ये क्रा¨सग जो देती हैं दर्द

उन्नाव, जागरण संवाददाता: कानपुर-लखनऊ रेल रूट की सरैंया क्रा¨सग के लिए ये कोई फिल्मी जुमला नहीं बल्कि

By Edited By: Publish:Thu, 30 Jun 2016 01:00 AM (IST) Updated:Thu, 30 Jun 2016 01:00 AM (IST)
ये क्रा¨सग जो देती हैं दर्द

उन्नाव, जागरण संवाददाता: कानपुर-लखनऊ रेल रूट की सरैंया क्रा¨सग के लिए ये कोई फिल्मी जुमला नहीं बल्कि हकीकत है। लखनऊ या उन्नाव से कानपुर जा रहे हैं और जाजमऊ के ट्रैफिक में फंसाव से बचने को गंगा बैराज की राह पकड़ ली तो इसका अनुभव आपको भी होगा। मरहला चौराहे तक तो सफर सुहाना रहेगा पर उसको पार करते ही सरैंया क्रा¨सग पर मुसीबत से सामना होगा। हर तीन-चार मिनट में बंद होने वाली क्रा¨सग पर रुकना तय है। जल्दी खुल भी गई तो टूटी सड़क पर डोलते ओवरलोड ट्रक और डंपरों के बीच से निकलने तक जान हलक में अटकी रहेगी। क्रा¨सग पार होने पर राहत की सांस भले लें पर आप उस घड़ी को कोसेंगे जरूर जब उधर से गुजरने का ख्याल मन में आया।

जी हां, यूपीएसआईडीसी की ट्रांस गंगा सिटी होते हुए गंगा बैराज को जाने वाली सड़क की सरैंया क्रा¨सग से गुजरने वाले वाहन चालकों के लिए ये हर दिन का दर्द है। लखनऊ और उन्नाव से कानपुर जाने और उधर से आने वालों के लिए यूं तो मार्ग मुफीद है। जाजमऊ के रास्ते शहर पहुंचने में जहां आधा से एक घंटे का वक्त लगता पर गंगा बैराज मार्ग से जाने में चंद मिनटों में ये सफर पूरा किया जा सकता है। बस दुश्वारी है तो क्रा¨सग की। वाहन बढ़े और ट्रेनों के संचालन में अक्सर बाधा आने लगी तो रेलवे ने नया थोड़ा चौड़ा गेटबूम जरूर लगा दिया, लेकिन पुराने के अवशेष अभी भी ट्रैफिक को उलझा रहे हैं। औसतन तीन से चार मिनट में बंद हो जाने वाली क्रा¨सग से साढ़े पांच लाख यूनिट वाहन (एक वाहन में पांच लोग) का ¨सगल लेन की रोड से गुजरना मुश्किल जंग से कम नहीं। ओवरलोड डंपर और ट्रकों के बीच से निकलना मौत के मुंह से निकलने से कम नहीं। कानपुर जा रहे लखनऊ के गारमेंट्स कारोबारी देवेंद्र गुप्ता तीसरी बार कार से उधर से गुजरे पर अब इस रास्ते से आने को तौबा कर ली। बोले, जान का जोखिम लेने अच्छा तो विलंब से पहुंचना भला है, आगे से जाजमऊ होकर ही कानपुर आएंगे जाएंगे।

हर तीन-चार मिनट पर ट्रेन

लखनऊ-कानपुर रेल खंड पर तकरीबन 150 ट्रेनों की आवाजाही होती तो वहीं 25 से 30 मालगाड़ी भी गुजरतीं। ऐसे में औसतन हर तीन-चार मिनट पर एक ट्रेन क्रा¨सग से होकर गुजरती। कुछ राहत रहती है तो बस रात में 12 से 3 के बीच जब रूट पर मेमू और एलकेएम ट्रेनों का संचालन बंद रहता। वहीं दिन में 12 से डेढ़ बजे के बीच बहुत कम ट्रेनों का गुजरना होता है।

इस कारण है दुश्वारी

- रेलवे क्रा¨सग के हिस्से को छोड़कर दोनों ओर ही दो लेन की सड़क।

- गेट से ऐन पहले और दोनों ट्रैक के बीच एक लेन से थोड़ी चौड़ी सड़क।

- हाइट गेज से दो भारी वाहन आमने-सामने होने पर एक को ठिठकना पड़ता।

- पुराने लगे बूम और लाक प्वाइंट न हटने से भी सड़क सिकुड़ी।

- दोनों गेट ठीक पहले और ट्रैक के बीच की सड़क पर बने गड्ढे।

हो सकती है कुछ राहत

- पुराने बूम व लाक प्वाइंट को हटाने भर से सड़क को 6 से 8 फिट चौड़ा किया जा सकता।

- हाइट गेज की चौड़ाई दो लेन के गुजरने भर की होने पर दोनों ओर का ट्रैफिक फंसेगा नहीं।

- दोनों ओर जितनी चौड़ी सड़क उतना ही चौड़ा रास्ता दोनों गेट के बीच में भी हो।

- गेट से पहले और रेल ट्रैक के बीच के हिस्से की सड़क हो गड्ढों से मुक्त।

- वाहनों की आपाधापी रोकने को ट्रैफिक पुलिस के सिपाही की पीक आवर में तैनाती हो।

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