रामपाल की हो रिहाई, तो बहनों को मिले भाई
सीतापुर : पत्नी पराई हो गई, पिता ने साजिशों में जान गंवा दी, जिसके बाद हत्या के आरोप
सीतापुर : पत्नी पराई हो गई, पिता ने साजिशों में जान गंवा दी, जिसके बाद हत्या के आरोप में पुलिस ने उसे जेल भेज दिया। भाई छोटे थे, जो केस लड़ने के लिए रुपयों का इंतजाम न कर सके और बहनें तो खुद दूसरों के सहारे पर थीं। ऐसे हालात में पैरवी हो न सकी। बूढ़ी मां ने पुत्र के जेल से छूटने का इंतजार करते करते 15 वर्ष बाद दुनियां से विदाई ले ली।
यह हकीकत है बिसवां क्षेत्र के ग्राम डिघहा बोहरा निवासी रामपाल की। 15 वर्ष पूर्व उसकी पत्नी राजकुमारी ने दूसरा जीवन साथी चुन लिया। इसी बीच हत्या के एक मामले में पुलिस ने रामपाल को जेल भेज दिया। बूढ़ा पिता दीनबंधु पैरवी में जुटा, तो कुछ दिन बाद ही उसका शव भी पड़ा मिला। पिता की मौत के बाद रामपाल के केस की पैरवी ही टूट गई। भाई अमर ¨सह, अवधेश, पुतान, सुनील कुमार इतने छोटे थे कि वे मुकदमे के लिए रुपयों का इंतजाम भी नहीं कर सकते थे। नतीजा न्यायालय ने उसे उम्र कैद की सजा सुना दी। बुजुर्ग मां बड़की देवी जेल में मिलने जरूर जाती थी। बहनें राजवती, बिट्टो देवी, तारा देवी व जनता देवी अपनी अपनी ससुराल जाकर वहीं की हो गईं। क्या भाई क्या बहनें सभी मायूस हो चुके हैं, वे उम्मीद भी हार चुके कि रामपाल अब रिहा होकर बाहर भी आएगा। मां बड़की देवी को जरूर आस थी, कि उसका पुत्र एक दिन जरूर जेल के बाहर आएगा, लेकिन राह तकते-तकते छह माह पूर्व ही वह भी दुनिया से चली गई। ऐसे में पूरा का पूरा परिवार मायूस था। सरकार के फैसले से इस परिवार को भी उम्मीद जागी है। रामपाल की दया याचिका पर प्रशासन ने अपनी संस्तुति शासन को भेजी है। अगला फैसला शासन को लेना है। इनसेट सबकुछ ठीक रहा तो..
सबकुछ ठीक रहा तो दो अक्टूबर को रामपाल भी खुली हवा में सांस ले सकेगा। रामपाल की बहनों राजवती, बिट्टो, तारा देवी व जनता देवी का कहना है कि हर बार रक्षा बंधन में उन्हें मायूसी हाथ लगती है। अगर सरकार रामपाल को रिहा करती है, तो बहनों के लिए बड़ी खुशी का दिन होगा। रिहा होने पर रक्षा बंधन की खुशियों में चार चांद लग जाएंगे।