जीएसटी व नोटबंदी से ज्यादा असर खनन बंदी का

जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : दीपावली और छठ पूजा जैसे महापर्व को लेकर गत वर्षों जैसा उ

By JagranEdited By: Publish:Tue, 17 Oct 2017 05:27 PM (IST) Updated:Tue, 17 Oct 2017 05:27 PM (IST)
जीएसटी व नोटबंदी से ज्यादा असर खनन बंदी का
जीएसटी व नोटबंदी से ज्यादा असर खनन बंदी का

जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : दीपावली और छठ पूजा जैसे महापर्व को लेकर गत वर्षों जैसा उत्साह लोगों में नहीं दिख रहा है। बाजारों में भी लोगों का रूझान नहीं दिखाई पड़ रहा है। जहां व्यापारी भी थोड़े सकते में हैं वहीं उपभोक्ता भी त्योहार के हिसाब से दुकानों पर नहीं दिख रहे हैं। नोटबंदी का असर बाजार में उतना नहीं दिख रहा है लेकिन जीएसटी ने व्यापारियों में कुछ उलझने बढ़ाई है। इन उलझनों के बीच खनन क्षेत्र की बंदी ने सबसे ज्यादा असर बाजार पर डाला है। खनन कार्य व्यापक तौर पर न चलने के कारण खरीदारी की क्षमता पर असर डाला है। जिसकी वजह से बाजार में इस बार इतनी रौनक नहीं दिखाई पड़ रही है।कई व्यापारियों ने बताया कि उछाल तो छोड़िये मात्र 20 फीसद तक व्यापार सिमट गया है।

सराफा, किराना, कपड़ा सहित तमाम वस्तुओं की दुकानें सामान्य दिनों जैसी दिख रही हैं। हालांकि अगले दो दिनों में बाजार का रंग सही स्थिति स्पष्ट करेगा।

क्या बोले व्यवसायी

व्यवसायी पवन ¨जदल का कहना है कि नोटबंदी एवं जीएसटी से तमाम तकनीकि दिक्कतें हुई हैं लेकिन इस वर्ष खनन क्षेत्र की बंदी का सबसे ज्यादा असर बाजार में दिख रहा है। पिछले वर्षों तक दीपावली पर 80 फीसद तक बाजार में उछाल आता था लेकिन इस बार उछाल छोड़िये, मात्र 20 फीसद तक बिक्री सिमट गयी है। बाजार से ग्राहक लगभग नदारद हैं। इसी तरह ओबरा उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल के संरक्षक सुशील कुशवाहा ने बताया कि नोटबंदी से बाजार कुछ दिन जरूर स्थिर रहा पर अब उसका कोई नकारात्मक असर नहीं है। जीएसटी के कुछ ़खास वर्गों में कुछ खामियां हैं जो आज भी व्यापारियों के समझ से परे है। सरकार को इसमें कई संशोधन करने की जरूरत है। जीएसटी के कारण सामान के परिवहन में भारी दिक्कतें आ रही हैं,जिसके कारण सामान सही समय पर नहीं मिल रहा है। जिसका बाजार पर असर पड़ रहा है। सराफा व्यवसायी अमित सेठ का कहना है कि जीएसटी आने के बाद टैक्स 1 प्रतिशत की जगह 3 प्रतिशत हो गया है,लेकिन इससे ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ रहा है।सबसे ज्यादा असर खनन बंदी के कारण पड़ा है। इस वर्ष बिक्री लगभग 75 फीसद घटी है। खनन व्यवसाय का सा़फ असर सराफा बाजार पर पड़ा है। मात्र 25 फीसद बिक्री की ही संभावना दिख रही है। यह वर्ष व्यवसायियों के लिए मायूसी भरा है।

अशोक यादव ने कहा जीएसटी की जानकारी पूरी न होने के कारण व्यापारी खुल कर व्यापार नहीं कर पा रहा है। जिसका असर दीवाली पर बाजारों में देखने को मिल रहा है। मोबाइल की दुकान चलाने वाले राजेश ¨जदल ने कहा कि इस वर्ष बाजार बिल्कुल ठंडा है। इसके उठने का कोई आसार नहीं दिख रहा है।

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