बांस की खेती कर आर्थिक स्थिति को किया मजबूत, शिक्षक ने बागवानी कर पेश की नजीर

जरूरत है तो परिश्रम व लगन से कार्य करने की। ऐसा ही कर दिखाया है बदलापुर क्षेत्र के दुगौलीकला निवासी शिक्षक अतुल सिंह ने। इन्होंने अपने दो एकड़ खेत में बांस की खेती कर न सिर्फ आर्थिक स्थिति को मजबूत किया बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाई है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sun, 27 Dec 2020 04:27 PM (IST) Updated:Sun, 27 Dec 2020 04:27 PM (IST)
बांस की खेती कर आर्थिक स्थिति को किया मजबूत, शिक्षक ने बागवानी कर पेश की नजीर
बांस की खेती कर न सिर्फ आर्थिक स्थिति को मजबूत किया, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाई है।

जौनपुर, जेएनएन।  सच ही कहा गया है कि खेती-किसानी, बागवानी घाटे का सौदा नहीं है। जरूरत है तो परिश्रम व लगन से कार्य करने की। ऐसा ही कर दिखाया है बदलापुर क्षेत्र के दुगौलीकला निवासी शिक्षक अतुल सिंह ने। इन्होंने अपने दो एकड़ खेत में बांस की खेती कर न सिर्फ आर्थिक स्थिति को मजबूत किया, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाई है। इनकी बांस की खेती देखने वन विभाग की टीम के साथ ही वैज्ञानिक भी गांव पहुंच रहे हैं।

 अतुल ङ्क्षसह ने अपने दो एकड़ खेत में जून 2020 में जबलपुर से ले आकर 12 सौ पौधे बांस का लगवाया। एक पौधे पर लगभग 70 रुपये खर्च हुए। बताया कि बांस की खेती से कई लाभ हैं। चार साल में जब तक बांस के पौधे तैयार होंगे तब तक इसमें खेती भी की जा सकती है। चौथे साल बांस तैयार होने पर प्रति बांस डेढ़ सौ रुपये में आकर व्यापारी ले जाएंगे। बताया कि बांस की खेती में लागत कम मुनाफा अधिक है। इसके साथ ही इससे पर्यावरण भी संरक्षित हो रहा है।

बताया कि हाल में ही वन अनुसंधान केंद्र प्रयागराज के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा.कुमुद दुबे वन क्षेत्राधिकारी केके सिंह साथ बांस की खेती देखने पहुंचे थे। इतना ही नहीं बांस की खेती को वन विभाग राष्ट्रीय बम्बू मिशन के तहत चयनित किया है। वन क्षेत्राधिकारी ने बताया कि बांस की खेती को बढ़ावा देने के लिए इस योजना के तहत चयनित किया गया है। योजना के तहत किसान को अनुदान भी दिया जाएगा। 

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