#HEALTH : आखिर क्यों सर्दियों में बढ़ जाता है श्वांस रोग, जानें क्या है समाधान
कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के वैद्य डॉ अजय कुमार ने बताया की आजकल ठंड के कारण खांसी,श्वांस रोग जैसी बीमारियों से पीडि़त मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है।
वाराणसी [वंदना सिंह]। सर्दियों का मौसम जितना सुहावना और सेहत के लिए फायदेमंद होता है उतना ही अस्थमा के मरीजों के लिए यह नाजुक समय होता है। इस मौसम में सुबह टहलना, एक्सरसाइज करना स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक माना जाता है। मगर कुछ रोगों जैसे अस्थमा, हृदय रोग, जोड़ो के रोग से परेशान व्यक्तियों के लिए यह मौसम कुछ समस्याएं भी लाता है। इस मौसम में सर्दी, जुकाम और जोड़ों में दर्द के साथ-साथ सांस की परेशानी का बढऩा बहुत आम बात है।
चौकाघाट स्थित राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, वाराणसी के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के वैद्य डॉ अजय कुमार ने बताया की आजकल ठंड के कारण खांसी,श्वांस रोग जैसी बीमारियों से पीडि़त मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। हर रोज ओपीडी में लगभग 50 प्रतिशत मरीज सिर्फ श्वास रोगों के आ रहे हैं। सर्दी के मौसम में ठंडी हवा सीधे फेफड़ों में जाती है जिससे श्वांस नलियां सिकुडऩे लगती हैं और कफ भी ज्यादा बनता है। इसके अलावा ठंडे वातावरण के कारण धुआं और वातावरण में घुले तत्व पूरी तरह आसमान में ऊपर नहीं जा पाते जो एलर्जन का काम करते हैं। इसलिए अस्थमा की समस्या सर्दियों में ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में अगर श्वांस के रोगी ठंड में सुबह घर से बाहर टहलने निकलते हैं तो उनके फेफड़ों में ठंडी हवा के प्रभाव से सांस फूलने लगती है और व्यक्ति बीमार हो जाता है।
क्या है बचने के उपाय : डा. अजय कुमार बताते हैं कि श्वांस रोग से बचना बहुत मुश्किल नहीं है अगर कुछ छोटी छोटी बातों का ध्यान रखा जाए। ठंड के मौसम में मरीजों को सुबह का समय घर पर ही बिताना चाहिए। इससे बचाव के लिए घर को धूल और धुएं से मुक्त रखें। पूरी तरह गर्म कपड़ों से खुद को ढंककर रखें। ठंडे पेय, खट्टे फलों, आईसक्रीम, लस्सी आदि से दूर रहना चाहिए। सुबह अगर घर से निकलें तो पूरे कपड़े पहनकर ही बाहर निकलें। बाहर निकलना जरूरी हो तो मुह को ढंककर निकलें, जिससे धूल के कण नाक मुंह के जरिये फेफड़े तक न पहुंचे। ठंडी चीजों से दूरी बना लें। घर साफ रखें, धूल-मिटटी से बचें। गुनगुने पानी का सेवन करें। बासी भोजन नहीं खाना चाहिए।
आयुर्वेदिक इलाज : आयुर्वेद में श्वांस रोग के लिए बहुत सी औषधियां हैं। उदाहरण के तौर पर योग्य वैद्य की सलाह से श्वासकुठार रस, श्वास कासचिंतामणि रस, लक्ष्मीविलास रस, शिरिशादी काढ़ा, गोजिह्वादी काढ़ा, वसावलेह आदि के सेवन से इसका इलाज किया जा सकता है।