स्वरचित रचनाओं से वक्ताओं ने किया मंत्रमुग्ध

एनटीपीसी शक्तिनगर स्थित संगम शापिग सेंटर परिसर में साहित्यिक सामाजिक संस्था सोन संगम द्वारा शनिवार को हिन्दी दिवस पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 15 Sep 2019 04:50 PM (IST) Updated:Sun, 15 Sep 2019 04:50 PM (IST)
स्वरचित रचनाओं से वक्ताओं ने किया मंत्रमुग्ध
स्वरचित रचनाओं से वक्ताओं ने किया मंत्रमुग्ध

जासं, शक्तिनगर (सोनभद्र) : एनटीपीसी शक्तिनगर स्थित एक शापिग सेंटर परिसर में सोन संगम द्वारा हिन्दी दिवस पर काव्य गोष्ठी कराई गई।। मुख्य अतिथि कोलकाता के रामेश्वर मिश्र अनुरोध ने राष्ट्रभाषा हिन्दी के इतिहास, विकास एवं वर्तमान चुनौतियों पर प्रकाश डाला।

उन्होंने हिन्दी के अधिकाधिक प्रयोग एवं रचनात्मक साहित्य के सृजन पर बल दिया। वीएस तिवारी ने 'हूं मैं बहुत हैरान, कहां खो रहा इंसान' गीत सुनाकर सामाजिक विडंबनाओं को रेखांकित किया। कवि पाणि पंकज पांडेय ने एक हाथ गीता, मां एक में कुरान दे, वंदना की प्रस्तुति कर राष्ट्रीय एकता के स्वर को बुलंद किया। बहर बनारसी ने 'हमें गले से लगाने कोई नहीं आया' गजल के माध्यम से जीवन के एकांकीपन को आवाज दी। माहिर मीरजापुरी की गजल 'कूचा-ए-जाना में जाना मैंने छोड़ दिया' ने श्रोताओं की खूब वाहवाही बटोरी। योगेंद्र मिश्र ने 'गूगल पे पैदा हुए, वाट्सएप पे यंग' व्यंग्य रचना से सोशल मीडिया के अतिशय प्रयोग पर चुटकी ली। रमाकांत पांडेय ने 'काहे बोलेला बोलिया कठोर भइया' गीत सुनाकर भाषा के संस्कार पर जोर दिया। विशिष्ट अतिथि चंद्रिका प्रसाद पांडेय 'अनुरागी' के गीत 'वही बातें, वही तकरार, यार रहने दो, है तो ये अपना ही परिवार, यार रहने दो' ने कार्यक्रम में चांद लगा दिया।

अध्यक्षता कर रहे आलोक चन्द्र ठाकुर ने 'इतना न सफल हो जाना तुम, संशय के बादल छा जायें' गीत प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन मानिकचंद पांडेय एवं आभार चंद्रशेखर जोशी ने किया। इस अवसर पर कार्यकारी अध्यक्ष नवीन चंद्र श्रीवास्तव, विजय दुबे, उमेश चंद्र जायसवाल, केके पांडेय, उपेंद्र, मुकेश, विकास, श्रवण आदि थे।

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