मानसून की दस्तक बनी किसानों के लिए सौगात
- फसल चक्र पूरा होने से कम लागत में मिल सकेगा अधिक मुनाफा
सुलतानपुर : सब कुछ ठीक ठाक रहा तो मानसून की अग्रिम आमद धान फसल के लिए वरदान साबित हो सकेगी। अगेती रोपाई से फसल के रोगमुक्त रहने और अधिक उत्पादन की संभावना है। साथ ही धान की समय पर कटाई के बाद किसान नकदी फसल आलू, मटर, सरसों की बोआई समय से कर सकेंगे।
मानसून के सहारे होता है उत्पादन
यहां के अधिकतर किसान खरीफ की मुख्य फसल धान की रोपाई परंपरागत तरीके से करते है। तकरीबन 93 हजार हेक्टेयर में धान की खेती की जाती है। वर्षा सत्र में मानसून के सहारे पूरे क्षेत्र में धान का उत्पादन होता है। इस खेती के लिए किसान पूरी तरह वर्षा पर आश्रित हैं। भदैया के बालमपुर निवासी प्रगतिशील किसान भोला सिंह ने कहा कि धान का सकल उत्पादन बेहतर वर्षा पर आधारित है।
- बन रही बेहतर उम्मीद
हर साल मानसून का आगमन जून के अंत में होता है। ऐसे में जुलाई के अंत तक धान की रोपाई की जाती है। इस बार हालात बदल रहे हैं। मई में चक्रवात यास के प्रभाव से हुई वर्षा के चलते किसानों ने धान की नर्सरी डाल ली है। अब मानसून के समय से आगमन ने उन्हें रोपाई का मौका दिया है। ऐसे में जून के अंत तक तकरीबन एक माह पहले रोपाई हो सकेगी। अक्टूबर तक फसल पकने और कटने से किसानों को मौका मिल सकेगा। आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. आरआर सिंह कहा कि मानसून की बरसात से खेती के फसल चक्र को पूरा करने के साथ बेहद कम लागत पर किसान खाद्यान्न के साथ सब्जी की खेती कर आर्थिक लाभ पा सकेंगे।