BHU HOSPITAL : 40 हजार का प्रबंध न होने पर ऑपरेशन से किया इन्कार, चढ़ाया प्लास्टर

आयुष्मान भारत के लाभार्थी का ऑपरेशन करने से बीएचयू ट्रामा सेंटर के डाक्टर ने महज इसलिए इन्कार कर दिया क्योंकि उसके परिजन 40 हजार रुपये का प्रबंध नहीं कर सके।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Fri, 22 Mar 2019 10:22 PM (IST) Updated:Sat, 23 Mar 2019 08:45 AM (IST)
BHU HOSPITAL : 40 हजार का प्रबंध न होने पर ऑपरेशन से किया इन्कार, चढ़ाया प्लास्टर
BHU HOSPITAL : 40 हजार का प्रबंध न होने पर ऑपरेशन से किया इन्कार, चढ़ाया प्लास्टर

वाराणसी, जेएनएन। आयुष्मान भारत के लाभार्थी का ऑपरेशन करने से बीएचयू ट्रामा सेंटर के डाक्टर ने महज इसलिए इन्कार कर दिया क्योंकि उसके परिजन 40 हजार रुपये का प्रबंध नहीं कर सके। एम्स जैसा बनने की ओर कदम बढ़ा रहे पूर्वांचल के सबसे बड़े हॉस्पिटल में केंद्रीय योजना की दुर्गति देखकर मरीजों-तीमारदारों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। 

मामला बलिया निवासी दिनेश गौड़ का है। एक मार्च को सड़क हादसे में दाहिना पांव फ्रैक्चर हो गया था। बलिया के जिला अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. संतोष चौधरी की निगरानी में उनका 18 दिनों तक इलाज भी चला। जब कोई आराम न मिला तो पत्नी नीतू देवी से डा. संतोष ने ऑपरेशन की बात कही। वहीं इस बीच किसी परिचित की सलाह पर नीतू ने आयुष्मान कार्ड बनवा लिया। आरोप है कि जब डाक्टर को आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थी होने की जानकारी हुई, उन्होंने मधुमेह के उच्च स्तर पर होने का हवाला देते हुए ऑपरेशन से इन्कार कर दिया और बीएचयू ले जाने की सलाह दी। 20 मार्च को बीएचयू ट्रामा सेंटर में दिनेश को प्रो. जीएन खरे की ओपीडी में ले जाया गया। पत्नी नीतू का आरोप है कि यहां भी ऑपरेशन की बात चली, मगर जैसे ही आयुष्मान भारत के लाभार्थी होने का जिक्र हुआ, मरीज को सिर्फ प्लास्टर लगाकर छोड़ दिया गया। 

नीतू देवी का कहना है कि परिवार पूरी तरह दिनेश पर ही आश्रित है। बलिया से लेकर यहां तक आयुष्मान कार्ड होने के बाद भी हमें इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है। ऐसे में यदि पति को कुछ हो गया तो जिम्मेदार कौन होगा। 

बोले चिकित्‍सक : शुगर लेवल काफी बढ़ा हुआ था। भर्ती करने के बाद से ही हम इसे नीचे लाने की कोशिश कर रहे थे, ताकि ऑपरेशन किया जा सके। कामयाबी नहीं मिलने पर ही दिनेश को बीएचयू रेफर किया गया। - डा. संतोष चौधरी, (हड्डी रोग विशेषज्ञ-जिला अस्पताल, बलिया)।

बोले चिकित्‍सक : ओपीडी में बहुत से मरीज आते हैं। फिर भी यदि मरीज को प्लास्टर लगाया गया है, तो ठीक ही किया गया। बिना ऑपरेशन के 99 फीसद हड्डियां केवल प्लास्टर से ही जुड़ जाती हैं। यह हड्डियों को जोडऩे का सबसे सस्ता और सुरक्षित तरीका भी है। - प्रो. जीएन खरे (हड्डी रोग विशेषज्ञ-ट्रामा सेंटर, बीएचयू)। 

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