हल्दी में पाए जाने वाले 'करकूमिन' नामक तत्व का अतिसूक्ष्म कण बीएचयू में बना

काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित माइक्रोबायोलाजी विभाग के शोधकर्ताओं ने हल्दी में पाए जाने वाले करकूमिन नामक तत्व का अ‍ाखिरकार अतिसूक्ष्म कण बना लिया है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Fri, 02 Nov 2018 05:50 PM (IST) Updated:Fri, 09 Nov 2018 11:05 AM (IST)
हल्दी में पाए जाने वाले 'करकूमिन' नामक तत्व का अतिसूक्ष्म कण बीएचयू में बना
हल्दी में पाए जाने वाले 'करकूमिन' नामक तत्व का अतिसूक्ष्म कण बीएचयू में बना

वाराणसी [मुहम्मद रईस] । काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित माइक्रोबायोलाजी विभाग के शोधकर्ताओं ने हल्दी में पाए जाने वाले 'करकूमिन' नामक तत्व का अतिसूक्ष्म कण बना लिया है। इस महत्वपूर्ण खोज से अल्जाइमर, पार्किंसन व कैंसर जैसे असाध्य रोगों के निदान को नई राहें खुल सकेंगी। हल्दी का प्रयोग वैसे तो भारत में सदियों से होता आया है मगर अब इसके पूर्ण औषधीय गुणों का प्रयोग किया जा सकेगा। इसका यह गुण 'करकूमिन' नामक कार्बनिक तत्व की वजह से होता है। यह वसा व तेल में तो घुलनशील है मगर पानी में नहीं। यही कारण है कि अभी तक दुनिया इसके पूर्ण वैज्ञानिक पक्ष से अनजान थी।

हाल ही में बीएचयू स्थित माइक्रोबायोलाजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. प्रद्योत प्रकाश व शोधकर्ता आशीष कुमार सिंह ने अतिसूक्ष्म कण बनाने में कामयाबी हासिल कर ली है, जो पानी में लगभग घुलनशील है। संशलेषण की इस प्रक्रिया के पेटेंट के लिए आवेदन भी किया जा चुका है। यह शोधकार्य फ्रंटियर्स इन माइक्रोबायोलाजी जर्नल में प्रकाशित हो चुका है। 

नैनो पार्टिकल के बाद अब क्वांटम डॉट : करकूमिन के सामान्य मॉलीक्यूल की साइज औसतन 2350 नैनोमीटर है, जिसे वर्तमान में सिर्फ 40-50 नैनोमीटर (नैनो पॉर्टिकल) तक ही छोटा बनाया जा सका था। वहीं बीएचयू के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रयोगशाला में इसे 2.5 नैनोमीटर (क्वांटम डॉट) तक छोटा कर लिया गया है।

स्वस्थ कोशिका को नुकसान नहीं : पानी में लगभग घुलनशीन होने की वजह से यह अवशोषित होकर रक्त के जरिए कोशिकाओं तक पहुंच सकेगा। इसकी विशेषता ये है कि यह शरीर की स्वस्थ कोशिका को छोड़कर अन्य (कैंसर व डेड सेल सहित जीवाणु, वीषणु आदि) पर हमला कर उन्हें जड़ से खत्म कर देता है। 

पूर्ण घुलनशीन बनाने पर चल रहा शोध : अतिसूक्ष्म होने के बाद भी करकूमिन पानी में पूरी तरह घुलनशील नहीं है। डा. प्रद्योत बताते हैं कि पहले चरण की कामयाबी के बाद अब इसे पानी में पूरी तरह घुलनशीन बनाने की दिशा में शोध जारी है। इसके लिए करकूमिन के क्वांटम डॉट में शुगर के अणु जोडऩे में सफलता मिली है।

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