सुदामा-कृष्ण मित्रता का प्रसंग सुन श्रोता भाव-विभोर

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By JagranEdited By: Publish:Sun, 14 Apr 2019 09:58 PM (IST) Updated:Mon, 15 Apr 2019 06:22 AM (IST)
सुदामा-कृष्ण मित्रता का प्रसंग सुन श्रोता भाव-विभोर
सुदामा-कृष्ण मित्रता का प्रसंग सुन श्रोता भाव-विभोर

सिद्धार्थनगर : कस्बा स्थित मां दुर्गा मंदिर में सात दिवसीय रामकथा की अंतिम रात कथा वाचक श्यामजी महाराज ने सीता, लवकुश व सुदामा चरित्र के प्रसंग का वर्णन सुंदर ढंग से किया। कथा सुनकर श्रोता भाव-विभोर हो उठे। देर रात तक भीड़ स्थल पर डटी रही।

कथावाचक ने सुदामा चरित्र का वर्णन सुनाते कहा भगवान कृष्ण व सुदामा की मित्रता अनोखी थी। आर्थिक तंगी से जूझ रहे सुदामा की पत्नी ने कहा कि अगर आप अपने सखा से मिले, तो हमारी गरीबी दूर हो सकती है। मथुरा पहुंचने पर भगवान कृष्ण ने सुदामा को अपनी छाती से लगा लेते हैं। पैर धुले, जब सुदामा घर के लिए निकले, तो मन ही मन सोचने लगे हमारे सखा ने हमें कुछ नहीं दिया। पत्नी को क्या बताएंगे। पर घर पहुंचे तो झोपड़ी की जगह महल बना देख हक्का-बक्का रह गए। भगवान कृष्ण ने तमाम ऐश्वर्य सुदामा के घर भेज दिए। सीता-लवकुश की कथा सुनाते हुए कहा राम जब लंका पर विजय प्राप्त कर वापस अयोध्या आकर राजपाठ संभालें। कुछ दिनों बाद गुप्तचर द्वारा मालूम हुआ कि प्रजा सीता की पवित्रता पर उंगली उठा रही है। राम ने सीता की अग्निपरीक्षा ली। फिर भी प्रजा संतुष्ट नहीं थी। लक्ष्मण से कहा सीता को तपोवन छोड़कर आएं, उस वक्त सीता गर्भ से थी। वाल्मीकि आश्रम में लव और कुश नामक जुड़वा बच्चे जन्म लिए। वाल्मीकि जी ने लव व कुश को धनुष विद्या निपुण कराया। जो राम व लक्ष्मण को अपने धनुष विद्या से हरा देते हैं। विनोद कौशल, शुभम, बिफई, माधव, गंगाराम, आशीष आदि उपस्थित रहे।

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