सावधान ! मिलावट से सेहत पर नए संक्रमण का खतरा

जागरण संवाददाता उन्नाव दीवाली आते ही मिठाई के लिए दूध की मांग बढ़ गई है। कोरोना काल

By JagranEdited By: Publish:Mon, 09 Nov 2020 05:44 PM (IST) Updated:Mon, 09 Nov 2020 05:44 PM (IST)
सावधान ! मिलावट से सेहत पर नए संक्रमण का खतरा
सावधान ! मिलावट से सेहत पर नए संक्रमण का खतरा

जागरण संवाददाता, उन्नाव : दीवाली आते ही मिठाई के लिए दूध की मांग बढ़ गई है। कोरोना काल में मिलावटी दूध एक नया संक्रमण फैलाने को तैयार है। हाल यह है कि जिले में उपलब्धता से अधिक दूध का खर्च दीवाली पर होगा। ऐसे में मिलावटी दूध ही कमी को पूरा करेगा। इसके चलते मिलावट का खेल शुरू हो गया है। जो कोरोना काल में लोगों को नई बीमारी देने को तैयार हो रहा है। सबसे अहम बात यह है कि उत्पादन से अधिक की खपत है ऐसे में शुद्धता की गारंटी की उम्मीद करना भी बेमानी है।

दीवाली आते ही दूध की मांग दो गुना हो जाती है। घर से लेकर दुग्ध उत्पाद तैयार करने वाले प्रतिष्ठानों में दूध की मांग के अनुसार ही उसके भाव भी बढ़ते हैं। जबकि उत्पादन आम दिनों जैसा ही रहता है। दुग्ध उत्पादन को लेकर ताजा आंकड़ों के अनुसार जिले में 3 कामधेनु, 16 मिनी कामधेनु तथा 8 माइक्रो दूध डेयरियां कुछ वर्ष पहले चालू की गई है। इसके अलावा पशुपालक भी दुधारू जानवर पालते हैं। इन सभी को मिलाकर जिले में औसतन करीब 1.25 लाख लीटर दुग्ध उत्पादन लीटर प्रतिदिन होता है। पीसीडीएफ उप प्रबंधक की माने तो वर्तमान में करीब 7500 लीटर प्रतिदिन दूध का उठान किया जा रहा है। इसके अलावा निजी समितियां व दुग्ध कंपनियां करीब 72 हजार लीटर से अधिक दूध क्रय कर ले जाती हैं। शेष 15 हजार लीटर दूध पशुपालक स्वयं या दूधियों के माध्यम से बेचते हैं। बाजार आने वाले दूध में औसतन 15 हजार लीटर दूध की खपत पनीर, छेना और खोया में होती है। तीन हजार लीटर दूध का घरेलू उपयोग में। यह आंकड़ा आम दिनों का है जबकि त्योहार में खोया, पनीर के साथ साथ छेना आदि सभी की डिमांड आम दिनों की अपेक्षा दो गुना हो जाती है। यानी 1.50 से 1.80 लाख लीटर तक पहुंच जाती है। जबकि उत्पादन का आंकड़ा त्योहारों में भी आम दिनों की तरह ही रहता है। ऐसे में कारोबारी दूध का स्टोर तो करते हैं उसके बाद भी डिमांड के अनुरूप दूध का जमा कर पाना लगभग नामुमकिन सा होता है। दीवाली पर सबसे अधिक मांग मिठाई की होती है। जोकि दूध से ही तैयार होती है। वहीं मांग के अनुरूप दूध नहीं है। ऐसे में मिलावटी दूध मिठाई बनाने में काम आ रहा है।

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खुले खाद्य तेल भी बिगाड़ सकती सेहत

- त्योहार में सबसे अधिक खपत दूध और उससे निर्मित खाद्य सामग्री की होती है। दूसरे नंबर पर खाद्य तेल आता है। खुले खाद्य तेलों की बिक्री पर प्रतिबंध है लेकिन उसके बाद भी थोक और फुटकर बाजार में खुला तेल बिक रहा है। खाद्य विभाग छापामारी का दावा करता है लेकिन नियमों का उल्लंघन करने वालों पर उसकी नजर नहीं जाती है। शहर के केसरगंज, बड़ा चौराहा, कलक्टरगंज फाटक के निकट की दुकानों के अलावा ग्रामीण क्षेत्र की बाजारों में भी खुले तेल की बिक्री की जा रही है।

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खाद्य विभाग भी चेकिग के लिए तैयार

- दीवाली के चलते बाजार में दूध की मांग अधिक होते हुए उसमें मिलावट शुरू हो गई है। यह मिलावट सबसे अधिक लोगों के दैनिक खर्च वाले दूध में अधिक होती है। इस मिलावटी को रोकने के लिए ने दूध मंडियों को निशाना बनाया है। खाद्य सुरक्षा अभिहित अधिकारी सीमित उत्पादन और अधिक खपत को लेकर मिलावट की संभावना से इंकार नहीं करते हैं। बताया कि मिलावट को देखते हुए सभी तहसीलों में खाद्य निरीक्षकों की टीम बनाकर छापामारी करने के निर्देश दे दिए हैं।

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प्रतिदिन औसतन दुग्ध उत्पादन और खपत

दुग्ध उत्पादन लगभग - 1.25 लाख लीटर

पीसीडीएफ व अन्य कंपनियां कर लेती हैं क्रय - 80000 लीटर

पनीर, छेना दूध में खपत - 12000 लीटर

दही व अन्य में दूध की खपत - 1000 लीटर

फुटकर दुग्ध की घरेलू व अन्य आपूर्ति - 2500 लीटर

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