कापी में 73 अंक मिले और रिजल्ट में 7, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय ने स्वीकार की त्रुटि

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में लापरवाही का यह आलम है कि शास्त्री प्रथम खंड में 73 अंक पाने वाले छात्रों को मार्कशीट में सात अंक पोस्ट कर अनुत्तीर्ण कर दिया गया है। यही नहीं त्रुटि संशोधित कराने के लिए छात्र को एक साल तक विश्वविद्यालय के कार्यालयों का चक्कर काटना पड़ा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Fri, 12 Mar 2021 06:40 AM (IST) Updated:Fri, 12 Mar 2021 06:40 AM (IST)
कापी में 73 अंक मिले और रिजल्ट में 7, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय ने स्वीकार की त्रुटि
शास्त्री प्रथम खंड में 73 अंक पाने वाले छात्रों को मार्कशीट में सात अंक पोस्ट कर अनुत्तीर्ण कर दिया गया।

वाराणसी, जेएनएन। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में लापरवाही का यह आलम है कि शास्त्री प्रथम खंड में 73 अंक पाने वाले छात्रों को मार्कशीट में सात अंक पोस्ट कर अनुत्तीर्ण कर दिया गया है। यही नहीं त्रुटि संशोधित कराने के लिए छात्र को एक साल तक विश्वविद्यालय के कार्यालयों का चक्कर काटना पड़ा। विभिन्न पटल होते हुए अब संशोधन के लिए परीक्षा नियंत्रक की स्वीकृति मिली है। ऐसे में अब छात्र को संशोधित अंकपत्र मिलने की आस जगी है।

विश्वविद्यालय के छात्र अनुराग शर्मा ने वर्ष 2019 में शास्त्री प्रथम खंड की परीक्षा दी। अनिवार्य संस्कृत विषय के द्वितीय प्रश्नपत्र में सात अंक पोस्ट किया गया है। संशोधन के लिए आवेदन देने के बावजूद परीक्षा विभाग काफी दिनों तक टाल मटोल करता है। अंतत: परीक्षा रिकार्ड से मिलान किया गया तो विश्वविद्यालय प्रशासन की गलती निकली। इसके बाद परीक्षा अधिकारियों ने अंकपत्र संशोधन की मंजूरी दी। इसी तरह मथुरा के एक छात्र का दावा कि वह शास्त्री के सभी प्रश्नपत्रों की परीक्षा दी है। इसके बावजूद उसे एक पेपर में अनुपस्थित दर्ज कर दिया गया।

संशोधन कराने के लिए 500 अर्थदंड

विश्वविद्यालय में अंकपत्रों व प्रमाणपत्रों में त्रुटि संशोधन कराने के लिए 500 रुपये प्रतिवर्ष की दर से अर्थदंड वसूलने का प्रावधान है। यदि छात्र की ओर नाम, पिता के नाम सहित अन्य कोई त्रुटि है तो संबंधित छात्र को अर्थदंड देना होता है।

फीडिंग में चूक के चलते अंकपत्र में सात अंक पोस्ट हो गया था

फीडिंग में चूक के चलते अनुराग शर्मा के अंकपत्र में सात अंक पोस्ट हो गया था। संशोधित करने के आदेश दिए जा चुके हैं। वहीं, मथुरा के छात्र का प्रकरण परीक्षा समिति में प्रस्तुत करने का निर्णय लिया गया है। मथुरा संबध कालेज ने संबंधित परीक्षार्थी का एक पेपर की उत्तरपुस्तिका ही नहीं जमा की है।

- विशेश्वर प्रसाद, परीक्षा नियंत्रक, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय

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