पीपीआइयूसीडी अपनाने में सीतापुर नंबर वन

स्त्रद्बह्यह्लह्मद्बष्ह्ल ड्डह्मद्ग ठ्ठश्र श्रठ्ठद्गस्त्रद्बह्यह्लह्मद्बष्ह्ल ड्डह्मद्ग ठ्ठश्र श्रठ्ठद्गस्त्रद्बह्यह्लह्मद्बष्ह्ल ड्डह्मद्ग ठ्ठश्र श्रठ्ठद्गस्त्रद्बह्यह्लह्मद्बष्ह्ल ड्डह्मद्ग ठ्ठश्र श्रठ्ठद्ग

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Feb 2019 10:36 PM (IST) Updated:Fri, 22 Feb 2019 10:36 PM (IST)
पीपीआइयूसीडी अपनाने में सीतापुर नंबर वन
पीपीआइयूसीडी अपनाने में सीतापुर नंबर वन

सीतापुर : परिवार नियोजन के तहत पीपीआइयूसीडी (पोस्ट पार्टम इंट्रायूटेराइन कोंट्रासेप्टिव डिवाइस) अपनाने के मामले में सीतापुर का प्रदेश में पहला स्थान है। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग सीएमओ डॉ. आरके नैय्यर को सम्मानित करेगा। इसके तहत राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक ने पत्र जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि परिवार कल्याण के क्षेत्र में वर्ष 2017-2018 में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले सरकारी व निजी क्षेत्र के सेवा प्रदाताओं को सम्मानित किया जाना है। 23 फरवरी को सम्मान समारोह लखनऊ के अटल बिहारी बाजपेयी साइन्टिफिक कन्वेशन सेंटर में आयोजित किया गया है। जिसमें परिवार कल्याण मंत्री अपने हाथ से पुरस्कार देकर सम्मानित करेंगे। इस मामले में लखनऊ दूसरे नंबर पर, फिरोजाबाद तीसरे व हरदोई जिला चौथे नंबर पर है। जाने क्या है पीपीआईयूसीडी

सीएमओ कहते हैं कि यह बच्चों में अंतर रखने की एक विधि है। जिसमें महिला के प्रसव के तुरंत बाद गर्भाशय में यह डिवाइस लगाई जाती है। बच्चों में तीन या तीन वर्ष से अधिक समय का अंतर रखने के लिए इस विधि का उपयोग किया जाता है। इससे मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं पड़ता। जब दंपती को अगले बच्चे की इच्छा हो, तो वह यह डिवाइस गर्भाशय से निकलवा सकते हैं। प्रोत्साहन राशि भी दी

जिम्मेदारों ने बताया कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग, परिवार नियोजन के विभिन्न तरीके अपनाने के लिए लोगों को जागरूक कर रहा है। इनमें कंडोम, गर्भ निरोधक गोलियां, पीपीआइयूसीडी अन्य शामिल हैं। इसकी शुरुआत जनवरी 2012-13 में हुई थी। स्वास्थ्य विभाग द्वारा महिलाओं को पीपीआइयूसीडी लगाने वाली आशा वर्कर और स्टाफ नर्स को 150-150 रुपये प्रोत्साहन राशि के तौर पर दिए जाते हैं। प्रोत्साहन राशि मिलने से इसके अच्छे परिणाम सामने आने लगे। सुरक्षित करती है डिवाइस

पीपीआइयूसीडी महिलाओं को समय से पहले गर्भवती होने से बचाती है। जिससे शिशु जन्म दर के साथ-साथ मातृत्व मृत्यु दर में भी कमी आती है। इसके अतिरिक्त जल्दी गर्भवती होने के कारण अन्य परेशानियों से भी मुक्ति पाई जा सकती है।

chat bot
आपका साथी