बर्न यूनिट की एसी खराब, सफाईकर्मी बनाता है खाना

देश के 115 एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट में शामिल सोनभद्र जिले में शिक्षा स्वास्थ्य कृषि कौशल विकास समेत अन्य योजनाओं के व्यापक प्रचार-प्रसार आम जन तक उसकी पहुंच के लिए नीति आयोग के निर्देशानुसार काम हो रहा है। पहले की अपेक्षा काफी सुधार हुआ है। शायद यहीं वजह है कि रैकिग में पहले की तुलना सुधार भी हुआ है। लेकिन जिले सबसे महत्वपूर्ण जिला संयुक्त चिकित्सालय में आज भी अव्यवस्थाओं का बोलबाला है। कभी जीवन रक्षक दवाओं का अभाव होता है तो कभी कर्मचारियों पर वर्कलोड इतना ज्यादा होता है कि वे बीमार पड़ने लगते हैं। यहां इलाज के नाम पर पैसे लेने व सुविधाओं के नाम पर मरीजों को ठगने की शिकायत तो आम है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 Jun 2019 09:43 PM (IST) Updated:Wed, 19 Jun 2019 06:32 AM (IST)
बर्न यूनिट की एसी खराब, सफाईकर्मी बनाता है खाना
बर्न यूनिट की एसी खराब, सफाईकर्मी बनाता है खाना

जागरण संवाददाता, सोनभद्र : देश के 115 एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट में शामिल सोनभद्र जिले में शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, कौशल विकास समेत अन्य योजनाओं के व्यापक प्रचार-प्रसार, आमजन तक उसकी पहुंच के लिए नीति आयोग के निर्देशानुसार काम हो रहा है। पहले की अपेक्षा काफी सुधार भी हुआ है लेकिन जिले सबसे महत्वपूर्ण जिला संयुक्त चिकित्सालय में आज भी अव्यवस्थाओं का बोलबाला है। सबसे महत्वप‌रू्ण बर्न यूनिट की दो एसी में से एक खराब पड़ी है वहीं जीवन रक्षक दवाओं का अभाव है। कर्मचारियों की भी कमी है। इन पर वर्कलोड इतना ज्यादा है कि वे बीमार पड़ जाते हैं। यहां इलाज के नाम पर पैसे लेने व सुविधाओं के नाम पर मरीजों को ठगने की शिकायत तो आम है।

मंगलवार को दैनिक जागरण की टीम ने जब आफिस लाइव कार्यक्रम के तहत अस्पताल पहुंची तो व्यवस्थाओं की पोल खुली। अस्पताल में प्रवेश करते ही मरीजों से खचाखच भरे इमरजेंसी वार्ड में कहीं वार्ड ब्वाय नहीं दिखा। इमरजेंसी कक्ष में बैठे चिकित्सकों से मरीजों के परिजन अपने मरीज को पहले देखने के लिए मिन्नत करते नजर आए। ओपीडी में वरिष्ठ चेस्ट फिजीशियन के अवकाश पर होने के कारण उनका कक्ष खाली रहा। पड़ताल के दौरान पता चला कि यहां बच्चों के उल्टी-दस्त में सबसे कारगार जिक की दवा होती है वह अस्पताल में है ही नहीं। इलाज के नाम पर पैसा मांगने का आरोप

जिला संयुक्त चिकित्सालय में अव्यवस्था इस कदर है कि पूछना ही नहीं। अभी कुछ ही दिन अस्पताल में दलालों के सक्रिय होने का मामला प्रकाश में आने पर सीएमएस ने कोतवाली पुलिस को पत्र लिखकर ऐसे लोगों को चिह्नित करने व पकड़वाने की मांग की थी। वहीं कुछ माह पहले एक चिकित्सक द्वारा ऑपरेशन के नाम पर पैसे लेने का मामला सामने आया था। वह मामला लोग भूले भी नहीं कि मंगलवार को जब जागरण की टीम आफिस लाइव करने पहुंची तो वहां एक मरीज के परिजन ने ऑपरेशन कर राड डालने के बदले 15 हजार रुपये की मांग करने की बात कही। दुद्धी की फातिमा बेगम ने बताया कि उनका प्रपौत्र पेड़ से गिर गया। उसे गंभीर चोट आई। यहां चिकित्सक ने देखा तो ऑपरेशन कर राड डालने के लिए बोला। कहते हैं 15 हजार रुपये का इंतजाम करने पर ही राड पड़ेगी। फातिमा कहती हैं कि वह आयुष्मान योजना की लाभार्थी हैं। बावजूद इसके पैसे की मांग की जा रही है। प्रसव के लिए ले लिया तीन हजार

जिला अस्पताल में महज हड्डी के ऑपरेशन के नाम पर ही पैसे की मांग नहीं की गई बल्कि प्रसव कराने के नाम पर भी तीन हजार रुपये ले लिए गए। गुरौटी गांव से अपनी पुत्री को लेकर आईं रेशमी कहती हैं कि पांच दिन पहले उन्होंने अपनी पुत्री ज्योति को प्रसव पीड़ा होने पर भर्ती कराया। यहां बड़े ऑपरेशन से प्रसव कराने के लिए आशा ने तीन हजार रुपये लिए। उसने कहा कि जो डॉक्टर ऑपरेशन करेंगे उन्हें पैसा देना है। सफाईकर्मी बंटाता है रसोइयां का हाथ

तमाम अव्यवस्थाओं के बीच यहां काम करने वाले कर्मियों पर कितना वर्कलोड होता है इसका अंदाजा यहां के रसोइयां को देखकर आसानी से लगाया जा सकता है। प्रतिदिन करीब पचास मरीज भर्ती होते हैं। इनको दोनों टाइम रोटी, सब्जी, दाल बनाने के लिए महज दो कर्मी रखे गए हैं। ऐसे में ये लोग मदद के लिए सफाई कर्मी से भी हाथ बंटवा लेते हैं। रसोइयां श्यामनारायण कहते हैं नियम के मुताबिक तो 12 बजे तक भोजन मिल जाना चाहिए लेकिन एक समय पचास लोगों का खाना बनाने में पसीना छूटने लगता है। ..क्योंकि हम दो लोग ही हैं। यानि दोनों टाइम मिलाकर सौ लोगों का खाना बना पड़ता है। कहते हैं इस बावत हमने लिखित रूप से अधिकारियों को अवगत कराया है। बोले अधिकारी..

जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं में काफी सुधार हुआ है। रसोइयां की कमी है, अन्य कर्मियों की भी कमी के बारे में उच्चाधिकारियों को लिखा गया है। बाकी अन्य खामियों को दूर कर लिया गया है। अगर किसी कर्मी की मनमानी की शिकायत मिलती है तो उसकी जांच कराकर कार्रवाई की जाती है।

- डा. पीबी गौतम, सीएमएस।

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