मंडुआडीह स्टेशन पर "बनारस" नाम की आस, प्रयास रेल अफसरों को नहीं आ रहा रास

कागजों और स्टेशन पर अब भी मंडुवाडीह स्टेशन नाम ही चल रहा है। इसके लिए स्टेशन कोड बीएसबीएस भी जारी किया गया था। ठीक एक दिन बाद रेल अधिकारियों ने बनारस लिखा हुआ बोर्ड लगवाया और शिवगंगा सहित अन्य ट्रेनों की पट्टी पर मंडुवाडीह हटाकर बनारस कर दिया था।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Wed, 30 Jun 2021 01:50 PM (IST) Updated:Wed, 30 Jun 2021 01:50 PM (IST)
मंडुआडीह स्टेशन पर "बनारस" नाम की आस, प्रयास रेल अफसरों को नहीं आ रहा रास
शिवगंगा सहित अन्य ट्रेनों की पट्टी पर मंडुवाडीह हटाकर बनारस कर दिया था।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। मंडुआडीह स्टेशन का नाम बनारस होने की लोगों में आस लगी है। लेकिन रेल अफसरों को यह परिवर्तन रास नहीं आ रही है। एक वर्ष पूरा होने के कगार पर है, फिर भी इस प्रमुख स्टेशन का नाम नहीं बदला। पिछले साल अगस्त 2020 में गृह मंत्रालय के निर्देश पर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने 17 सितंबर 2020 को पूर्वोत्तर रेलवे के मंडुवाडीह स्टेशन का नाम नाम बदलकर बनारस किए जाने की अनुमति दी थी।

फिलहाल, कागजों और स्टेशन पर अब भी मंडुवाडीह स्टेशन नाम ही चल रहा है। इसके लिए स्टेशन कोड बीएसबीएस भी जारी किया गया था। ठीक एक दिन बाद रेल अधिकारियों ने बनारस लिखा हुआ बोर्ड लगवाया और शिवगंगा सहित अन्य ट्रेनों की पट्टी पर मंडुवाडीह हटाकर बनारस कर दिया था। इसके बाद मुख्यालय से आए दिशा निर्देशों के बाद आनन-फानन में वाराणसी मंडल के अधिकारियों ने बनारस लिखा हुआ बोर्ड और पट्टी हटवाकर मंडुवाडीह कर दिया था। तब से अब तक स्टेशन का नाम मंडुवाडीह ही चल रहा है।

बनारस स्टेशन औऱ कोड बदले जाने में हो रही देरी पर पूछे जाने पर स्थानीय अधिकारी रेलवे बोर्ड का मामला बताकर चुप्पी साध ले रहे हैं। इधर यह स्टेशन एक सप्ताह से ध्वज विहीन हो गया है। शिखर पर एक सप्ताह से तिरंगा नहीं फहराया जा रहा है। जिम्मेदार अफसर ने बताया कि आंधी और बारिश के चलते ध्वज थोड़ा फट गया था। जल्द ही नया ध्वज फहराया जाएगा।

chat bot
आपका साथी