वाराणसी में राय साहब के बगीचे में षडयंत्र रचने में चार आरोपी को कैंट पुलिस ने किया गिरफ्तार

वीडीए के स्वामित्व वाली करीब एक अरब 39 करोड़ रुपये कीमत की जमीन पर निगाह जमाए संगठित भू-माफियाओं के चार बदमाश को वाराणसी पुलिस ने गिरफ्तार किया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Mon, 24 Aug 2020 07:22 AM (IST) Updated:Mon, 24 Aug 2020 09:57 AM (IST)
वाराणसी में राय साहब के बगीचे में षडयंत्र रचने में चार आरोपी को कैंट पुलिस ने किया गिरफ्तार
वाराणसी में राय साहब के बगीचे में षडयंत्र रचने में चार आरोपी को कैंट पुलिस ने किया गिरफ्तार

वाराणसी, जेएनएन। वीडीए के स्वामित्व वाली करीब एक अरब 39 करोड़ रुपये कीमत की जमीन (राय साहब का बागीचा) पर निगाह जमाए संगठित भू-माफियाओं के चार सहयोगियों को कैंट पुलिस ने कचहरी के पास से रविवार को गिरफ्तार किया। इस जमीन पर वर्ष 2002 में वीडीए की ओर से विभूति नगर योजना प्रस्तावित है। मगर न्यायालय के स्थगन आदेश के बाद भू-माफियाओं ने आपराधिक षडय़ंत्र कर अवैध दस्तावेजों द्वारा मालिकाना हक व कब्जा साबित करने का प्रयास किया था। इस संदर्भ में वीडीए ने मुकदमा भी दर्ज कराया था।

एसएसपी अमित पाठक व सीओ कैंट मोहम्मद मुश्ताक के निर्देशन में कैंट थाने में पंजीकृत मुकदमे की विवेचना के क्रम में ज्ञात हुआ कि वाराणसी विकास प्राधिकरण की संपत्ति पर भूपेंद्र प्रताप सिंह, अकील अहमद, संतोष कुमार, रामेश्वर प्रताप आदि जमीन पर कब्जा करना चाहते थे। 45240 वर्ग मीटर क्षेत्रफल वाले राय साहब के बगीचा की कीमत वर्तमान सर्किल रेट के अनुसार करीब एक अरब 39 करोड़ रुपये है। इसका वाद सर्वोच्च न्यायालय में चल रहा है। वीडीए की ओर से इस जमीन पर वर्ष 2002 में विभूति नगर योजना प्रोजेक्ट शुरू किया गया था। उच्च न्यायालय के स्थगन आदेश के कारण इस पर अभियुक्तगण की नजर पड़ी। वीडीए की संपत्ति पर भूपेंद्र, अकील अहमद, संतोष कुमार, वीरा इंफ्रास्ट्रक्चर के रामेश्वर प्रताप, डाडू डेवलपर्स के पंकज कुमार, रघुकुल कंस्ट्रक्शन के सिद्धार्थ सिंह, साकिब जफरुल इस्लाम शेख आदि द्वारा वकार अहमद के सहयोग से जन सूचना अधिकार अधिनयम के तहत हल्का लेखपाल के माध्यम से गलत रिपोर्ट प्राप्त कर इस संपत्ति पर राय पुष्पलता का कब्जा साबित करने का प्रयास किया गया। इसका खंडन उप-जिलाधिकारी सदर वाराणसी द्वारा जांच के बाद किया गया। इस मामले में गलत रिपोर्ट देने वाले लेखपाल को दंडित भी किया गया था।

इस बीच अभियुक्तगण ने षडय़ंत्र कर वीडीए की संपत्ति (42349.48 वर्ग मीटर) पर कब्जा करने के लिए सुनियोजित ढंग से प्रयास शुरू कर दिया। सात जून 2017 को राय पुष्पलता द्वारा उसी जमीन का लीज डीड भूपेंद्र प्रताप और अकील अहमद को किया गया। इसमें गवाह प्रताप सिंह व रामधनी राय बने। सात जून 2017 को ही राय पुष्पलता द्वारा दूसरा लीज डीड संतोष कुमार के साथ किया गया, जिसमें गवाह अकील अहमद व रामधनी राय बने। नौ अगस्त 2017 को राय पुष्पलता ने अपनी संपूर्ण संपत्ति का वसीयतनामा भूपेंद्र प्रताप ङ्क्षसह और अकील के साथ किया गया। दोबारा 18 मार्च 2019 को राय पुष्पलता की ओर से सट्टा बिना कब्जा बीरा इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स के साथ किया गया। 18 मार्च 2019 को राय पुष्पलता के खाते में एक करोड़ रुपये आए। इस एक करोड़ रुपये को सुनियोजित तरीके से आपराधिक षडय़ंत्र के तहत एक राय होकर अकील अहमद, भूपेंद्र प्रताप सिंह व अन्य लोगों के द्वारा हड़पने का प्रयास किया गया। इन लोगों ने राय पुष्पलता की जमीन हड़पने के साथ ही उनके खाते में आए एक करोड़ रुपये को सुनियोजित तरीके से हड़प लिया गया।

इसके लिए बैंककर्मी तरुण रंजन श्रीवास्तव (एसडीओ) को अपने गिरोह में शामिल कर पहले राय पुष्पलता के खाते को कोटक महिंद्रा बैंक के रामकटोरा शाखा से स्थानांतरित कर गोदौलिया शाखा में परिवर्तित किया गया। इसके बाद अकील, भूपेंद्र और तरुण ने षडयंत्र के तहत नामिनी बदलवा कर भूपेंद्र को राय पुष्पलता का भतीजा बताया। फिर अकील, भूपेंद्र व तरुण ने प्रशांत उर्फ रिंकू द्वारा राय पुष्पलता के खाते से कूटरचित तरीके से सारा पैसा निकाल लिया गया। इसका पर्याप्त साक्ष्य पाए जाने पर नियमानुसार अभियुक्त ओमप्रकाश-मीरजापुर, प्रशांत उर्फ रिंकू-मीरजापुर, उमेश कुमार-चंदौली व तरुण रंजन श्रीवास्तव-सदर बाजार को गिरफ्तार कर कैंट पुलिस विधिक कार्रवाई में जुट गई है।

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