#BUDGET2019 : बजट में आयकर की सीमा में छूट को लेकर जनता की टकटकी

भाजपा की केंद्र सरकार पहली फरवरी को बजट प्रस्तुत करने जा रही है। चुनावी वर्ष का बजट होने के कारण जनता को राहत मिलने की उम्मीद है। खास तौर पर आयकर की सीमा को लेकर।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Wed, 30 Jan 2019 10:11 PM (IST) Updated:Thu, 31 Jan 2019 11:05 AM (IST)
#BUDGET2019 : बजट में आयकर की सीमा में छूट को लेकर जनता की टकटकी
#BUDGET2019 : बजट में आयकर की सीमा में छूट को लेकर जनता की टकटकी

वाराणसी, जेएनएन । भाजपा की केंद्र सरकार पहली फरवरी को बजट प्रस्तुत करने जा रही है। चुनावी वर्ष का बजट होने के कारण जनता को राहत मिलने की उम्मीद है। खास तौर पर आयकर की सीमा को लेकर। आयकर छूट की सीमा को लेकर देश में लगातार मांग उठ रही है। जब आठ लाख वार्षिक आय वर्ग के सवर्णों को गरीब मानते हुए सरकार दस फीसद आरक्षण दे सकती है तो आयकर की सीमा छूट पांच लाख तक क्यों नहीं। हालांकि नौकरी-पेशा से जुड़े लोगों को आयकर में छूट की सीमा ढाई लाख से 3.50 लाख होने की संभावना है। 

वर्तमान सरकार वित्तीय वर्ष 2019-20 के बजट को पूर्णकालिक के रूप में पेश करने जा रही है। हालांकि परंपरानुसार इसे अंतरिम बजट ही माना जाना चाहिए। बहरहाल बजट को लेकर केंद्र सरकार का आत्मविश्वास यह बता रहा है कि वह देशवासियों को राहत देने वाली है। इसका मुख्य कारण यह है कि पिछले दिनों हुई नोटबंदी व जीएसटी जैसे साहसिक व जोखिम भरे कदम के बावजूद सरकार विकास दर को 7.2  प्रतिशत तक लाने मे सफल रही है। वैश्विक आर्थिक रैंकिंग मे उत्तरोत्तर सुधार के संकेत भी प्राप्त हुए हैं।  वर्तमान सरकार के कार्यकाल का यह अंतिम बजट है। ऐसे में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता की मजबूरी की वजह से वर्ष 2019 का आम बजट शुद्ध रूप से आम आदमियों को सीधा राहत पहुंचाने वाला होगा।  

बजट से राहत की जगी उम्मीद : पिछले बजट के कुल खर्च का आकार 24.42 लाख करोड़ का था जिसका अधिकांश भाग ग्रामीण विकास, कृषि, अवस्थापना व शिक्षा पर व्यय होते दिखा। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले बजट मे 30 लाख करोड़ से ज्यादा का खर्च का अनुमान पेश हो सकता है जिसमे किसानों और कृषि के लिए विशेष राहत पैकेज की उम्मीद है। हालांकि अर्थशास्त्र की नजर से ऐसे कदम से राजकोषीय घाटा के बढऩे का खतरा रहेगा जिसकी भरपाई करने हेतु भविष्य में कर वृद्धि की संभावना बनी रहेगी। चूंकि रोजगार सृजन के मामले में सरकार घिरी हुई है इसीलिए यह संभावना है कि निवेश में बढ़ावा देने  देने हेतु अप्रत्यक्ष करों में और राहत तथा लघु व मध्यम उद्योगों के लिए कोई बड़ी योजना आ सकती है। रोजगार के बदलते स्वरुप को देखते हुए स्टार्ट अप उद्योगों को भी सरकार बड़ी राहत देगी। भारत मे लगातार मध्यम वर्ग के बढ़ते आकार व महत्व को देखते हुए आयकर की छूट सीमा मे भी एक लाख तक की और बढ़ोतरी संभव है। साथ ही छोटे मकान खरीदने या बनाने के लिए भी प्रेरक कदम उठाए जा सकते हैं।  

शिक्षा व स्वास्थ्य में भी सुधार : शिक्षा और स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च सदैव ही काफी कम आवंटित रहता है जिसकी वजह से भारत तमाम समाजिक सूचकांकों मे पिछड़ा दिखाई पड़ता है। सामाजिक क्षेत्र के महत्व को देखते हुए पिछले बजट पर शिक्षा और स्वास्थ्य पर क्रमश: मात्र 85000 और 52800 करोड़ रुपये से और अधिक बढ़ाकर शिक्षा व स्वास्थ्य की गुणवत्ता को सुधरते दिखाई देना पसंद करेगी। 

अनुकूल होगा बजट : पिछले आर्थिक सर्वे मे यूनिवर्सल बेसिक इनकम पर सरकार ने जो काम शुरु किया था उसे आने वाले बजट मे सरकार ग्रामीण गरीबों के लिए निर्धारित अनुकूलतम एक निश्चित आय सुनिश्चित करने की शुरूआत कर सकती है जिसका सीधा लाभ चालीस करोड़ गरीब जनसंख्या को पहुंच सकता है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि आने वाले बजट को सरकार अपने विकास कार्यों के क्रियान्वयन को सामने रखते हुए सबकी जेबों तक कुछ न कुछ पहुंचाने वाला बजट पेश कर सकती है जिसमे आने वाले समय की भावी विकास की रूपरेखा का दर्शन होगा। साथ ही आम जनमानस के जीवन को उसकी आय और अवसरों की दृष्टि से अनुकूल वातावरण रहने की अनुभूति कराई जाएगी। (लेखक अर्थशास्त्री विभाग, डीएवी पीजी कालेज के एसोसिएट प्रोफेसर हैं)

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