चार साल में ही ढह गया बरुई अंत्येष्ठि स्थल का टिनशेड

गाजियाबाद के मुरादनगर के बने अंत्येष्ठि स्थल का हादसा देखकर भदैंया के गोमती नदी किनारे बने बरुई के शवदाह स्थल की याद ताजा हो जाती है। जिसका भवन बनने के बाद से ही जर्जर है तथा शौंचालय उखड़कर बदहाल हो गया है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Jan 2021 11:34 PM (IST) Updated:Sun, 17 Jan 2021 11:34 PM (IST)
चार साल में ही ढह गया बरुई अंत्येष्ठि स्थल का टिनशेड
चार साल में ही ढह गया बरुई अंत्येष्ठि स्थल का टिनशेड

सुलतानपुर : गोमती नदी किनारे बरुई गांव में शमशान स्थल का टिनशेड चार साल में ही ढह गया। घटिया निर्माण के चलते यह ढांचा अधिक वक्त तक नहीं टिक सका। यहां का शौचालय भी बदहाल हो गया है। आने जाने का रास्ता भी ठीक नहीं है। जिससे लोगों को परेशानी होती है।

गाजियाबाद के मुरादनगर के बने अंत्येष्ठि स्थल का हादसा देखकर भदैंया के गोमती नदी किनारे बने बरुई के शवदाह स्थल की याद ताजा हो जाती है। जिसका भवन बनने के बाद से ही जर्जर है तथा शौंचालय उखड़कर बदहाल हो गया है। पांच साल पहले गोमती नदी किनारे बरुई घाट के बगल करीब बीस लाख की लागत से श्मशान घाट अंत्येष्ठि स्थल का निर्माण कराया गया है। इसके शुरुआत मे ही घटिया निर्माण का आरोप लगा फिर भी काम पूरा कर भुगतान हो गया। इस स्थल पर बने कक्ष की फर्श बनने के साल भर के भीतर ही धंस गई है। कमरे के ऊपर का टिनशेड भी टूटकर गिर गया है। इससे गर्मी में धूप व बारिश में पानी कमरे में पहुंचता है। पांच साल पहले बने श्मशान घाट पर बने कक्ष की दीवारों में दरार आ गई है तथा कक्ष का दरवाजा कोई उखाड़ ले गया है। घटिया निर्माण के चलते माघ की ठंड व जून की गर्मी में भी लोग बने कक्ष के नीचे गिरने के भय से नहीं बैठते हैं। अमूमन शव के दाह संस्कार मे तीन से चार घंटे लगते हैं, लेकिन लोग पेड़ों के नीचे ही समय बिताकर काम चलाते हैं। यूं तो यहां सात शौचालय बने हैं लेकिन सब के सब जर्जर हो गए हैं। इस संबंध में खंड विकास अधिकारी राममिलन वर्मा ने बताया कि हमें इसकी जानकारी नहीं है। इसकी जांच पड़ताल करा व्यवस्था ठीक कराई जाएगी।

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