इलेक्ट्रिसिटी एक्ट में संशोधन के विरोध में आंदोलन का एलान

केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा बिजली के निजीकरण की ²ष्टि से इलेक्ट्रीसिटी एक्ट 2003 में किये जा रहे प्रतिगामी संशोधनों के विरोध में आंदोलन की घोषणा कर दी है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 11 Dec 2019 05:58 PM (IST) Updated:Wed, 11 Dec 2019 05:58 PM (IST)
इलेक्ट्रिसिटी एक्ट में संशोधन के विरोध में आंदोलन का एलान
इलेक्ट्रिसिटी एक्ट में संशोधन के विरोध में आंदोलन का एलान

जासं, ओबरा (सोनभद्र) : केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा बिजली के निजीकरण की ²ष्टि से इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 में किए जा रहे संशोधनों के विरोध में आंदोलन की घोषणा कर दी है। समस्याओं के समाधान के लिए उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर एवं अभियंता आठ जनवरी को देश के 15 लाख बिजली कर्मचारियों के साथ एक दिन की हड़ताल करेंगे। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने हड़ताल की नोटिस केंद्र व राज्य सरकार को प्रेषित कर दी है। संघर्ष समिति द्वारा भेजी गई नोटिस में मुख्यतय: 11 मांगें सम्मिलित हैं। संघर्ष समिति के घटक अभियंता संघ के केंद्रीय अध्यक्ष इं. जीके मिश्रा ने बताया कि विद्युत परिषद के विघटन व निजीकरण की नीति से हुई विफलताओं से सबक लेने के बजाए केंद्र सरकार निजीकरण करने की ²ष्टि से  इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 में आगामी बजट सत्र में प्रतिगामी संशोधन करने पर आमादा है। जिसमें बिजली आपूर्ति की कई निजी कंपनियों को देने की व्यवस्था है। यदि यह बिल पारित हो गया तो बिजली आपूर्ति करने वाली निजी कंपनियां मुनाफे वाले बड़े उपभोक्ताओं को बिजली देकर भारी मुनाफा कमाएंगी जबकि सरकारी क्षेत्र की बिजली आपूर्ति कंपनी ग्रामीण क्षेत्रों, किसानों, गरीबों और आम उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति कर केवल घाटे में रहेगी और इस प्रकार सरकारी बिजली आपूर्ति कम्पनियों का दीवाला निकल जायेगा और क्रास सब्सिडी खत्म हो जाने से अंतत: आम उपभोक्ताओं का टैरिफ बढ़ेगा।

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ये हैं प्रमुख मांगें

संघर्ष समिति की मांग है कि बिजली निगमों का एकीकरण कर केरल व हिमाचल प्रदेश की भांति उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद लिमिटेड का पुनर्गठन किया जाए। बिजली के निजीकरण की ²ष्टि से इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 में किए जाने वाले समस्त संशोधन वापस लिए लाएं। श्रम कानूनों में किए जा रहे समस्त प्रतिगामी संशोधन वापस लिये लाएं, आगरा का विद्युत वितरण फ्रेन्चाईजी करार व ग्रेटर नोएडा का निजीकरण रद्द किया जाये। उप्र पावर सेक्टर इम्प्लाइज ट्रस्ट एवं उप्र पीसीएल सीपीएफ ट्रस्ट की डीएचएफएल में निवेश की गयी धनराशि के भुगतान हेतु प्रमुख सचिव(ऊर्जा) द्वारा 23 नवम्बर 2019 को जारी आदेश पर गजट नोटीफिकेशन जारी किया जाये। घोटाले के दोषियों पूर्व चेयरमैनों (जो ट्रस्ट के भी चेयरमैन रहे) व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को बर्खास्त कर गिरफ्तार किया जाए व मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुपालन में सीबीआइ जांच तत्काल प्रारम्भ कराए जाने समेत अन्य मांगें हैं।

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