67 करोड़ से अपग्रेड होगी उन्नाव सीइटीपी
जागरण संवाददाता उन्नाव 67 करोड़ की लागत से शहर क्षेत्र स्थित उन्नाव सीइटीपी को अपग्रेड ि
जागरण संवाददाता, उन्नाव : 67 करोड़ की लागत से शहर क्षेत्र स्थित उन्नाव सीइटीपी को अपग्रेड किये जाने के प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिल चुकी है। यहां का पानी अब आधुनिक तकनीक से प्रदूषण रहित होगा और यह आरओ वाटर की तरह शुद्ध होगा। इसके लिए सीइटीपी में आने वाले उद्योगों के जहरीले पानी को पहले ट्रीट किया जाएगा फिर, यह आरओ में फिल्टर होगा। इसके लिए केंद्र सरकार ने उन्नाव सीइटीपी को 67.68 करोड़ के प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है। इस पर एनएमसीजी ने काम तेज करते हुए कार्य के लिए टेंडर भी ऑनलाइन आवेदन मांगे हैं।
बता दें कि सन्-2017 की शुरुआत में सीपीसीबी (सेंट्रल पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड) व यूपीपीसीबी (यूपी पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड) की टीमों ने सीइटीपी (कॉमन इन्फ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट) उन्नाव के निरीक्षण के बाद एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) को रिपोर्ट भेजी थी। फिर अगस्त-2017 में सीपीसीबी की टीम ने सीइटीपी की जांच की। जिसमें यहां डिस्चार्ज वाटर मानकों पर खरा नहीं मिला। फिर एनजीटी ने सीइटीपी को अनफिट घोषित करते हुए इनके अपग्रेडेशन का आदेश दे दिया। अपग्रेडेशन की डीपीआर तैयार हुईं तो अधिकारियों ने इसे रिजेक्ट कर दिया। दो साल बाद जुलाई-19 माह में डीपीआर को हरी झंडी मिली और फाइलें दौड़ने लगीं। अब केंद्र सरकार ने एनएमसीजी (नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा) के तहत इसे हरी झंडी दी है। अब एनएमसीजी ने प्रोजेक्ट के टेंडर को ऑनलाइन आवेदन भी मांगे हैं।
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जीरो डिस्चार्ज होंगे प्लांट, एक-एक बूंद आएगी काम
- अपग्रेडेशन के बाद प्लांट जीरो डिस्चार्ज हो जाएगा। इससे गंगा में जाने वाला हजारों केएल प्रदूषित पानी बाहर नहीं जाएगा। यहां आने वाला सारा पानी ट्रीट होकर आरओ में फिल्टर होगा और यहां के प्रदूषित पानी की एक-एक बूंद को काम में लिया जाएगा।
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सीईटीपी की मौजूदा स्थिति
- क्षमता 2150 केएल प्रतिदिन
- फैक्ट्रियां जुड़ी-14
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उच्चीकरण में यह होंगे काम
- अपग्रेडेशन में उद्योगों के प्रदूषित पानी से क्रोमियम व अन्य केमिकल अलग होंगे। फिर ट्रीटकर यह दोबारा उपयोग में आएगा। वहीं यहां की आधुनिक मशीनों में उन प्रदूषणकारी तत्वों को भी निकालने की क्षमता होगी सीइटीपी के डिस्चार्ज प्वाइंट से बाहर निकल जाते हैं।
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- प्लांट अपग्रेडेशन के बाद यहां आरओ लगाया जाएगा। जिससे ट्रीट होने के बाद पानी फिल्टर हो सकेगा। जो पीने के अलावा अन्य कार्य में भी उपयोग हो सकेगा। उम्मीद है कि अपग्रेडेशन का काम इसी साल शुरू होगा।
- आशुतोष टंडन-कंसल्टेंट, सीइटीपी उन्नाव