केंद्र की संजीवनी के बाद भी मनरेगा ने तोड़ा दम

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By JagranEdited By: Publish:Sun, 16 Dec 2018 10:11 PM (IST) Updated:Sun, 16 Dec 2018 10:11 PM (IST)
केंद्र की संजीवनी के बाद भी मनरेगा ने तोड़ा दम
केंद्र की संजीवनी के बाद भी मनरेगा ने तोड़ा दम

संजय तिवारी, सुलतानपुर :

पीएम आवास समेत केंद्र की तमाम योजनाओं के बावजूद मनरेगा में मजदूरों को काम नहीं मिल पा रहा। जिले में एक लाख 46 हजार के सापेक्ष सिर्फ 15 हजार श्रमिकों को ही रोजगार मिल पा रहा है। लिहाजा मनरेगा के तहत चल रहे 329 गांवों में विकास कार्य का पहिया भी ठप हो गया है। जिम्मेदार अधिकारियों के पास इस मद में कोई सटीक जवाब नहीं है। जबकि सरकार की ओर से मजदूरों को न्यूनतम 100 दिन के रोजगार की गारंटी का दावा किया जाता है। जिले में दो लाख 39 हजार 46 मजदूर पंजीकृत हैं। इनमें से एक लाख 46 हजार 132 श्रमिक क्रियाशील हैं, लेकिन काम सिर्फ 15 हजार 30 ही कर रहे हैं। जबकि अभी 15 करोड़ से अधिक का विकास कार्य 31 दिसंबर तक पूरा किया जाना है। बावजूद श्रमिक बेरोजागर टहल रहे हैं।

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कुड़वार में सिर्फ 400 मजदूर कर रहे काम

सरकारी आंकड़े बताते हैं कि कुड़वार में सिर्फ 400 मजदूरों को काम मिला है। वहीं मोतिगरपुर में 407, जय¨सहपुर में 541, अखंडनगर में 576, भदैंया में 734, दोस्तपुर में 742, कादीपुर में 781 श्रमिकों को रोजगार पा रहे हैं। 94 ग्रामसभा का जिले में सबसे बड़ा ब्लाक दूबेपुर है। लेकिन इस क्षेत्र के 39 ग्राम पंचायतों में 732 मजदूरों को ही काम मिल सका है।

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मजदूरों की जगह मशीन तो नहीं कर रही काम?

विभागीय अफसरों के अनुसार संपर्क मार्ग, नाली-खंडजा, तालाबों के जीर्णोद्धार, खेतों का समतलीकरण, प्रधानमंत्री आवास, चारागाहों के विकास, नालों व माइनरों की सफाई, वन विभाग में नर्सरी के निर्माण आदि कार्य मनरेगा के जरिए युद्धस्तर पर कराए जा रहे हैं। सवाल उठता है कि इतने विकास कार्यों के बावजूद श्रमिक नियोजित क्यों नहीं हो पा रहे हैं। कहीं मजदूरों की जगह मशीन से तो काम नहीं लिया जा रहा है।

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गांवों में विकास ठप है वहां मजदूरों द्वारा काम नहीं मांगा जा रहा है। कुछ जगहों पर कार्ययोजना बनाकर भेजा गया है। जल्द वहां भी काम प्रारंभ कराए जाएंगे।

- विनय कुमार श्रीवास्तव, श्रम उपायुक्त मनरेगा।

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