सीएचसी में महिला डाक्टर है न बालरोग विशेषज्ञ, दवाओं का भी टोटा
सीएचसी में पांच में तीन एंबुलेंस खराब हो गईं दो से चल रहा काम
सीतापुर: पहला ब्लॉक में सीएचसी व बेहमा पीएचसी पर एक भी विशेषज्ञ नहीं है। क्षेत्र में जरूरतमंदों को सबसे अधिक कमी अस्पताल में स्त्री रोग व बाल रोग विशेषज्ञ न होने की खलती है। स्त्री रोग से जुड़ी दवाइयों का भी टोटा है। पहला सीएचसी व बेहमा पीएचसी की स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत बता रहे हैं-
पहला ब्लॉक मुख्यालय की सीएचसी जिले से करीब 52 किमी दूर है। ऐसे में जब सीएचसी में उन्हें इलाज नहीं मिल पाता है तो वह झोलाछाप से उपचार करने को विवश हो जाते हैं। यहां स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं होने से हर महीने 30-40 क्रिटिकल केस रेफर होते हैं। सीएचसी में तीन-चार साल से महिला डॉक्टर नहीं है। ऐसे में महिला रोगी पुरुष डॉक्टरों को अपनी मर्ज बताने में संकोच करती हैं। सामान्य गर्भवती महिलाओं की जैसे-तैसे स्टाफ नर्स डिलीवरी कराती हैं। बाल रोग विशेषज्ञ भी नहीं हैं। सीएचसी पर पांच एंबुलेंस हैं। इनमें तीन चालू नहीं हैं। उन्हें कबाड़ में शामिल कर दिया गया है।
स्वास्थ्य कर्मियों के 22 पद रिक्त
पहला सीएचसी पर स्वास्थ्य कर्मियों के कुल 54 पद हैं। इसमें सिर्फ 32 कर्मी तैनात हैं। पांच हेल्थ सुपरवाइजरों में सिर्फ एक नियुक्त है। एएनएम के 26 पद हैं। 15 एएनएम नियुक्त हैं।
अभी नए हैं आवास, रहता है स्टाफ
सीएचसी में छह आवास हैं। इसमें तीन में डॉक्टर रहते हैं और शेष तीन में पैरा मेडिकल स्टाफ निवास करता है।
मई में 321 वाह्य रोगियों का हुआ इलाज
कोविड की दूसरी लहर में एक से 19 अप्रैल तक 1391 वाह्य रोगियों का इलाज हुआ है फिर ओपीडी बंद होने के बाद 20 से 30 अप्रैल तक 84 वाह्य रोगियों का स्वास्थ्य परीक्षण हुआ है। इसी तरह एक से 22 मई तक 321 वाह्य रोगी देखे गए हैं। सीएचसी भवन का हाल नया भवन बना है। 26 अक्टूबर 2014 को लोकार्पण हुआ था। परिसर साफ सुथरा है। अस्पताल भवन के पीछे जंगल है। बिजली व जनरेटर सुविधा है। परिसर में चार सोलर लाइट लगी हैं, इनमें दो खराब हैं।
सिर्फ कहने को पीएचसी है, पर सेवाएं शून्य हैं
बेहमा पीएचसी में आयुष चिकित्सक डॉ. सत्यवीर सिंह वाह्य रोगियों को देख रहे थे। मंगलवार को कुल 15 रोगियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया है। 20 लोगों को कोविड वैक्सीन लगाई गई है। अस्पताल में दवाएं हैं। पीएचसी में पीएसी बटालियन 11 की सीएचसी के डॉ. तेज बहादुर सिंह छह मई को ही प्रभार दिया है लेकिन वह अभी पीएचसी पर एक बार भी नहीं पहुंचे हैं। चार महीने से एएनएम पूजा राय मातृत्व अवकाश पर हैं। यहां प्रसव नहीं होते हैं। ये केस सीएचसी पहला में रेफर किए जाते हैं। पीएचसी पर पांच आवास हैं, पर वह रहने लायक नहीं हैं। इनमें दरवाजा, खिड़की, पल्ले ही नहीं रह गए हैं।
वर्जन--
अस्पताल में जो भी संसाधन हैं उनमें जरूरतमंदों को सेवाएं दी जा रही हैं। सीएचसी पर विशेषज्ञ न होने से रोगियों को जरूरत के हिसाब में इलाज देना मुश्किल होता है। महिला डॉक्टर न होने से गर्भवती महिलाओं के क्रिटिकल केस निस्तारित नहीं हो पाते हैं। रेफर करना पड़ता है। ऐसे में तीमारदार और गर्भवती महिला को तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
- डॉ. आशीष कुमार सिंह, अधीक्षक-सीएचसी पहला