बिल्ली जंक्शन पर ट्रेनों के ठहराव की मिली सौगात

By Edited By: Publish:Sat, 31 Aug 2013 06:39 PM (IST) Updated:Sat, 31 Aug 2013 06:40 PM (IST)
बिल्ली जंक्शन पर ट्रेनों के ठहराव की मिली सौगात

ओबरा (सोनभद्र) : डीआरएम से वार्ता कर लौटे आंदोलनकारियों की बातों पर विश्वास करे को बिल्ली जंक्शन पर कई ट्रेनों के ठहराव की सौगात मिल गई है। अब उसमें कागजी औपचारिकताएं पूरी होनी शेष है। ट्रेनों के ठहराव के मुद्दे पर जन कल्याण समिति के कार्यकर्ताओं ने बिल्ली जंक्शन पर कई दिनों तक धरना दिया और आस-पास के क्षेत्रों में जन संपर्क कर समर्थन मांगा। लोगों ने समिति समर्थन देकर आंदोलन को धार दी।

धनबाद में पूर्व मध्य रेलवे के डीआरएम सुधीर कुमार, डीसीएम दयानंद से हुई द्विपक्षीय वार्ता में मौजूद समिति के अध्यक्ष सीपी माली, एसपी सिंह ने कहा कि बिल्ली जंक्शन पर ट्रेनों के ठहराव पर सहमति बन गई है। डीआरएम ने सहमति दी है कि त्रिवेणी व इंटरसीटी एक्सप्रेस बिल्ली जंक्शन पर रुकेंगी। दोनों ट्रेनों को ट्रायल में दिया जा रहा है। इनसे लाभ दिखाई देगा तो अन्य गाड़ियों को भी बिल्ली जंक्शन पर ठहराव की अनुमति दी जा सकेगी।

डीआरएम के आश्वासन से उत्साहित कार्यकर्ताओं ने माना कि आंदोलन और लोगों के समर्थन से बिल्ली जंक्शन पर ट्रेनों के ठहराव पर रेलवे के उच्चाधिकारी राजी हो सके है।

त्रिवेणी, इंटरसीटी रुकेंगी

शक्ति नगर से बरेली जाने वाली त्रिवेणी एक्सप्रेस, बरवाडीह-चोपन त्रिवेणी लिंक, सिंगरौली-वाराणसी इंटरसीटी ट्रेनें रुकेंगी। ट्रेनों के ठहरने की तिथि फिलहाल अभी घोषित नहीं हो सकी है।

बिल्ली जंक्शन से पांच राज्य के लिंक

बिल्ली जंक्शन पर तो कई दशक पूर्व ट्रेनों के ठहराव की अनुमति मिल जानी चाहिए थी, क्योंकि बिल्ली जंक्शन से उत्तर प्रदेश का बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश से लिंक है। इसी जंक्शन से ही सीमावर्ती राज्यों के रास्ते निकले है। न जाने क्यों? लोगों की निगाहे इस ओर पहले नहीं गई, जबकि ओबरा में तापीय परियोजना की स्थापना के साथ ही रेलवे के विस्तार को बल मिला है।

इलेक्ट्रिक ट्रेनों की जरूरत

अफसोस की बात है कि सोनभद्र से करीब 12 हजार मेगावाट से अधिक उत्पादित बिजली के बावजूद भी डीजल इंजन से ट्रेनें संचालित है। रेलवे लाइनों का आधुनिकीकरण, विस्तार व इलेक्ट्रिक ट्रेनें चलाई जाएं तो क्षेत्र के विकास में गति मिलेगी। कोयला, पत्थर, बालू व अन्य खनिज भंडार के बावजूद अभी तक इलेक्ट्रिक लाइनों का नहीं होना क्षेत्र की अनदेखी से अधिक नहीं है। जिले के सभी रेलवे लाइनों का विद्युतीकरण जरूरी हो गया है।

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