से विद्युत उत्पादन बुधवार की शाम तीन बजकर 35 मिनट पर ठप हो गई। इसी परियोजना की ५०० मेगावाट क्षमता वाली ७वीं इकाई में 13 नवंबर को टरबाइन की जनरेटर में लगी आग से बंद चल रही है। ६वीं इकाई बंद हो जाने से डी परियोजना का उत्पादन शून्य हो गया है। परियोजना प्रबंधन के अनुसार ६वीं इकाई में आये कुछ इलेक्ट्रिकल फाल्ट की वजह से इकाई को बंद किया गया है। इसे उत्पादनरत होने में 48 घंटे समय लगने की संभावना व्यक्त की जा रही है। बुधवार को अनपरा अ की 210 मेगावाट क्षमतावाली तीनों इकाइयों द्वारा 533 मेगावाट विद्युत उत्पादन किया गया। अनपरा बी की 500 मेगावाट क्षमतावाली दोनों इकाइयों से 864मेगावाट विद्युत उत्पादन किया गया। जबकि अनपरा डी से उत्पादन शून्य रहा। प्रदेश में बिजली की मांग बुधवार को 15 हजार मेगावाट के आसपास रही।

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